Wellness And Lifestyle

This article covers all important aspects on Wellness and LifeStyle alongwith important MCQs

खुशहाली (उत्तम स्वास्थ्य) एवं जीवन शैली 

(Wellness & Lifestyle)

Wellness & Lifestyle
Wellness & Lifestyle
  • आनंदित करने वाली जीवनशैली का महत्व
  • स्वस्थ जीवन शैली में शारीरिक क्रियाओं का महत्व
  • तनाव पर नियंत्रण
  • मोटापा एवं बढ़ते वजन पर नियंत्रण

 

सामान्य शब्दों में स्वास्थ्य का अर्थ शरीर की उस अवस्था है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक व्याधि रहित होता है। 

साथ ही वह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होता है, व पौष्टिक भोजन का सेवन करता है तथा दोष-कारक खानपान से परहेज़ करता है। उसका रक्तचाप व वज़न नियंत्रित रहता है। पर्याप्त नींद लेता है तथा धूम्रपान, शराब व ड्रग्स जैसे हानिकारक पदार्थों से भी दूर रहता है। सामान्यतः ये वे स्थितियां हैं जिन्हें व्यक्ति स्वस्थता का मानक मानता है। 

 

परंतु स्वास्थ्य से बढ़ कर एक और आदर्श स्थिति होती है जिसे वैलनेस (wellness) अथवा सुख एवं आनंद की स्थिति कहते हैं। जिसका क्षेत्र व्यापक है।

 

वैलनेस (खुशहाली – wellness) वह स्थिति है जहां व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होने के साथ साथ भावनात्मक रूप से संतुलित हो, सामाजिक रूप से सक्रिय व सम्मानित हो, व्यावसायिक रूप से संतुष्ट हो, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो, उसके विचार सकारात्मक हों तथा उसकी उपस्थिति से लोगों में आनन्द व सकारात्मकता का संचार होता हो। 

 

कोइ व्यक्ति स्वस्थ, धनी अथवा सफल हो सकता है परन्तु यह जरूरी नहीं कि वह ‘वैलनेस’ की स्थिति में भी हो। 

 

हम अपने आसपास ऐसे अनेक लोगों को देख सकते हैं जो कि बहुत ही सफल, स्वस्थ, धनी, प्रतिभा एवं सुविधा संपन्न होते हुए भी व्यवहारिक रुप से बहुत स्वार्थी, गुस्सैल, चिड़चिड़े, नशे की लत में डूबे हुए, अथवा तनावग्रस्त हो सकते हैं। तो क्या ऐसे सफल व धनी लोगों को सुखी कहा जा सकता है?

 

वैलनेस हमारे स्वस्थ होने के साथ साथ हमारे अंदर अन्य लोगों व समाज के प्रति सभी कल्याणकारी होने के गुणों की उपस्थिति का होना है। 

 

वैलनेस का क्षेत्र बहुत व्यापक है।

 

वैलनेस के विभिन्न पक्ष निम्न हैं:

 

शारीरिक वैलनेस:

स्वस्थ होने का अर्थ मस्तिष्क और शरीर का रोग मुक्त होना है। स्वस्थ रहने के अलावा व्यक्ति को अपनी शारीरिक संरचना एवं विन्यास (Body Posture) से भी प्रसन्न एवं संतुष्ट रहना भी आवश्यक होता है। अपनी शारीरिक संरचना एवं विन्यास को लेकर व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार की हैं हीन भावना नहीं होनी चाहिए। किसी के स्वस्थ रहने के लिए नियमित शारीरिक व्यायाम, श्रम व रचनात्मक गतिविधियां करनी चाहिए।

 

भावनात्मक खुशहाली (Emotional Wellness) 

भावनाएं वैलनेस का दूसरा अंग हैं। हमें भावनात्मक रूप से स्थिर होना चाहिए अर्थात हमारा अपनी भावनाओं के ऊपर पूर्ण नियंत्रण हो। जो लोग भावनात्मक रूप से स्थिर नहीं होते हैं वे दुखी, चिड़चिड़े, तनावपूर्ण, हमेशा शिकायत या याचना करने वाले, दूसरों के दोष ढूंढने वाले, निराशावादी अथवा गुस्सैल प्रवृत्ति के होते हैं।

 

व्यावसायिक एवम् आर्थिक वैलनेस

 

यह वैलनेस की सबसे महत्वपूर्ण पक्षों में से एक है जिस पर वैलनेस की अन्य पक्ष निर्भर करते हैं।

यह पक्ष हमारे करियर और कार्य से सम्बद्ध है। व्यवसायिक वैलनेस में महत्वपूर्ण बातें आती हैं

  • क्या हम अपने काम पर जाते हुए प्रसन्न रहते हैं? 
  • क्या हम अपनी नौकरी अथवा व्यवसाय को सम्मानजनक मानते हैं? 
  • क्या हम अपनी नौकरी से संतुष्ट हैं? 
  • क्या हम हम अपने करियर को अर्थपूर्ण व उद्देश्यपूर्ण मानते हैं। 
  • क्या हम मानते हैं कि हमारे पास तरक्की करने के पर्याप्त अवसर हैं? 
  • क्या आप अपनी ख़ुशी के लिए पर्याप्त धन कमा लेते हैं?
  • क्या हम अपने कार्य से आनन्द की प्राप्ति करते हैं? 

