Budget Process includes four steps, namely Budget Prepration and Prsentation, Budget Approval, Execution and Audit
In this article focus is on Budget Process: Proposal, Approval, Execution and Audit
बजट बनाना अथवा बजटिंग एक वित्तीय नियोजन प्रक्रिया/कार्य योजना है जो किसी संगठन के आर्थिक प्रबंधन के लिए तथा लाभ को बढ़ाने व नुकसान को रोकने अथवा कम करने के लिए आवश्यक होती है.
बजटिंग प्रक्रिया किसी संगठन को एक निर्धारित अवधि के लिए वित्तीय योजना बनाने और उसका प्रबंधन करने में मदद करती है। इस प्रक्रिया में पिछले बजट की समीक्षा करना, राजस्व की पहचान करना और उसका पूर्वानुमान लगाना और किसी विशेष परियोजना पर खर्च करने के लिए राशि निर्दिष्ट करना शामिल है।
बजट प्रस्ताव (Budget Proposal)
वित्तीय बजट प्रस्ताव निर्माण की जिम्मेदारी प्रायः संगठन के उच्च अधिकारियों पर होती है जो पर्याप्त अनुभवी और सक्षम व्यक्ति होते हैं। यह भी संभव है कि कभी-कभी बजट प्रस्ताव निर्माण के लिए बजट कमेटी गठित की जाती है जिसमें संबंधित क्षेत्रों की विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
बजट प्रस्ताव निर्माण के लिए एक विशेष प्रारूप (Format) में तैयार किया जाता है, जिससे उसे आसानी से समझा जा सके तथा उससे संबंधित व्यक्तियों को पर्याप्त जानकारी आसानी से मिल सके। बजट प्रस्ताव हमेशा संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं।
बजट बनाने की प्रक्रिया (बजट चक्र) – Budget Process (Budget Cycle)
बजट का निर्माण संगठन के निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। बजट बनाने की प्रक्रिया के कुछ निश्चित चरण होते हैं जिनका पालन करना एक अच्छा बजट बनाने के लिए जरूरी होता है।
बजट बनाने के मुख्यतः चार चरण होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से बजट चक्र भी कहा जाता है जो कि निम्न लिखित हैं 👇
- बजट प्रस्ताव तैयार एवं प्रस्तुत करना (Preparation & Presentation of Budget Proposal)
- बजट की स्वीकृति/अनुमोदन (Budget Approval)
- बजट का निष्पादन (Execution of Budget)
- बजट का निरीक्षण (Audit)
चरण 1- बजट प्रस्ताव तैयार तथा प्रस्तुत करना (Preparation & Presentation of Budget Proposal)
बजट प्रस्ताव बनाने का कार्य प्रायः संस्थान के प्रमुख द्वारा किया जाता है। यह दायित्व संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष को भी दिया जा सकता है अथवा इसके लिए एक बजट निर्माण कमेटी का गठन किया जाता है जिसमें क्षेत्र से संबंधित अनुभवी लोग होते हैं कुछ विशेष कार्यों के लिए बजट बनाते समय उस क्षेत्र के विशेषज्ञों की भी राय ली जाती है।
बजट प्रस्ताव बनाने की प्रक्रिया में निम्न बिंदुओं पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है
- पिछले बजट के आय और व्यय के समस्त आंकड़ों को एकत्र करना तथा उसकी समीक्षा करना
- पिछले बजट में पारित प्रस्तावों की समीक्षा तथा उपकरणों एवं सुविधाओं की सूची का विश्लेषण करना
- पिछले सत्र की अवशेष वस्तुओं का रिकॉर्ड रखना जिससे नये सत्र उन्हीं वस्तुओं की अनावश्यक खरीद से बचा जा सके
- वर्तमान सत्र में धन आवंटित (Fund Allocation) करने के लिए प्राथमिकताओं (Priorities) को तय किया जाता है
- वर्तमान सत्र में क्रय की जाने वाली सामग्री तथा सुविधाओं के निर्माण पर होने वाले संभावित व्यय का ध्यान रखा जाता है
- पिछले सत्र की अवशेष राशि (Balance) तथा वर्तमान सत्र की संभावित आय (income) को जोड़कर बजट की कुल राशि निकाली जाती है
