Organisation: Its Meaning, Definition, Principles, Need and Importance

To accomplish any Big Aims and Objectives Organisations are formed. So it becomes very important to understand the Meaning, Definition, Principles, Need and Importance of an Organisation.

 

organisation

Following are the focus points of this article👇

 

संगठन (Organisation)

  • संगठन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Organisation)
  • संगठन की आवश्यकता एवं महत्व (Need and Importance of Organisation)
  • संगठन के सिद्धांत (Principles of Organisation)

संगठन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Organisation)

 

संगठन शब्द का सामान्य अर्थ मिलजुल कर कार्य करना होता है।

जब कई लोग एक समान उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करते हैं तो लोगों का ऐसा समूह संगठन कहलाता है।

संगठन हमेशा उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बनाया जाता है जिन्हें एक व्यक्ति के लिए अकेले प्राप्त करना संभव नहीं होता। किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अथवा बड़े कार्य को करने के लिए ही अनेक लोगों को मिलजुल कर कार्य करने की आवश्यकता पड़ती है। 

 

‘परिवार’ संगठन का सबसे प्राथमिक उदाहरण है। सभ्यता विकास के क्रम में परिवार के अलावा शिकारी दल संभवतः पहले संगठन थे। क्योंकि किसी बड़े जीव से बचना अथवा उसे पकड़ना या मारना किसी एक व्यक्ति द्वारा करना बहुत ही कठिन कार्य था। परंतु शिकारी दलों के संगठन से यह कार्य आसान हो गया। इसी प्रकार किसी महाविद्यालय अथवा विश्वविद्यालय में खेल विभाग का संचालन करना एक अकेले व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता है उसे संचालित करने के लिए अनेक लोग अलग-अलग क्षमताओं में अपना सहयोग करते हैं।

सामान्य जीवन में परिवार, शिक्षण संस्थान, सेना, पुलिस, अस्पताल, राजनीतिक दल, सामाजिक सेवी संस्थान, स्पोर्ट्स क्लब, औद्योगिक कंपनी आदि संगठन के उदाहरण हैं।

 

संगठन की परिभाषा

जब अनेक व्यक्तियों का समूह किसी समान उद्देश्य को प्राप्त करने की लिए एक दूसरे का सहयोग करते हुए समन्वय के साथ कार्य करते हैं तो ऐसा समूह संगठन कहलाता है।

संगठन किसी बड़े उद्देश्य को प्राप्त करने का एक उपकरण है जिसमें अनेक व्यक्ति अपनी इच्छा एवं क्षमताओं के अनुसार समन्वय के साथ सहयोग करते हैं। 

संगठन व्यक्तियों का वह समूह है जो अपने नेता के निर्देशन में सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु परस्पर सहयोग प्रदान करते हुए कार्य करता है। :आर.सी. डेविस

 

संगठन सामूहिक प्रयास के माध्यम से लक्ष्यों को प्राप्त करने की एक सामाजिक प्रक्रिया है :गैरी जोंस

 

किसी भी संगठन में कार्य करने वाले व्यक्ति एक निश्चित व्यवस्थाओं के अनुसार कार्य करते हैं जिसमें सभी लोगों की भूमिका एवं दायित्व निर्धारित होते हैं। प्रत्येक संगठन एक निश्चित व्यवस्था एवं नियम के अनुसार अपने नेतृत्व एवं पदाधिकारियों का चयन अथवा मनोनयन करता है। 

कोई संगठन मान्यता प्राप्त अथवा गैर मान्यता प्राप्त हो सकते हैं। किसी भी मान्यता प्राप्त संगठन में नेतृत्व एवं पदाधिकारियों को चुनने की प्रक्रिया एवं उनके कार्यों का क्षेत्र कानूनी रूप से पंजीकृत होता है तथा वे उन कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य होते हैं। 
खेल, शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य, योग, मनोरंजन व जिम आदि गतिविधियों को संचालित करने के लिए विभिन्न प्रकार के संगठन होते हैं। विभिन्न संगठनों की संरचना उनके कार्य करने के तरीकों के आधार पर संगठनों के तीन प्रकार होते हैं।