बहुत से लोग अपनी नौकरी अथवा व्यवसाय को ठीक नही मानते हैं परन्तु अपनी वित्तीय सुरक्षा के लिए बेमन से उस कार्य को करते रहते हैं। क्योंकि हमारा अधिकांश समय  आजीविका का साधन बनाए रखने में खर्च होता है, और इसी पर हमारा एवं हमारे परिवार का जीवन निर्भर करता है। इसलिए यह वैलनेस का अति महत्वपूर्ण भाग है।  

 

आध्यात्मिक वैलनेस

 

आध्यात्मिकता भी वैलनेस का एक महत्वपूर्ण पक्ष है जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं। 

आध्यात्मिकता का संबंध धर्म से नहीं है परंतु धर्म को इसमें शामिल किया जा सकता है। आध्यात्मिक वैलनेस में निम्न महत्वपूर्ण बिंदु आते है

  • संयमित जीवन-चर्या, 
  • सही या गलत बातों के प्रति हमारा स्पष्ट दृष्टिकोण, 
  • अपनी आलोचना से विचलित ना होना
  • जनकल्याण की सोच, 
  • दया भाव, 
  • दूसरों की निस्वार्थ सहायता करना, 
  • प्रकृति के प्रति सम्मान, 
  • अपनी गलती होने पर क्षमा प्रार्थी होना तथा दूसरों की गलती होने पर क्षमा कर देना, 
  • शोषित व दमितों के साथ सहानुभूति होना, 
  • नये विचारों और अवधारणाओं के प्रति खुला दृष्टिकोण रखना
  • अपने से अलग विचार रखने वाले लोगों का सम्मान करना 
  • जीवन के उद्देश्य में जनकल्याण की भावना होना।  

 

सामाजिक   वैलनेस

सामाजिक वैलनेस में निम्न महत्वपूर्ण बातें आती हैं

  • अपने समाज के हितों के प्रति जागरूक एवं अपने दायित्वों के प्रति तत्पर रहना। 
  • दूसरे लोगों के साथ अपने संबंधों की गुणवत्ता में सुधार,
  • दूसरे लोगों की भाषा, धर्म, संस्कृति व मान्यताओं के प्रति आदर रखना
  • समाजिक कार्यों में सम्मिलित होना व सहयोग करना, 
  • परिवार जनों व अन्य लोगों से स्नेह व सम्मान करना, 
  • प्रत्येक के प्रति घनिष्ठता से जुड़ाव, 
  • दूसरों की प्रतिभा का सम्मान एवं उनसे सीखना, 
  • भरोसा करना, 
  • ईमानदारी, 
  • दूसरों की सहायता करना व उनसे सहायता प्राप्त करना भी वैलनेस का पक्ष है।

 

बौद्धिक वैलनेस

बौद्धिक वैलनेस भी महत्वपूर्ण है व्यक्ति का अस्तित्व उसकी बौद्धिक क्षमता पर ही होता है। साथ ही मानव जाति का उत्थान इसी पर निर्भर होता है। 

बौद्धिक वैलनेस में निम्न महत्वपूर्ण बिंदु आते हैं 

  • क्या हम स्थिति एवं परिस्थितियों का आकलन तर्क पूर्ण तरीके से कर पाते हैं?
  • क्या हम समस्याओं का सामना एवं उनका समाधान विवेकपूर्ण तरीके से करते हैं?
  • क्या हम निर्भीकता और आलोचनात्मक सोचने में समर्थ हैं? 
  • क्या हम नये विचारों और अवधारणाओं के के प्रति खुला दृष्टिकोण रखते हैं
  • क्या हम अपने से अलग विचार रखने वाले लोगों की प्रशंसा करते हैं, उन्हें स्वीकार करते हैं?  
  • क्या आप स्वयं को सुरक्षित क्षेत्र से निकाल कर किसी चुनौती के समक्ष खड़ा करते हैं? 
  • क्या आप अपने आप में और रचनात्मक गुणों जैसे कला, संगीत, लेखन आदि में सुधार करना चाहते हैं?  

