Stages of Growth and Development ( वृद्धि एवं विकास की अवस्थाएं)

It’s important to know about different stages of growth and development

वृद्धि एवं विकास की विभिन्न अवस्थाओं के बारे जानना बहुत महत्वपूर्ण है

Stages of Growth & Development
Stages of Growth & Development

 वृद्धि एवं विकास  (Growth and Development)

समस्त जीवधारियों के जीवन काल में हमेशा कुछ परिवर्तन होते रहते हैं। कुछ परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देते हैं परंतु कुछ परिवर्तन दिखाई नहीं देते उनका केवल अनुभव किया जा सकता है।  कुछ परिवर्तन आंतरिक कारणों से होते हैं और कुछ परिवर्तन आंतरिक व बाह्य कारकों के मिले-जुले प्रभाव से होते हैं।

 

जीव धारियों की जीवन में आने वाले परिवर्तनों को दो भागों में बांटा जाता है वह हैं वृद्धि एवं विकास (Growth and Development)

 

वृद्धि (Growth)

वृद्धि का सामान्य अर्थ है बढ़ना। वृद्धि से अभिप्राय हैं कि परिमाण अथवा मात्रा में बढ़त होना

मानव शरीर में वृद्धि से अभिप्राय है वजन, लंबाई, आकार, आकृति में बढ़ोतरी जो कि प्रत्यक्ष रूप से होती है और जिसे भौतिक रूप से  मापा जा सकता है, जैसे लंबाई, वजन, आकृति आदि

आयु के अनुसार वृद्धि के विभिन्न मानक तय होते हैं।

जब से प्राणी माता के गर्भ में आता है, तब से लेकर परिपक्वता की आयु प्राप्त कर लेने तक वृद्धि का क्रम निरंतर जारी रहता है। मनुष्य सामान्य तौर पर 18 वर्ष की अवस्था तक शारीरिक परिपक्वता को प्राप्त कर लेते हैं, सामान्य रूप से 18 वर्ष के अवस्था तक शारीरिक वृद्धि की प्रक्रिया जारी रहती है

विकास (Development)

वृद्धि के साथ-साथ शरीर में आने वाले गुणात्मक परिवर्तनों (Qualitative Changes) को विकास कहते हैं । विकास जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।

शारीरिक वृद्धि के साथ क्रियात्मक, गतिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक कौशल, भावनात्मक एवं व्यक्तित्व में आने वाले परिवर्तन विकास की श्रेणी में आती है। विकास के बारे में कहा जाता है कि विकास की प्रक्रिया जीवन पर्यंत (Womb to Tomb) जारी रहती है

वृद्धि एवं विकास में अंतर (Difference Between Growth & Development)

Difference Between Growth & Development

 

वृद्धि एवं विकास की विभिन्न अवस्थाओं में शारीरिक मानसिक सामाजिक एवं भाषा का विकास

  आयु में वृद्धि (Aging) जीवधारियों का एक अनिवार्य लक्षण है। प्रत्येक जीवधारी जन्म लेने के बाद एक अवधि तक ही जीवित रहता है, जिसे उसकी आयु ( Age) कहा जाता है।

आयु वृद्धि के क्रम में मनुष्य में जन्म के बाद से शारीरिक वृद्धि एवं विकास के विभिन्न चरण आते हैं जो कि निम्नवत हैं

  • शैशवावस्था (Infancy)- जन्म से 2 वर्ष तक

  • प्रारंभिक बाल्यकाल (Early Childhood)- 3 से 8 वर्ष तक

  • उत्तर बाल्यकाल  (Late Childhood)- 9 से 11 वर्ष

  • किशोरावस्था (Adolescence)- 12 से 18 वर्ष तक

  • युवावस्था (Youth)- 18 से 25 वर्ष तक

  • प्रौढ़ावस्था (Adulthood)- 25 वर्ष से 55 वर्ष तक

  • वृद्धावस्था (Old age)- 55 वर्ष से मृत्यु तक 

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शिशु काल (Infancy)- जन्म से 2 वर्ष तक:

 

new born – नवजात शिशु

जन्म से लेकर 2 वर्ष तक की अवस्था को शैशवावस्था कहा जाता है। इस अवस्था के अन्तर्गत लगभग 2.5 वर्ष की अवस्था से तीव्र शारीरिक विकास होता है। इसी अवस्था में बच्चे की भविष्य के जीवन की आधारशिला रखी जाती है।

 

stage of infancy – शिशुकाल

प्रारंभिक अवस्था में शिशु में समय का कोई बोध नहीं होता है। सामाजिक बोध कम होता है तथा उसके लिए सामाजिक बंधन कोई बाधा नहीं होते हैं । 

 

 

Little Boy – बचपन का प्रारंभ

 

