
आज के युग में हर व्यक्ति किसी न किसी कारण से Stress (तनाव) में जीने को मजबूर है। प्रस्तुत आर्टिकल “Stress Management: जानिए तनाव क्या होता है और इसे दूर करने के व्यवहारिक उपाय” में हम आपको Stress Management के 16 व्यवहारिक उपाय बताए गए हैं जो आपके काम के हो सकते हैं।
तनाव (Stress) क्या है
तनाव (Stress) जीवन का एक अभिन्न अंग है। बिना तनाव की जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार के तनाव का सामना करता रहता है।
तनाव किसी अप्रिय अथवा कठिन परिस्थितियों के कारण व्यक्ति में शारीरिक एवं मानसिक रूप से होने वाले वे नकारात्मक परिवर्तन होते हैं जो कि व्यक्ति को बेचैन व असहज कर देते हैं।
सामान्य भाषा में हम तनाव को Stress (स्ट्रेस), Anxiety (एंग्जायटी), Tension ( टेंशन), Nervousness (नर्वसनेस) और Pressure (प्रेशर) के नाम से भी जानते हैं।
मनोविज्ञान के अनुसार थोड़ी बहुत मात्रा में तनाव का होना आवश्यक भी है। तनाव की स्थिति में व्यक्ति अतिरिक्त शारीरिक क्षमता और मानसिक सतर्कता के साथ कार्य करता है जिससे हम अपने कार्यों को ठीक से कर पाते हैं। परंतु यदि तनाव इस हद तक बढ़ जाए कि उसके प्रभाव से हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमताएं नकारात्मक रूप से प्रभावित होती हैं जिससे हम अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाते हैं और निरंतर लंबे समय तक तनाव की स्थिति में रहते हैं तो हम शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं।
तनाव होने पर व्यक्ति के शरीर में अनेक जैविक-रासायनिक परिवर्तन होते हैं जिस कारण शरीर में तनाव उत्पन्न करने वाले हारमोंस का स्राव होने लगता है जिससे व्यक्ति में अनेक नकारात्मक भावनाएं जैसे गुस्सा, भय, चिड़चिड़ापन, अवसाद, घबराहट, निराशा आदि जगने लगती हैं जिस कारण व्यक्ति में अनेक तत्कालिक शारीरिक प्रभाव पड़ते हैं जैसे दिल की धड़कन बढ़ जाना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, अत्यधिक पसीना आना आदि।
तनाव (Stress) का व्यक्ति पर निम्नलिखित प्रभाव नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं-
- ठीक से नींद ना आना
- भूख ना लगना
- चिड़चिड़ा एवं जल्दी गुस्सा हो जाना
- व्यक्ति जल्दी थकान का अनुभव करने लगता है
- व्यक्ति अपने कार्यों में अधिक गलतियां करने लगता है
यदि तनाव के उपरोक्त प्रभाव लंबे समय तक शरीर में बने रहते हैं तो व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है जिस कारण उसे मनोचिकित्सक से इलाज करवाना पड़ सकता है।
तनाव (Stress) के संभावित कारण
तनाव के अनेक मनोवैज्ञानिक अथवा जैविक कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ मुख्य कारण निम्न हैं
- कार्य एवं जिम्मेदारियों की अधिकता
- आर्थिक स्थिति कमजोर होना
- व्यवसाय अथवा पढ़ाई में असफलता
- यौन शोषण,
- कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाना
- कोई अनुवांशिक विकार होना
- बेरोजगारी
- कार्यस्थल पर लैंगिक, सामाजिक अथवा धार्मिक आधार पर भेदभाव का सामना करना
- शारीरिक अथवा भावनात्मक दुर्व्यवहार,
- पारिवारिक समस्याएं
- घरेलू हिंसा,
- किसी पारिवारिक सदस्य अथवा प्रिय जन की मृत्यु
- अपनी योग्यता से अधिक आकांक्षाएं करना
- किसी से की गई उम्मीदों का पूर्ण ना होना
- सम्बंधों या व्यवसाय में धोखा मिलना
- आदतन दुखी व निराश रहना
