इस लेख में, Difference Between Heart Attack & Cardiac Arrest समझने का प्रयास किया गया है।
भारत में पिछले कुछ समय से स्वस्थ दिखने वाले कई लोगों को हृदयाघात (Heart Attack) होने अथवा उनकी हृदय से संबंधित कारणों से अचानक मृत्यु हो जाने के कई मामले सामने आए हैं। इतने सारे लोगों की हृदय संबंधित कारणों से मृत्यु हो जाना एक बहुत ही चिंताजनक स्थित है क्योंकि जिन लोगों को (Heart Attack) हुआ है अथवा जिनकी मृत्यु हुई है उनमें से अधिकांश लोगों मे हृदयरोग का कोई इतिहास नहीं था।
हृदय रोग वैश्विक रूप से मौत के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। हृदय से संबंधित किसी भी तकलीफ के लिए सामान्य तौर पर ‘हृदयघात (Heart Attack)’ और ‘और ‘कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest)’ जैसे शब्दों का एक दूसरे के पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता है, जबकि इन दोनों शब्दों में अंतर होता है। और दोनों परिस्थितियों में बीमार व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार से मेडिकल सहायता देने की आवश्यकता होती है
पहले हृदयघात (Heart Attack) और कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के बीच के अंतर समझते हैं।
हृदयघात (heart attack) – दिल का दौरा:
हृदयघात (heart attack) को आम बोलचाल की भाषा में दिल का दौरा भी कहा जाता है। Heart Attack होने पर सीने में तेज दर्द होता है और सही समय पर उपचार न मिलने पर मृत्यु भी हो सकती है। Heart Attack (हार्ट अटैक ) की अवस्था में आमतौर पर हृदय धड़कता रहता है लेकिन उसकी क्षमता धीरे-धीरे कम होती चली जाती है जिसे मेडिकल की भाषा में Myocardial Infarction (MI) या दिल का दौरा पड़ना कहते हैं
Heart Attack तब पड़ता है जब हृदय की मांसपेशीयों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी (Coronary Artery) में रुकावट आ जाती है जिससे रक्त का प्रवाह हृदय की मांसपेशियों में नहीं हो पाता है। जिससे ऑक्सीजन के अभाव में हृदय के ऊतकों की कोशिकाएं धीरे धीरे मरने लगती हैं।
किन्हीं कारणों से रक्त के बहुत गाढ़ा हो जाने (embolus) अथवा रक्त में थक्का (thrombus) बन जाने की स्थिति में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, इस कारण से भी दिल का दौरा पड़ सकता है।
तब भी Heart Attack (हार्ट अटैक ) पड़ सकता है जब हृदय से जुड़ी रक्त वाहिकाएं कोलेस्ट्रॉल की परत जमने के संकरी (Narrow) हो जाती है तथा उसमें रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिससे हृदय को रक्त की पूरी आपूर्ति नहीं हो पाती है।
जब हृदय तक रक्त पहुंचता ही नहीं है तब हृदय से भी शरीर के आवश्यक अंगों जैसे मष्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है जिससे व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे निष्क्रिय पड़ता चला जाता है और अंत में उसकी मृत्यु हो जाती है।
Heart Attack (हार्ट अटैक ) या दिल के दौरा पने को निम्न लक्षणों से पहचाना जा सकता है: 👇
1- छाती में दर्द और बेचैनी: यह दिल का दौरा पड़ने का पहला लक्षण होता है। इसमें छाती में दबाव, घुटन और दर्द महसूस होता है
2- दर्द का शरीर में फैलना: सीने से शुरु हुआ दर्द धीरे धीरे हाथ, गर्दन, जबड़ा या पीठ के अन्य क्षेत्रों तक फैल सकता है।
3- सांस की कठिनाई: सांस लेने में कठिनाई होने लगती है, दम घुटने लगता है।
4- अतिरिक्त लक्षण: इसके अलावा पसीना आना, उल्टी और चक्कर आना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
दिल का दौरा पड़ने के दौरान हृदय धमनी में रक्त की कमी होने के बावजूद हृदय धड़कता रहता है हालांकि उसकी क्षमता धीरे-धीरे कम होती चली जाती है। जिससे हृदय की ऊतकों को क्षति होना प्रारंभ हो जाती है। यदि लक्षणों को ठीक समय पर पहचान लिया जाए तो आपातकालीन चिकित्सा सेवा ( Emergency Medical Aid) के द्वारा मरीज की जान बचाई जा सकती है।
अब कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) को समझते हैं :
कार्डिएक अरेस्ट Cardiac Arrest को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि हमारे दिल की धड़कन विद्युत आवेगों/ तरगों (Electrical Impulses) के द्वारा नियंत्रित होती है.