 

सार्वजनिक संगठन – Public Organisation

सार्वजनिक संगठन के अंतर्गत केंद्र सरकार, राज्य सरकार अथवा पंचायत या नगर पालिका द्वारा संचालित ऐसे समूह अथवा संगठन आते हैं जोकि सामान्य जनता को खेल, योग एवं मनोरंजन से संबंधित सुविधाएं एवं कार्यक्रम उपलब्ध कराते हैं। सार्वजनिक खेल मैदान, स्टेडियम, स्विमिंग पूल, पार्क, जिम आदि इसके उदाहरण हैं। इन सुविधाओं को संचालित करने के लिए कर्मचारियों की नियुक्तियां सरकार द्वारा की जाती हैं। सामान्यत: है ये सुविधाएं आम जनता के लिए मुफ्त होती हैं परंतु कुछ मामलों में एक मामूली सा शुल्क लिया जा सकता है जिसे उन सुविधाओं के रखरखाव पर खर्च किया जाता है।

गैर-लाभकारी संगठन – Non Profit Organisation

इनमें वे संगठन आते हैं जो जनहित की अनेक योजनाओं के अंतर्गत कार्य करते हैं। तथा इनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता हैं। ऐसे मान्यता प्राप्त गैर-लाभकारी संगठनों को सरकार उनके मूलभूत खर्चों के लिए आर्थिक अनुदान प्रदान करती हैं जिसका उपयोग वे अपने संगठन की मूलभूत आवश्यकताओं तथा आवश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए करते हैं। विभिन्न प्रकार के गैर सरकारी संगठन (NGO) इसके उदाहरण हैं।

 

विभिन्न खेलों को संचालित करने वाले संगठन जैसे FIFA, AIFF, ICC, BCCI आदि भी गैर-लाभकारी खेल संगठन के अंतर्गत आते हैं। परंतु इन खेलों की अत्यधिक लोकप्रियता होने के कारण वे अच्छा खासा आर्थिक लाभ कमा लेते हैं। जिसका उपयोग हुए वे उस खेल के खिलाड़ियों की मैच फीस देने में, उस खेल की प्रतियोगिता संयोजन एवं पुरस्कार पर, स्टेडियम एवं एकेडमी बनाने पर, उस खेल के जरूरतमंद पूर्व खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने पर तथा उस खेल के देश विदेश में प्रचारित करने पर खर्च करते हैं। अन्य खेलों के संगठन उतना अधिक लाभ नहीं कमाते हैं अतः अपने कार्यों को संचालित करने के लिए उन्हें सरकारी अनुदान पर निर्भर रहना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे खेल संगठन है जो की भारत सरकार के तत्वाधान में चलते हैं तथा उन्हें भारत सरकार के कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाता है तथा उन्हें कार्य करने के लिए अनुदान भी प्रदान किया जाता है। इन संगठनों का प्रमुख लक्ष्य भारत में विभिन्न स्तरों पर खेल गतिविधियों को संचालित करना तथा भारत के लिए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को चुनना तथा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करना होता है।

भारत सरकार के तत्वाधान में चलने वाले कुछ प्रमुख खेल संगठन निम्नलिखित हैं 👇

  • भारतीय ओलंपिक संघ (Indian Olympic Association – IOA)

  • भारतीय खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India – SAI)

  • विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद (University Sports Council)

  • भारतीय विश्वविद्यालय संगठन (Association of Indian Universities – AIU)

  • स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SGFI)

वाणिज्यिक संगठन – Commercial Organisation

इसमें वे संगठन आते हैं जो आम जनता के लिए खेल एवं मनोरंजन से संबंधित अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराते करते हैं और उसके लिए वे लोगों से एक अच्छा खासा सदस्यता शुल्क एवं नियमित मासिक शुल्क वसूल करते हैं। और जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अच्छी खेल एवं मनोरंजन सुविधाएं उपलब्ध कराने के बदले आर्थिक लाभ कमाना होता है। 