तनाव पर नियन्त्रण (Stress Management)
जीवन में थोड़ा बहुत तनाव तो सभी को होता है जो की बहुत ही सामान्य सी बात है। जीवन के सामान्य तनाव समय के साथ दूर भी हो जाते हैं।
परंतु यह भी पाया गया है कि कुछ व्यक्तियों का स्वभाव हमेशा तनाव एवं चिंता ग्रस्त रहने का ही होता है। तनाव एवं चिंता उनके व्यक्तित्व (Personality) का हिस्सा बन जाती है। ऐसी लोगों को तो निश्चित रूप से किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
परंतु सामान्य जीवन में कुछ सामान्य उपायों के द्वारा तनाव एवं तनाव के कारण उत्पन्न होने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है जिसमें से 16 महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं जो आपके तनाव रहित जीवन जीने में मददगार हो सकते हैं
1- Take it Easy (हर बात पर गंभीर ना बनें) –
जीवन में आने वाली सामान्य परेशानियों को सहज रूप में लेना चाहिए। यह मानना चाहिए कि जीवन में तनाव होना एक सामान्य घटना है और इसे सहज रूप में स्वीकार करते हुए दूर करने का प्रयास करना चाहिए। और सबसे अच्छा तो यह होगा कि आप तनाव को गंभीरता से लें ही ना। प्रायः देखा गया है कि हर छोटी-मोटी परेशानियों पर गंभीर हो जाने की प्रवृत्ति से सरल काम भी मुश्किल लगने लगते हैं और वह बाद में बड़े तनाव का कारण बन जाते हैं। यह मान कर चलिए कि यदि परेशानी आई है तो जाएगी भी बस थोड़ा धैर्य बनाकर रखिए।
2- Share with Friends ( दोस्तों के साथ दिल की बात शेयर करें) –
अपनी शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों को अपने परिवार अथवा मित्र समूह में जरूर शेयर करना चाहिए। हमेशा अपने परिवार अथवा मित्रों में कुछ ऐसे लोग जरूर बनाएं जिनके साथ आप अपनी हर बात शेयर कर सकें चाहे वे लोग उस बात के एक्सपर्ट हो या नहीं। परेशानियों को अपने प्रियजन से कह देने भर से ही उसका मानसिक प्रभाव कम होने लगता है। क्योंकि यदि हम अपनी परेशानियों के साथ घुट-घुट कर जीते रहेंगे तो यह हमें अवसाद और निराशा की स्थिति में भी पहुंचा सकता है।
जीवन में इस बात को गांठ बांध कर रख लें कि कभी भी संदिग्ध आचरण वाले लोगों से नज़दीकियां ना बढ़ाएं
3- Admit Your Shortcomings (अपनी कमियों एवं गलतियों को स्वीकार करें) –

अपनी कमियों एवं गलतियों को सहज रूप से स्वीकार कर लेना तथा उनमें सुधार करने का प्रयास करना। आप अपनी कमियों या गलतियों को जितना छुपाएंगे तो वे भविष्य में आपकी और बड़ी गलती का कारण बन सकता है और आप आंतरिक रूप से अपराध बोध से ग्रस्त रहेंगे और यह आपके दिल पर एक बोझ की तरह रहेगा। गलती होने को एक सामान्य घटना मानते हुए अपने गलतियों को स्वीकार करते हुए उसमें सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए। इससे आप एक बेहतर इंसान ही बनेंगे लेकिन यदि आप अपनी गलती और कमियों पर पर्दा डाले रहेंगे तो आपके व्यक्तित्व सुधार के संभावनाएं कम हो जाएंगी।
4- Minimise Your Needs & Dependency (अपनी जरूरतें और दूसरों पर निर्भरता कम करें)
सभी को अपनी आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह कम से कम संसाधनों और लोगों पर निर्भर रहते हुए जीना सीख ले। अपनी आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं को कम करने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप बड़े लक्ष्य बनाना छोड़ दें।
5- Never Compare Your Life with Others ( दूसरों से अपनी तुलना ना करें) –