एक बार बजट प्रस्ताव बन जाने के पश्चात उसे वित्त समिति/संस्थान के प्रमुख अथवा शीर्ष प्रबंधन के समक्ष अनुमोदन (स्वीकृति – Approval) के लिए भेजा जाता है अथवा प्रस्तुत किया जाता है।
चरण 2- बजट प्रस्ताव की स्वीकृति/अनुमोदन (Budget Approval)
बजट प्रस्ताव प्राप्त होने पर शीर्ष प्रबंधन बजट की सार्थकता, गुण-दोषों तथा औचित्य की समीक्षा करता है। आवश्यक होने पर स्पष्टीकरण भी मांगा जाता है।
बजट प्रस्ताव पर चर्चा करने के पश्चात शीर्ष प्रबंधन बजट प्रस्ताव को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत कर सकता है या बजट प्रस्ताव में संसोधन करने के लिए सुझाव भी दे सकता है। बजट प्रस्ताव स्वीकृति के बाद बजट प्रस्ताव की योजना तथा मांग के अनुसार धन का आवंटन (Allocation of Fund) कर दिया जाता है जिससे वर्तमान सत्र की आवश्यकता की पूर्ति हेतु व्यय किया जा सके।
चरण 3- बजट का निष्पादन (Execution of Budget)
बजट योजना को वित्त समिति/संस्थान के प्रमुख अथवा शीर्ष प्रबंधन के द्वारा अनुमोदित (स्वीकृति) किए जाने के बाद योजना गत खर्च करने हेतु चरणबद्ध तरीके से धन निर्गत कर दिया जाता है जिससे योजनागत कार्यों का निष्पादन (execution) किया जा सके।
बजट निष्पादन से तात्पर्य बजट योजना के अनुसार आवश्यकताओं पर धन को व्यय करना है।
यह बजट खर्च करने वाले अधिकारी अथवा कमेटी की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि धन सही जगह और वास्तविक आवश्यकताओं पर ही खर्च हो रहा है। बजट खर्च करने वाली समिति का यह भी दायित्व है कि वह धन खर्च करने की सभी प्रक्रियाओं के समस्त रिकॉर्ड जैसे कोटेशन, टेन्डर, रसीद, बिल, वाउचर आदि का ठीक से रखरखाव करें जिससे उसकी भविष्य में जांच (Audit आडिट) की जा सके।
बजट योजना पर हो रहे धन की एकाउंटिंग करना बजट निष्पादन का एक आवश्यक अंग है। व्यय हो रहे धन की अकाउंटिंग के अतिरिक्त क्रय की जाने वाली सामग्री को भंडार पंजिका में दर्ज किया जाता है। भंडार पंजिका दो तरह की होती है उपभोज्य तथा अनुभोज्य भण्डार पंजिका, जिनमें क्रय की गई उपभोज्य तथा अनुभोज्य वस्तुओं का विवरण दर्ज किया जाता है। भंडार पंजिका में क्रय की गई वस्तुओं के विवरण को अंकित करने की प्रक्रिया को स्टॉक एंट्री (stock entry) कहते हैं।
चरण 4- बजट व्यय का निरीक्षण (Audit आडिट)
बजट के निष्पादन के दौरान अथवा निष्पादन के पश्चात विशेषज्ञों के द्वारा इस बात की जांच की जाती है कि निर्गत किए गए धन का सही उपयोग हुआ कि नही, अर्थात यह देखा जाता है कि जिस कार्य के लिए धन निर्गत हुआ उसी पर धन खर्च होना चाहिए। बजट व्यय के निरीक्षण के कार्य को ऑडिट (Audit) कहा जाता है
इस बात की जांच करने के लिए ऑडिट टीम द्वारा धन खर्च किए जाने की सभी प्रक्रियाओं तथा उससे संबंधित कोटेशन, टेन्डर, रसीद, बिल, वाउचर की जांच एवं मिलान अकाउंट रजिस्टर तथा उपभोज्य तथा अनुभोज्य भंडार पंजिका में की गई वस्तुओं की एंट्री से किया जाता है। आवश्यक होने पर क्रय की गई सामग्री का भी निरीक्षण किया जा सकता है, जिसमें यह देखा जाता है की सामग्री किस ब्रांड तथा किस गुणवत्ता की थी तथा कहीं उनकी कीमतों में बहुत अधिक असमानता तो नहीं है आदि आदि । निर्गत राशि का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए तथा किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आडिट (Audit) एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है।
ऑडिट के दौरान कोई भी वित्तीय त्रुटि अथवा गड़बड़ी पाए जाने की जाने पर जवाब तलब किया जाता है। बजट निरीक्षण (Audit) का मुख्य लक्ष्य धन के दुरुपयोग को रोकना है।