लगभग 1 वर्ष की अवस्था के पश्चात शिशु अपने पैरों पर खड़े होने लगते हैं वे चलना सीखते हैं। इस अवस्था में बच्चों में अनुकरण (imitation) करने की प्रवृति पायी जाती है, वे अनुकरण करके सीखने का प्रयास करते हैंI इस अवस्था में अनुकरण विधि बच्चों को अधिगम (सिखाने) कराने की सर्वोत्तम विधि है।

यह अवस्था भाषा को सीखने की सर्वोतम अवस्था होती है । और इस अवस्था में बच्चा देखकर व सुनकर सीखने लगता है। अर्थात इस अवस्था में समाजीकरण की प्रवृति पायी जाती है । यह कहा जाता हैं। कि शैशवावस्था  की अवस्था शिक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। यही वह अवस्था होती हैं। जिससे अध्यापक, माता -पिता व समाज के व्यक्तियों का प्रभाव बच्चे पर अत्यधिक पड़ता है। 

प्रारंभिक बाल्यकाल (Early Childhood)- 3 से 8 वर्ष तक :

 

childhood – बचपन

यह वह अवस्था है जब बच्चा विद्यालय जाना प्रारंभ करता है। इस अवस्था में बच्चों की खेलने की प्रवृत्ति होती है तथा वे बहुत जिज्ञासु होते हैं वे हर चीज के बारे में जानना चाहते हैं और प्रश्न करते रहते हैं।

उनका भाषा ज्ञान प्रारंभ हो जाता है। उसके लिए हर चीज कौतुहल से भरी हुई होती है। वह अपने आसपास के लोगों को बहुत ध्यान से देखते है व सीखते हैं।

उनमें सामाजिकता का विकास होने लगता है वे मित्र बनाते हैं एवं समूह में खेलना प्रारंभ कर देते हैं।

 

बचपन

 

विशेषताएं

  • इस अवस्था में बच्चे बहुत ही जिज्ञाशु प्रवृति के होते हैं, उनमें जानने की प्रबल इच्छा होती है.

  • बच्चों में प्रश्न पूछने की प्रवृति विकसित होती है.

  • सामाजिकता का अधिकतम विकास होता है

  • इस अवस्था में बच्चों में मित्र बनाने की प्रबल इच्छा होती है

  • बच्चों में ‘समूह प्रवृति’ का विकास होता है

  • शिक्षा शाश्त्रीयों ने इस अवस्था को प्रारम्भिक विद्यालय की आयु की संज्ञा दी है . 

उत्तर बाल्यकाल  (Late Childhood)- 9 से 11 वर्ष

Kids Football Team – बचपन में किशोरावस्था से पूर्व की अवस्था

अवस्था का वह चरण है जो 9 वर्ष से 11 वर्ष तक चलता है, यह किशोरावस्था से पूर्व की अवस्था है। इसे मानव जीवन का स्वर्णिम समय कहा गया है । इस अवस्था में बच्चों की तर्क शक्ति वह चिंतन क्षमता बढ़ जाती है। वह हर घटना के पीछे कारण जानना चाहता है। बच्चे अपनी रूचियों का प्रदर्शन करने लगते हैं सीखने की क्षमता एवं गति बढ़ जाती है।

शारीरिक विकास, सीखना तथा खेलों की दृष्टि से यह अवस्था अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें बच्चे अपने रुझान एवं मूल प्रवृत्तियों (attitude & aptitude) को प्रदर्शित करना शुरू कर देते हैं।

 मनोवैज्ञनिक यह मानते है कि इस अवस्था में अध्यापकों को बच्चों को सिखाने के लिए उनकी प्रवृत्तियों के अनुसार शिक्षण के तरीकों का चुनाव करना चाहिए।

 

किशोरावस्था का प्रारंभ

विशेषताएं:

  • इस काल में शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्थिरता होती है .

  • बच्चा सामाजिक नियमों को समझना शुरू कर देता है।

  • मित्र बनाने की प्रवृत्ति, भ्रमण की प्रवृति,  रचनात्मक कार्यों में रूचि, अनुकरण की प्रवृति, मानसिक योग्यताओं में वृद्धि, कल्पनाशीलता में वृद्धि, आत्मनिर्भरता, सामूहिक प्रवृति की प्रबलता, बहिर्मुखी व्यक्तित्व, सामूहिक खेलों में विशेष रूचि , यथार्थ जगत से सम्बन्ध आदि विशेषताएं इस काल  में होती है 

किशोरावस्था  (Teen Age): 12 से 18 वर्ष

Teenage – किशोरावस्था

यह अवस्था जो 12 वर्ष से प्रारम्भ होकर 18 वर्ष तक चलती है,

  • किशोरावस्था में बालक बालिकाएं परिपक्वता की ओर बढ़ने लगते हैं, और उनकी लम्बाई व भार में तेजी से वृद्धि होती है लेकिन लड़कियो में लम्बाई, भार व मांसपेशियों में लड़कों की अपेक्षा तेजी से वृद्धि होती है । 