अपने जीवन स्तर एवं आर्थिक स्तर की दूसरे से तुलना कभी नहीं करनी चाहिए।
यह आजकल के लोगों में विशेष कर युवाओं में बहुत बड़ा दोष है कि वे बिना कोई कारण अथवा आधार जाने बिना अपने जीवन की तुलना अपने से अधिक अमीर और संपन्न लोगों की चमक-धमक भरी जिंदगी से करने लगते हैं जो कि उनके अंदर कुंठा और ईर्ष्या जैसी भावनाओं को जन्म देने लगती है इसलिए अपनी तुलना हर समय दूसरों से करने से बचना चाहिए।
6- Avoid Arguments ( बेकार के वाद-विवाद में ना पड़ें ) –

कभी भी किसी अनावश्यक वाद विवाद में ना पड़े। और वाद विवाद में कभी भी दूसरे को नीचे दिखाने का प्रयास न करें। याद रखें सभी लोग कभी भी एक मत के नहीं हो सकते इसलिए जब कहीं विवाद जैसी स्थिति पैदा होती दिखे तो वहां से दूर हो जाएं। वाद विवाद कई बार झगड़ों में भी बदल जाते हैं।
कई बार लोग अपने राजनीतिक और धार्मिक विचारों को दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में लग जाते हैं जिससे कई बार अप्रिय स्थितियां भी पैदा हो जाती है। वाद विवाद करते समय आपके भीतर स्ट्रेस बढ़ाने वाले हार्मोन तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। और यदि आप वाद विवाद में अपने आप को जीता हुआ महसूस करते हैं तो आप अपने अंदर एक अहंकार भरे सुख का अनुभव करेंगे जो कि और भी खतरनाक होता है। यह आपको आगे और वाद विवाद करने के लिए प्रेरित करेगा और आप एक वाद विवाद का बम बन जाएंगे।
पिछले कुछ समय से यह देखने में आया है कि लोग छोटी-छोटी धार्मिक अथवा राजनीतिक बातों पर अपने ही लोगों से भिड़ जाते हैं। कई बार आपकी राजनीतिक या धार्मिक बहस आपके ही प्रिय लोगों से ही हो जाए तो ऐसी स्थिति में खुद ही सरेंडर कर दीजिए क्योंकि मूर्खतापूर्ण बहस से अपने रिश्तों को बिगाड़ना ठीक नहीं है। और मूर्ख, घमंडी, धर्मान्ध, नशेड़ी और सनकी की किस्म के लोगों से तो कभी वाद विवाद भूल कर भी ना करें।
7- Avoid Show-off ( दिखावा ना करें) –
बेकार के दिखावे और स्वयं की प्रशंसा से बचें। वास्तविकता के धरातल पर रहें बेकार का दिखावा करने का मतलब है कि आप अपने आप को धोखा दे रहे हैं। अपनी वर्तमान स्थिति पर संतोष करते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। यह मान लीजिए जिसे संतोष के साथ जीना आ गया उसे कभी भी निराशा, कुंठा अथवा ईर्ष्या जैसी भावनाएं छू भी नहीं सकेंगी।
8- Live Life with Sportsman Spirit ( खेल भावना के साथ जीवन जिएं) –

जीवन को खेल भावना (Sportsman Spirit) के साथ जीना चाहिए। जीवन में इसका अर्थ यह है कि आप अपनी क्षमताओं के साथ अपना सर्वोत्तम प्रयास कीजिए और उसके बाद यदि आप सफल हो जाते हैं तो जश्न बनाइए और यदि आप असफल होते हैं तो अगले प्रयास को और बेहतर करने के लिए जुट जाइए। अगले प्रयास से पहले यह विचार कर लें कि पिछली बार के प्रयास में क्या कमी रह गई थी, उनमें सुधार कीजिए आपको अगली बार सफलता जरूर मिलेगी
9- Don’t Live in the Hangover of Failures (असफलताओं को गले से लगा कर ना जिएं) –

सफलता और असफलता तो जीवन में चलती ही रहती हैं। लोग सफल होने पर तो बहुत खुश होते हैं लेकिन असफल होने पर निराशा के गर्त में डूब जाते हैं। असफल होने पर थोड़ी बहुत निराशा होना तो स्वाभाविक है परंतु एक असफलता को सब कुछ समाप्त होना नहीं मानना चाहिए। निराशा के हैंगओवर में जीना बहुत बड़ी बेवकूफी है। जब निराशा आप पर हावी होने लगे तो अपना फेवरेट म्यूजिक सुनिए, कोई मोटिवेशनल या कॉमेडी फिल्म देखिए या किसी असफलता के बाद सफल हुए व्यक्ति की जीवनी पढ़िए है, किसी भी तरह अपने को निराशा से बाहर लाने का प्रयास करिए।
