Kinesiology is the scientific study of movements of human body, integrating principles from anatomy, physiology, biomechanics, and psychology to understand how the body moves, performs, and recovers.
Kinesiology examines the mechanisms controlling movement, the effects of exercise and activity, and methods for improving performance and health through rehabilitation, physical therapy, and strength and conditioning.
This article is an introduction to Kinesiology and some fundamental terms which facilitate in understanding it better for students of physical education.
This article covers following subtopics
किन्सियोलॉजी KINESIOLOGY
- Meaning, Definitions, Aims, Objective.
- Importance of Kinesiology for games and sports.
Fundamental Terms
- गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)
- गुरुत्व केंद्र (Center of Gravity)
- गुरुत्वाकर्षण रेखा (Line of Gravity)
- द्रव्यमान (Mass)
- भार (Weight)
- बल (Force)
- संवेग (Momentum)
- दबाव (Pressure)
- काइनेटिक्स का अर्थ (Meaning of Kinetics)
- काइनेमेटिक्स का अर्थ (Meaning of Kinematics)
- गति (Speed)
- वेग (Velocity)
- त्वरण (Acceleration)
- दूरी (Distance)
- विस्थापन (Displacement)
- रैखिक गति (Linear Motion)
- कोणीय गति (Angular Motion)
पेशीय गति विज्ञान का अर्थ (Kinesiology)
किन्सियोलॉजी (Kinesiology) मानव या गैर-मानव शरीर की यांत्रिक गति का वैज्ञानिक अध्ययन है।
Kinesiology को शरीर गति विज्ञान अथवा पेशीय गति विज्ञान भी कहा जाता है
Kinesiology पेशीय गति विज्ञान जैव यांत्रिकी की वह शाखा है जिसमें जीव के शरीर द्वारा की जाने वाली गतियों का सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन किया जाता है ।
शरीर की गतियों का अध्ययन इस बात पर केंद्रित होता है कि मानवीय अंगों की गतियां किस प्रकार यांत्रिक सिद्धांतों के अनुसार होती हैं और किस प्रकार शरीर की बनावट, मांसपेशीयां और हड्डियां जीव को गति प्रदान करती हैं और किस प्रकार गति करने हेतु बल पैदा करते हैं । और किस प्रकार मानवीय गतियों को और अधिक परिष्कृत किया जा सकता है जिससे उसकी कार्य कुशलता और अधिक बढ़ जाए ।
Kinesiology शब्द से यूनानी भाषा के शब्द Kinesis और Logos से मिल कर बना है.
Kinesis का अर्थ गति और Logos अध्ययन होता है
किन्सियोलॉजी नाम पहली बार 1854 में एक स्वीडिश मेडिकल जिमनास्ट द्वारा गढ़ा गया था.
किन्सियोलॉजी, जैव यांत्रिकी (बायोमैकेनिक्स Biomechanics) का भाग है
किन्सियोलॉजी खिलाड़ियों की प्रदर्शन को सुधारने, खिलाड़ियों की स्वास्थ्य स्वास्थ्य देखभाल और खेल उद्योग के क्षेत्र में एक अत्याधुनिक वैज्ञानिक क्षेत्र है।
किंसियोलॉजी अब एक व्यापक अध्ययन का क्षेत्र बन चुका है जो की मनुष्य की भौतिक चिकित्सा तथा खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन को सुधारने में बहुत ही सहायक है
किंसियोलॉजी के अध्ययन में शरीर रचना विज्ञान, बायोमैकेनिक्स और फिजियोलॉजी जैसे विषयों के ज्ञान की सहायता भी ली जाती है ।
किन्सियोलॉजी के अध्ययन का महत्व / किन्सियोलॉजी की अध्ययन की आवश्यकता / किन्सियोलॉजी के अध्ययन के लक्ष्य एवं उद्देश्य:
- खिलाड़ी के प्रदर्शन में सुधार करने में सहायक होती है
- खेल उपकरणों का विकास
- प्रशिक्षण तकनीकों में सुधार
- खिलाड़ियों की जरूरत के अनुसार उनके लिए नए प्रकार के व्यायाम तथा ट्रेनिंग के तरीके बना सकते हैं
- खेल चोंटों से बचाव
- व्यायाम-आधारित चिकित्सा तकनीकों के माध्यम से खिलाड़ी को चोटों से उबारने में सहायक होती है
- मानव शरीर को समझने में सहायक
- सुरक्षा सिद्धांत का ज्ञान
- नयी खोज करने में सहायक
- खिलाडियों में आत्म-विश्वास पैदा करने में सहायक
- शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक,
- काइन्सियोलॉजी के अध्ययन से विद्यार्थी स्वास्थ्य और कल्याण, फिटनेस और खेल, शारीरिक शिक्षा और अनुसंधान जैसे कई अलग-अलग क्षेत्रों में कैरियर बना बना सकते हैं ।
- खेलों के उपकरणों तथा खिलाड़ियों की पोशाक के निर्माण और डिजाइनिंग में वांछित सुधार लाए जा सकते हैं ।