  • खेलों व शारीरिक शिक्षा की दृष्टि से यह अवस्था सबसे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस समय उनका शारीरिक विकास चरमसीमा की ओर अग्रसर होता है।

  • इसी अवस्था में प्रजनन अंग विकसित होते है और लड़कों व लड़कियों का विपरीत लिंगो के हमउम्र साथियों के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है। 

  • किशोरावस्था को जीवन में तूफान की अवस्था कहा जाता है

Teenage: the age of following  passion / किशोरावस्था: मौज मस्ती और जोश के साथ जीने की उम्र

 

 क्योंकि किशोरावस्था की उम्र में लड़के तथा लड़किया भावानात्मक रूप से बहुत संवेदनशील होते हैं। सामान्य बोलचाल मे किशोरावस्था को जवानी की शुरुआत भी कहा जाता है। इस उम्र में वे बहुत आसानी से किसी की बातों से प्रभावित हो जाते हैं और उसके प्रभाव में वे किसी से प्रेम या नफरत करने लगते हैं और उसके लिए कुछ भी सही गलत सोचे बिना बड़ा कदम उठा लेते हैं।

इसी अवस्था में उनमें यौन समस्या, नशा व अपराध की ओर उन्मुख होने की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है।

प्राय: किशोरावस्था ही वह उम्र होती है जब बालक बालिकाओं के अंदर विद्रोह की भावना पनपने लगती है वह अपने ऊपर नियंत्रण को स्वीकार नहीं करते हैं। इसीलिए इस अवस्था को जीवन में तूफान की अवस्था कहा जाता है

इस अवस्था में अभिभावकों व अध्यापकों को लड़के लड़कियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि इस अवस्था में बहुत संभावना होती है कि कुछ शरारती लोग निजी स्वार्थो के लिए किशोरों को बहका कर उन्हें गलत मार्ग पर धकेल देते हैं जिससे उनका जीवन बर्बाद हो सकता है।

  • किशोरावस्था में प्रायः लड़के लड़कियां किसी विशेष व्यक्ति, व्यक्तित्व, विचारधारा अथवा विधा (art) की प्रति आकर्षित हो जाते हैं। 

  • इस अवस्था में लड़के-लड़कियां अपने पहनावे, फैशन व शारीरिक सुंदरता के प्रति बहुत सजग हो जाते हैं

  • इस अवस्था में लड़के लड़कियां प्रायः अपनी विशेष रुचियों के अनुसार मित्रों का समूह बना लेते हैं।

  • वे किसी विशेष क्षेत्र के सफल व्यक्ति को अपना आदर्श (icon) मानने लगते हैं और वे उनके दीवाने (Fan) बन जाते हैं, जैसे कोई खिलाड़ी, क्रांतिकारी, अभिनेता, गायक, नेता, वैज्ञानिक, अध्यापक आदि।

 

  • किशोरावस्था में ही अक्सर लड़के – लड़कियां अपने विपरीत लिंग के साथियों के प्रति तीव्र शारीरिक एवं भावनात्मक आकर्षण का अनुभव करने लगते हैं। 

युवावस्था (Youth)- 18 वर्ष से 25 वर्ष तक

 

Youth / युवा

इस अवस्था में शारीरिक व मानसिक क्षमताएं चरम पर होती है इस अवस्था में भी उच्च शिक्षा व जीवन यापन के लिए नौकरी व्यवसाय आदि में सफल होने के उद्देश्य से मेहनत करते हैं। शारीरिक परिपक्वता आ जाने के कारण यह विवाह करने के लिए सर्वोत्तम अवस्था होती है।

प्रौढ़ावस्था (Adulthood)- 26 से 55 वर्ष तक

 

सामान्य तौर पर इस अवस्था में व्यक्ति वैवाहिक जीवन में प्रवेश कर जाते हैं तथा संतानोत्पत्ति सहित विभिन्न  सामाजिक क्रियाकलापों में सक्रिय होते हैं और स्थाई रोजगार करने लगते हैं

इसके अतिरिक्त अपनी संतान एवं स्वयं के वृद्ध हो चुके अभिभावकों का भी ख्याल रखना पड़ता है 

 

वृद्धावस्था (Old age)- 56 वर्ष से मृत्यु तक

 

 

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6 thoughts on “Stages of Growth and Development ( वृद्धि एवं विकास की अवस्थाएं)”

  1. एस के सिंह

    उपरोक्त लेख में शाश्वत सत्य लिखा है।परंतु कुछ सामाजिक कारकों तथा संस्कृति मिश्रण का भी प्रभाव उक्त पर परिलाक्षित होता है

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