कभी भी सफलताओं को अपने सिर पर मत चढ़ने दीजिए और असफलताओं को अपने ऊपर पर हावी मत होने दीजिए। एक हिंदी गाने की यह पंक्तियां आपको असफलताओं के हैंगओवर से निकलने में आपके बहुत काम की हो सकती हैं जो कि इस तरह है, “जिंदगी की यही रीत है हर के बाद ही जीत है ……”
10- Be Fitness Conscious (फिटनेस के प्रति गंभीर रहें) –
नियमित रूप से खेलकूद, योग व प्राणायाम, व्यायाम करना अथवा टहलना आदि अवश्य करें। यह बहुत जरूरी है क्योंकि खेलकूद, व्यायाम एवं योग जैसी क्रियाओं में भाग लेने से शरीर की फिटनेस स्तर के बढ़ने के साथ-साथ शरीर में स्ट्रेस उत्पन्न करने वाले हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है और आनंद प्रदान करने वाले हार्मोन डोपामिन का स्तर बढ़ता है। इसके साथ-साथ योग एवं प्राणायाम के अभ्यास से आपकी जीवनी शक्ति और आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है। नियमित रूप से व्यायाम, खेलकूद और योग अभ्यास करने से जो सबसे बड़ा अदृश्य लाभ होता है वह है आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होना।
11- Be Helpful to the Underprivileged (मजबूर लोगों की मदद करें) –

कुछ लोग हमेशा victim card खेलते हैं। वे हमें मानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा परेशानी उनको ही हो रही है और बाकी सब लोग तो सुख चैन से जी रहे हैं। उनको अपनी परेशानी ही सबसे बड़ी दिखाई देती है। ऐसे लोग नकारात्मकता से भर जाते हैं और यह तनाव का एक अनवरत स्रोत बन जाता है। इस माइंड सेट से बाहर आना बहुत जरूरी है
यदि मौका मिले तो आप अपने से कम सक्षम और जरूरतमंद लोगों की अपनी हैसियत के अनुसार मदद अवश्य करें। जब आप किसी की मदद करते हैं तो आपके अंदर सक्षम होने का भाव आता है जो कि आत्मविश्वास और मनोबल को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होता है। इसमें एक हिंदी गाने की पंक्तियां बहुत ही सार्थक हैं जिसे आपको हमेशा याद रखनी चाहिए, यह पंक्ति है, “दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है…”
12- Follow Your Hobbies (अपने शौक भी पूरे करें) –
अपनी पसंद का संगीत सुनना, गायन एवं वादन का अभ्यास करना तथा अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए। कोशिश करें कि आपको कम से कम एक वाद्य यंत्र बजाना जरूर आता हो। अपनी पसंद का संगीत सुनने अथवा गुनगुनाने से की आपका मूड ठीक हो जाता है। इसके अलावा आप टीवी एवं रेडियो पर अपनी पसंद के कार्यक्रमों का आनंद भी ले सकते हैं।
आजकल के मोबाइल के युग में कभी-कभी व्यक्ति मनोरजंन के नाम पर मोबाइल देखते हुए अपने कीमती वक्त को बर्बाद कर देते हैं। इसलिए मोबाइल पर मनोरंजन और वक्त की बर्बादी के बीच में अंतर करना आना बहुत जरूरी है।
13- Sound Sleep (गहरी नींद लें) –
अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन लगभग 8 घन्टे की अच्छी गहरी नींद एक टानिक की तरह है। यह न केवल हमारे शरीर की रिकवरी और आराम के लिए जरूरी है बल्कि यह हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है. अच्छी गहरी नींद तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन कार्टिसोल (Cortisol) को नियंत्रित करती है तथा संतोष व खुशी उत्पन्न करने वाले हार्मोन डोपामिन (Dopamine) के उत्पादन में वृद्धि करती है। एक अच्छी गहरी नींद लेने के बात आप स्फूर्ती और उमंग का अनुभव करते हैं।