- चोटों और शरीर की गति को प्रभावित करने वाली अन्य स्थितियों को रोकने के लिए व्यायाम तकनीकों पर शोध करने में सहायक।
- चोटों से तेजी से उबरने के लिए एथलीटों और आम रोगियों को उपचारात्मक व्यायाम बताना।
- गंभीर चोटों से उबरने वाले खिलाड़ियों तथा रोगियों के पुनर्वास के लिए कार्यक्रम बनाने तथा उन्हें उनकी खोई हुई क्षमताओं को पुनः प्राप्त करने सहायता प्रदान कर सकते हैं
- किसी भी व्यक्ति के उम्र या चिकित्सीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसके जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सुझाव दे सकते हैं ।
- खेलों की लोकप्रियता बढ़ाने में सहायक
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Fundamental Terms
गुरुत्वाकर्षण बल – पृथ्वी के अंदर एक आकर्षण बल होता है जिससे पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपने केंद्र की तरफ खींचती है और इसी बल के कारण पृथ्वी परस्थित सभी वस्तुएं धरती पर टिकी रहती है । पृथ्वी का यह आकर्षण शक्ति को ही गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं । गुरुत्वाकर्षण बल की खोज सर आइजेक न्यूटन ने की थी।
गुरुत्व केंद्र (Center of Gravity) CG: किसी वस्तु अथवा पिंड के भीतर वह बिन्दु जहाँ पिण्ड का सम्पूर्ण भार केन्द्रित होता है. गुरुत्व केन्द्र कहलाता है। गुरुत्व केंद्र किसी शरीर के अंदर वह बिंदु होता है जहां पर शरीर पर लगने वाले सभी बलों का योग शून्य हो जाता है अर्थात गुरुत्वाकर्षण केंद्र पर वस्तु संतुलित अवस्था में होती है. शरीर की अवस्था में परिवर्तन होने के साथ गुरुत्व केंद्र (CG) और गुरुत्वाकर्षण रेखा (Line of Gravity) की स्थिति में भी परिवर्तन हो जाता है
गुरुत्वाकर्षण रेखा (Line of Gravity) : गुरुत्व रेखा एक काल्पनिक ऊर्ध्वाधर रेखा है जो कि सभी वस्तुओं के गुरुत्व केंद्र से होती हुई पृथ्वी के केंद्र की तरफ जाती है.
संतुलन (स्थिरता) को बनाए रखने में गुरुत्व केंद्र और गुरुत्व रेखा की भूमिका: किसी वस्तु के संतुलन बनाने में गुरुत्व रेखा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. जब तक गुरुत्व रेखा वस्तु के आधार से होती हुई गुजराती है तब तक वस्तु संतुलित अवस्था में रहती है. गुरुत्व रेखा के आधार से बाहर निकलते ही वस्तु असंतुलित होकर गिर जाती है
द्रव्यमान (Mass): किसी वस्तु में पदार्थ का परिमाण के परिमाण की मात्रा उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है। वस्तु का द्रव्यमान प्रत्येक स्थान पर समान रहता है।किसी वस्तु का द्रव्यमान तब तक नहीं बदलता जब तक कि उस वस्तु का कोई भाग उससे अलग ना कर दिया जाये अथवा उसमें और कोई वस्तु ना मिला दी जाये।किसी वस्तु के द्रव्यमान पर पदार्थ की दशा परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जैसे 1 किलोग्राम बर्फ को पिघलाकर तौलने पर उसके बने जल का द्रव्यमान भी 1 किलोग्राम ही रहता है। द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम होता है
भार (Weight) : जिस बल से पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है, वह उस वस्तु का भार कहलाता है । इसे W से निरुपित किया जाता है। यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो, तो उस वस्तु का भार, W = पृथ्वी द्वारा द्रव्यमान m पर लगाया गया आकर्षण बल
बल (Force) :बल एक धक्का अथवा खिंचाव है जो किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन कर देता है
अथवा
बल वह आंतरिक अथवा वाह्य कारक होता है जो कि वस्तु की विराम की अथवा एक समान गति की अवस्था में परिवर्तन कर देता है अथवा परिवर्तन करने का प्रयास करता है, बल को F के द्वारा प्रदर्शित करते हैं यह एक सदिश राशि होती है, बल का मात्रक न्यूटन होता है
संवेग (Momentum): किसी गतिमान वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं, जो उस वस्तु की गति की मात्रा को दर्शाता है.
संवेग एक सदिश राशि होती है, जिसका अर्थ है कि इसकी दिशा भी होती है.
सूत्र के रूप में, इसे p = mv के रूप में व्यक्त किया जाता है, जहाँ ‘p’ संवेग है, ‘m’ द्रव्यमान है और ‘v’ वेग है
संवेग की SI इकाई किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड (kg·m/s) है. इसे न्यूटन सेकंड (N·s) में भी व्यक्त किया जाता है.