स्पोर्ट्स क्लब, खेल एकेडमी, निजी स्विमिंग पूल, जिम, फिटनेस क्लब, एडवेंचर स्पोर्ट्स, योग केंद्र, गोल्फ क्लब, पर्यटक रिसॉर्ट, मनोरंजन पार्क आदि इसके उदाहरण है। टीवी पर अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं का प्रसारण करने वाले मीडिया संगठन भी वाणिज्यिक संगठन की श्रेणी में आते हैं। वे मोटी रकम चुका कर उन प्रतियोगिताओं के प्रसारण अधिकारों को खरीदते हैं तथा उसके प्रसारण के दौरान विज्ञापनों के माध्यम से लाभ कमाते हैं।

Discussion is the Key to Solution

संगठन की आवश्यकता:

1- बड़े लक्ष्य की प्राप्ति हेतु

किसी भी संगठनका निर्माण तभी होता है जब ऐसे लोग मिलते हैं जिनका लक्ष्य समान हो। संगठन के द्वारा किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति को संभव बनाया जाता है

2 – आधिकारिक संरचना:

प्रत्येक संगठन को वैधानिक स्वरूप प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से भी रजिस्टर्ड करना होता है। यह संगठन एक आधिकारिक संरचना प्रदान करता है।

3 – समय और संसाधनों का प्रबंधन:

संगठन सहजीवन में समय, संसाधनों और संगठन के सदस्यों की सामर्थ्य का सही उपयोग सुनिश्चित करने में मदद करता है। 

4- उत्कृष्टता:

यह अच्छे परिणामों को हासिल करने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है और संगठित प्रक्रियाओं के माध्यम से समृद्धि को बढ़ाता है। 

5 – समर्पण, उत्साह और संवेदनशीलता :

संगठन एक समर्पित और उत्साही समूह को बनाए रखता है, जो सामूहिक लाभ के लिए मिलकर काम करता है। यह समूह के सदस्यों के बीच संवेदनशीलता और सहयोग को बढ़ाता है। 

6 – संयोजन और समन्वय:

संगठन सभी सदस्यों को मिलकर काम करने का सामर्थ्य प्रदान करता है जिससे संगठन की सभी सदस्यों के बीच सामंजस्य और संबंध बनाए रखना संभव होता है।

7 –  संगठन के सदस्यों का कल्याण –

कोई भी संगठन तभी सफलतापूर्वक लंबे समय तक कार्य कर सकता है जब उसके सदस्यों को संगठन से जुड़े रहने के कारण जीवन यापन करने में कोई समस्या ना आए। इसलिए प्रत्येक संगठन का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह अपने .सदस्यों के जीवन यापन की व्यवस्था को भी सुनिश्चित करे।

संगठन के सिद्धांत

1 – लक्ष्य एवं उद्देश्य स्पष्ट होने चाहिए.  किसी भी संगठन निर्माण का प्रथम सिद्धांत उसके लक्ष्य और उद्देश्य होते हैं जो कि बहुत ही स्पष्ट होने चाहिए क्योंकि उन्हीं के आधार पर किसी संगठन का निर्माण होता है

2 – संगठन के लक्ष्य और उद्देश्यों के प्रति समस्त सदस्यों की पूरी निष्ठा एवं समर्पण होना चाहिए।

किसी सफल संगठन में कार्य करने वाले सभी लोग सब एक के लिए और एक सबके लिए (All for One and One for All) के सिद्धांत पर काम करते हैं

3 – आधिकारिक पदानुक्रम (Hierarchy) निश्चित होना चाहिए – संगठन से जुड़ी समस्त सदस्यों को उनकी आधिकारिक भूमिका और कार्यभार का स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए

4 – संगठन को चलाने के लिए स्पष्ट नियम, उनका प्रबंधन और नियंत्रण की सही व्यवस्था होनी चाहिए

5 – संगठन के सदस्यों को उनकी योग्यता एवं कार्य क्षमता के आधार पर कार्य दिया जाना चाहिए जिससे संगठन की कार्य कुशलता में वृद्धि होती रहे

 

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