14- Say No to Drugs (नशे से दूर रहें) –

कुछ लोग इस गलत धारणा में जीते हैं कि नशा करने से उन्हें तनाव से मुक्ति मिलती है। किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, तम्बाकू, पान मसाला, गुटखा जैसी लतों से हमेशा दूर रहें। ये चीजें आपके शरीर में अनावश्यक उत्तेजना लाने के साथ-साथ कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाती हैं। इससे पैसा और स्वास्थ्य तो खराब होता ही है साथ ही आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी दाग लग जाता है।
15- Spill Your Emotions (मन का गुबार निकाल दें) –
जब तनाव दूर करने के सभी उपाय करने के बाद भी आप तनाव और निराशा से घिरे रहते हैं तो सतर्क हो जाएं, इसका मतलब आपके भीतर नकारत्मकता का गुबार इकट्ठा हो रहा है। कभी भी अपने भीतर नकारात्मक भावनाओं का गुबार इकट्ठा न होने दें। उन्हें किसी भी तरह बाहर निकालने का प्रयास करें।
नीचे बताए गए उपाय को आप तनाव दूर करने के अंतिम उपाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
जीवन में कभी ऐसी परिस्थितियों भी आती है कि आपके पास कभी कोई ऐसा मित्र या व्यक्ति नहीं होता है जिससे आप अपने दिल की बात कह कर अपना मन हल्का कर लें। ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा तरीका है अपने से स्वयं बात करना (Self Talking).

इसके लिए कोई ऐसा एकांत स्थान तलाशिये जहां कोई आपको नोटिस नहीं कर रहा हो ना ही कोई आपकी बात सुन पाए। वहां पर स्वयं से बात कीजिए और स्वयं ही उसका जवाब दीजिए। याद रखिए हमारा एक अंतरमन भी होता है जिसकी समझ हमारी बाहरी समझ से बहुत ऊपर होती है। ऐसा करके देखिए आपको बहुत हल्कापन महसूस होगा। अगर बहुत गुस्सा या निराशा है तो खूब चीखिए, चिल्लाइए, गाली दीजिए, रोइए और अपने मन की सारी भड़ास निकाल दीजिए। निःसंकोच वो हर काम करिए जो आप खुलकर औरों के सामने नहीं कर पाते हैं। ऐसा करके आपके मन की सारी भड़ास और गुबार निकल जाएगा।
(इस काम को करने में ध्यान यही रखना है कि यह काम नितान्त रूप से ऐसे एकांत स्थान पर ही किया जाए जहां आपको कोई नोटिस ना कर पाए नहीं तो लोग आपको पागल समझेंगे। जीवन की कुछ बातें हमेशा सीक्रेट ही रहनी चाहिए।)
16- Meditate (अपने अराध्य का ध्यान करें) –

उपरोक्त सभी उपाय तो आपको तनाव से उबरने में लाभ देंगे ही परंतु जीवन में प्रतिदिन यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रतिदिन किसी निश्चित समय पर अपने आराध्य का ध्यान अवश्य करना चाहिए तथा यह विश्वास करना कि उसके आराध्य उसके साथ हमेशा हैं तथा वे उसे उसके उद्देश्य पूरा करने की शक्ति वह साहस प्रदान करेंगे। (धार्मिक होना बहुत ही पावन एवं पवित्र कार्य है परंतु धार्मिक रूप से अंधविश्वासी एवं धर्मान्ध हो जाना मूर्खता का सबसे बड़ा प्रमाण है। अपने अराध्य के प्रति अपनी आगाध श्रद्धा बनाए रखिए परंतु दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं या आप दूसरों की आराध्य के बारे में क्या सोचते हैं इस चीज से दूर रहिए। यदि भक्ति, इबादत या प्रेयर करने के बाद भी हमें वाद विवाद, तनाव, गुस्सा, अहंकार से घिर जाना है तो इसका क्या फायदा?)