जब कभी किसी कारण से यह विद्युत तरंगे (Electrical Impulses) रुक जाती है तो हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है अर्थात दिल धड़कना बंद कर देता है जिससे हृदय के द्वारा शरीर को रक्त की आपूर्ति रुक जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
इस स्थिति को ठीक इस प्रकार समझिए जैसे आपके घर में पावर हाउस से आने वाली में मेन पावर (Main Power) की लाइन कट जाए या उसमें करंट रुक जाए तो आपके घर के अंदर बिजली से चलने वाले सभी उपकरण बंद हो जाते हैं।
हृदय में विद्युत तरंगे कहां से पैदा होती हैं ? (Source of Electrical Impulses in Heart)
हृदय के दाहिने ऊपरी कक्ष (एट्रिया) में विशेष प्रकार के ऊतकों से बना एक छोटा सा बिंदु स्थित होता है जिसे साइनस नोड ( Sino-Atrial Node, या SA Node) कहते हैं। SA Node ही अपनी प्राकृतिक क्षमता से विद्युत उत्तेजना (Electrical stimulus) उत्पन्न करता है। सामान्य परिस्थितियों में SA Node नियमित रूप से प्रति मिनट 60 से 100 बार विद्युत उत्तेजना उत्पन्न करता है। Electrical stimulus से आलिन्द (Atria) सक्रिय हो जाते हैं। Electrical stimulus चालन पथों के माध्यम से नीचे की ओर जाती है जिससे हृदय के निलय (Ventricle) संकुचित होते हैं जिससे रक्त धमनियों में प्रवेश कर जाता है।
हृदय के 2 ऊपरी कक्ष आलिन्द (Atria) पहले उत्तेजित होते हैं और उसके थोड़ा बाद हृदय के 2 निचले कक्ष निलय (Ventricle) संकुचित होते हैं।
कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) होने के ऐसे कारण भी हो सकते हैं जो हृदय से संबंधित न हों
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कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) तब होता है हृदय की धड़कन रुक जाती है जिससे हृदय, मस्तिष्क और अन्य ऊतकों तक रक्त पंप होना रुक जाता है।
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वयस्क लोगों में कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) तब होता है जब दिल धड़कने की लय (rhythm) बिगड़ जाती है
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दम घुटने अथवा पानी में डूब जाने पर भी कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) की घटना हो सकती है ।
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गंभीर रूप से फेफड़ों के संक्रमण अथवा अस्थमा का दौरा भी कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) का कारण हो सकता है।
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फेफड़े में किसी कारण बने बड़े रक्त के थक्के भी कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) के कारण बन सकते हैं।
कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) होने पर इसका सटीक कारण निर्धारित करना अक्सर मुश्किल होता है।
कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण विशिष्ट होते हैं :
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जिस व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट होता है वह अचानक से बेहोश हो सकता है तथा वह आवाज अथवा छूने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है ।
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व्यक्ति की सांसें रुक जाती हैं या वह बुरी तरह हांफ रहा होता है और उसे सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है
दिल के दौरे (हार्ट अटैक) और कार्डिएक अरेस्ट के बीच निम्नलिखित मुख्य अंतर होते हैं:
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दिल का दौरा (Heart Attack) मुख्य रूप से हृदय धमनी (Coronary Artery) में रक्त के परिसंचरण के रुक जाने से होती है, लेकिन कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) हृदय में उत्पन्न होने वाली विद्युत तरंगों (Electrical Impulses) की समस्या है जिसमें दिल की धड़कन अचानक बंद हो जाती है।
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दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने के दौरान, दिल निरंतर धड़कता रहता है, भले ही उसकी कार्यकुशलता भी धीरे-धीरे कम होती जाती है। तकलीफ अधिक होने पर भी मरीज सहायता के लिए संकेत कर सकता है, लेकिन कार्डियक अरेस्ट में, हृदय अचानक ही पूरी तरह से धड़कना बंद कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप मरीज बेहोश (Unconscious) हो जाता है। और सहायता के लिए भी नहीं संकेत भी नहीं कर पाता।
हृदयघात और कार्डिएक अरेस्ट में से कौन ज्यादा खतरनाक है?
Who is More Deadly, Heart Attack or Cardiac Arrest ?
वैसे तो अगर समय परआपातकालीन मेडिकल सेवा ना मिले तो दोनों ही दोनों ही स्थितियां जानलेवा हो सकती हैं लेकिन फिर भी
कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest), दिल के दौरे ( Heart Attack) से ज्यादा खतरनाक और जानलेवा होता है,
क्योंकि दिल का दौरा पड़ने पर हृदय की पंप करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है और यह स्थिति कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटो या दिन तक चल सकती है। मतलब दिल के दौरे पड़ने पर मरीज को बचाने की जान बचाने का थोड़ा बहुत समय मिल जाता है।
लेकिन कार्डियक अरेस्ट में, हृदय अचानक पूरी तरह से धड़कना बंद कर देता है। मरीज इतनी तेजी से बेहोश होता है कि उसे अपने आप को होने वाली तकलीफ के बारे में किसी को बताने का मौका भी नहीं मिलता है। जिस कारण से मरीज की जान बचाने के लिए बहुत कम समय मिल पाता है।
जहां हार्ट अटैक होने पर मरीज कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों और कभी-कभी एक-दो दिन तक जीवित रह सकता है, वही कार्डिएक अरेस्ट होने की अवस्था में कुछ ही मिनटों में मरीज की मौत हो जाती है
यदि आपको किसी व्यक्ति को देखकर लगता है कि उसे हृदयघात (Heart Attack) अथवा कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) हुआ है तो तुरंत इमरजेंसी नंबर 108 या 112 पर कॉल करें और मरीज को मेडिकल सहायता मिलने तक CPR देना शुरू कर दें।
मरीज को CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने का तरीका जानने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करके इससे संबंधित वीडियो देख सकते हैं
कम उम्र में Heart Attack के मामले, जानिए CPR क्या है और कैसे देते हैं?
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