संवेग भौतिक विज्ञान के अध्ययन में महत्वपूर्ण होता है, जो कि यह दर्शाता है कि किसी गतिमान वस्तु को रोकना या उसकी दिशा बदलना कितना मुश्किल है। संवेग का महत्व इसलिए है क्योंकि यह गतिमान वस्तुओं को रोकने के लिए आवश्यक बल या बल की मात्रा का निर्धारण करता है, जो दुर्घटनाओं, टकरावों और रॉकेट प्रणोदन जैसी कई भौतिक घटनाओं में महत्वपूर्ण होते हैं ।
गति (Speed): सामान्य शब्दों में गति किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी का माप है।
अथवा
गति किसी पथ पर किसी वस्तु के चलने की दर है जो यह बताती है कि कोई वस्तु समय के सापेक्ष कितनी तेज़ी से अपनी स्थिति बदल रही है। गति एक अदिश राशि है और केवल परिमाण (मान) बताती है, दिशा नहीं।
गति की गणना का सूत्र: गति = तय की गई दूरी / लिया गया समय।
उदाहरण: एक कार 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही है। यहाँ दिशा का उल्लेख नहीं है।
वेग (Velocity) : वेग किसी वस्तु द्वारा एक इकाई समय में किए गए विस्थापन का माप है, जो एक सदिश राशि है और परिमाण के साथ-साथ दिशा भी बताती है।
वेग किसी वस्तु की गति की दर के साथ-साथ उस गति की दिशा भी बताता है जिससे यह पता लगता है कि कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति से किस गति और किस दिशा में विस्थापित हो रही है।
वेग की गणना का सूत्र: वेग = विस्थापन / लिया गया समय
उदाहरण: एक कार 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पूर्व दिशा की ओर यात्रा कर रही है। यहाँ रफ्तार (परिमाण) और पूर्व दिशा (दिशा) दोनों मौजूद हैं।
त्वरण (Acceleration) : समय के सापेक्ष किसी गतिशील वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड² (m/s²) होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं।
काइनेटिक्स (गतिकी) का अर्थ (Meaning of Kinetics) : गतिकी, यांत्रिकी की वह शाखा है जो द्रव्यमान वाले पिंडों की गति पर बलों और बलआघूर्णों के प्रभाव का अध्ययन करती है। वस्तुओं की गति का अध्ययन करने के लिए न्यूटन के गति के नियमों का उपयोग किया जाता है।
काइनेमेटिक्स का अर्थ (Meaning of Kinematics): शुद्धगतिकी, भौतिकी की एक शाखा और यांत्रिकी का एक उपखंड है जिसमें बिना पिंडों में गति उत्पन्न करने वाले बलों पर विचार किए केवल पिंड या पिंडों के निकाय की ज्यामितीय रूप से संभव गतियों का अध्ययन किया जाता है
दबाव (Pressure) : किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले लंबवत बल को दाब अथवा दबाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई ‘न्यूटन प्रति वर्ग मीटर’ होती है। दाब एक अदिश राशि है।
दूरी (Distance) : किसी गतिशील वस्तु द्वारा तय किए गए कुल पथ की लंबाई को दूरी कहते हैं। दूरी एक अदिश राशि होती है, जिसमें केवल परिमाण होता है। समय बीतने के साथ गतिशील वस्तु द्वारा तय की गई दूरी भी बढ़ती जाती है
विस्थापन (Displacement): किसी गतिशील वस्तु की प्रारंभिक और अंतिम स्थिति के बीच की सबसे छोटी सीधी दूरी होती है। विस्थापन एक सदिश राशि होती है, जिसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं।
रैखिक गति (Linear Motion): एक आयाम में एक सीधी रेखा में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक स्थिति में परिवर्तन को रैखिक गति कहते हैं ।
रैखिक गति के उदाहरण हैं जैसे 100 मीटर की दौड़ में सीधे ट्रेक पर दौड़ना, सीधी सड़क पर गाड़ी चलाना इत्यादि।
यदि वस्तु जिस गति से यात्रा करती है वह समय के साथ नहीं बदलती (अर्थात स्थिर रहती है), तो गति को एकसमान रैखिक गति कहते हैं । यदि गति समय के साथ बदलती है (बढ़ती या घटती है) तो गति को त्वरित रैखिक गति कहा जाता है ।
कोणीय गति (Angular Motion) : कोणीय गति किसी वस्तु की एक निश्चित अक्ष या बिंदु के चारों ओर घूमने की गति है। यह गति एक वृत्ताकार पथ का अनुसरण करती है, जहाँ वस्तु एक निश्चित केंद्रीय बिन्दु के चारों ओर घूमते हैं। सरल शब्दों में, यह वस्तु द्वारा समय के साथ घूमी गई कोण की मात्रा का माप है।
उदाहरण: ट्रैक के कर्व पर दौड़ते समय धावक वृत्ताकार मार्ग पर कोणीय गति कर रहा होता है। छत का पंखा अपने केंद्रीय हब के चारों ओर कोणीय गति करता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, जिससे दिन और रात होते हैं। चलती कार के पहिये अपनी धुरी पर कोणीय गति करते हैं, आदि
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