Conclusion
ऊपर लिखी सभी बातों का सारांश यह है कि सफलता और असफलता तथा आशा और निराशा तो जीवन में चलती ही रहती हैं। जहां सफल होने पर खुशी का एहसास होता है तो असफल होने पर थोड़ी बहुत निराशा और तनाव का होना भी स्वाभाविक है। इसलिए इसे एक सामान्य घटना मानते हुए बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
जब आप तनाव और निराशा के हैंगओवर जीते रहते हैं तो यह है न केवल आपको नुकसान पहुंचाती है बल्कि आपके जितने भी प्रियजन हैं जो आपको प्यार करते हैं या जो आप पर निर्भर हैं यह उनको भी प्रभावित करती हैं। मतलब एक आपका परेशान होना कितने लोगों को परेशानी में डाल देता है इस बात का ध्यान रखिए। तो कम से कम अगर अपने लिए नहीं तो दूसरों के लिए ही सही आप तनाव और निराशा को छोड़िए।
अगर कभी निराशा से मन भारी हो ही जाए या आत्मविश्वास कम होता लगे तो हिंदी गाने की इन पंक्तियों को गुनगुनाइए, “इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना………….”
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हम आपके तनाव रहित जीवन की कामना करते हैं
Wish you a Stress Free Life

Good content, keep writing sir…
Guru thanks for your encouraging words.
keep reading keep responding and keep sharing
स्वास्थ्यवर्धक आलेख हेतु गुरुदेव को कोटिश: साधुवाद।
उत्साहवर्धक शब्दों हेतु आपको धन्यवाद 🙏
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मैं सभी के तनाव रहित जीवन की कामना करता हूं
It’s now need of an hour to talk on this topic…Thanks for sharing!!
Thanks for your encouraging words 🙏
Sir padhakar dil ko bahut sukun Mila
लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
हम आपके तनाव रहित जीवन की कामना करते हैं
बहुत ही सारगर्भित लेख है सर। तनाव, कुंठा,निराशा आदि नकारात्मक प्रवृत्तियों की धज्जियां उड़ा देने वाले इस आर्टिकल के लिए बहुत बहुत बधाई। वास्तव में समस्याओं का समाधान हमारे व्यक्तित्व, अंतर्मन और सोच में ही निहित होता है। बस थोड़ा सा यह जानने की आवश्यकता होती है कि हमारे व्यक्तित्व में कितनी शक्तियां छिपी हुई हैं। आपके द्वारा सुझाये गये उपाय ना केवल व्यक्ति को उसके व्यक्तित्व की क्षमताओं से परिचित कराते हैं बल्कि साथ ही साथ मानसिक समस्याओ का समाधान भी उपलब्ध करवाते हैं। एक बार पुनः साधुवाद।
आपने इस लेख को सार्थक पाया, आपके उत्साहवर्धक शब्दों हेतु आपको धन्यवाद 🙏
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इसी प्रकार मार्गदर्शन करते रहें
मैं सभी के तनाव रहित जीवन की कामना करता हूं