 

पर्यावरणीय वैलनेस

 

यह वैलनेस का लगभग सर्वाधिक नज़रअंदाज़ किया जाने का पहलू है। इस महीने में महत्वपूर्ण बातें आती हैं। 

 

  • यह हमारा प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को प्रकट करती है कि हम प्रकृति की कितनी परवाह करते हैं। 
  • क्या हम कोशिश करते हैं हमारे कार्यों से ही पर्यावरण को कोई नुकसान ना पहुंचे?
  • क्या हम मानते हैं कि प्राकृतिक संसाधन बहुत सीमित है तथा ये सभी के जीवन के लिए अत्यावश्यक है।
  • क्या हम प्रकृति के प्रति कृतज्ञ रहते हैं? 
  • क्या हम प्रकृति एवं पर्यावरण के संरक्षण को आगामी पीढ़ियों हेतु अपना कर्तव्य मानते हैं?

 

Stress Management: जानिए तनाव क्या होता है और इसे दूर करने के व्यवहारिक उपाय

आज के युग में हर व्यक्ति किसी न किसी कारण से Stress (तनाव) में जीने को मजबूर है। प्रस्तुत आर्टिकल “Stress Management: जानिए तनाव क्या होता है और इसे दूर करने के व्यवहारिक उपाय” में हम आपको Stress Management के 16 व्यवहारिक उपाय बताने जा रहे हैं जो आपके काम के हो सकते हैं।

 

तनाव एवं उस पर नियन्त्रण (Stress & Stress Management)

 

तनाव (Stress) जीवन का एक अभिन्न अंग है। बिना तनाव की जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार के तनाव का सामना करता रहता है। 

सामान्य भाषा में हम तनाव को Stress (स्ट्रेस), Anxiety (एंग्जायटी), Tension ( टेंशन), Nervousness (नर्वसनेस) और Pressure (प्रेशर) के नाम से भी जानते हैं।

 

मनोविज्ञान के अनुसार थोड़ी बहुत मात्रा में तनाव का होना आवश्यक भी है। तनाव की स्थिति में व्यक्ति अतिरिक्त शारीरिक क्षमता और मानसिक सतर्कता के साथ कार्य करता है जिससे हम अपने कार्यों को ठीक से कर पाते हैं।

 

परंतु यदि तनाव इस हद तक बढ़ जाए कि उसके प्रभाव से हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमताएं नकारात्मक रूप से प्रभावित होती हैं जिससे हम अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाते हैं और निरंतर लंबे समय तक तनाव की स्थिति में रहते हैं तो हम शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं।

 

तनाव (Stress) क्या है

 

तनाव किसी अप्रिय अथवा कठिन परिस्थितियों के कारण व्यक्ति में शारीरिक एवं मानसिक रूप से होने वाले वे नकारात्मक परिवर्तन होते हैं जो कि व्यक्ति को बेचैन व असहज कर देते हैं। 

 

तनाव होने पर व्यक्ति के शरीर में अनेक जैविक-रासायनिक परिवर्तन होते हैं जिस कारण शरीर में तनाव उत्पन्न करने वाले हारमोंस का स्राव होने लगता है जिससे व्यक्ति में अनेक नकारात्मक भावनाएं जैसे गुस्सा, भय, चिड़चिड़ापन, अवसाद, घबराहट, निराशा आदि जगने लगती हैं जिस कारण व्यक्ति में अनेक तत्कालिक शारीरिक प्रभाव पड़ते हैं जैसे दिल की धड़कन बढ़ जाना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, अत्यधिक पसीना आना आदि।

 

तनाव (Stress) का व्यक्ति पर निम्नलिखित प्रभाव नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं-

 

  • ठीक से नींद ना आना
  • भूख ना लगना
  • चिड़चिड़ा एवं जल्दी गुस्सा हो जाना
  • व्यक्ति जल्दी थकान का अनुभव करने लगता है
  • व्यक्ति अपने कार्यों में अधिक गलतियां करने लगता है

 

यदि तनाव के उपरोक्त प्रभाव लंबे समय तक शरीर में बने रहते हैं तो व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है जिस कारण उसे मनोचिकित्सक से इलाज करवाना पड़ सकता है।

 

तनाव (Stress) के संभावित कारण

 

तनाव के अनेक मनोवैज्ञानिक अथवा जैविक कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ मुख्य कारण निम्न हैं

  • कार्य एवं जिम्मेदारियों की अधिकता
  • व्यवसाय अथवा पढ़ाई में असफलता
  • यौन शोषण,
  • कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाना
  • कोई अनुवांशिक विकार होना
  • बेरोजगारी
  • कार्यस्थल पर लैंगिक, सामाजिक अथवा धार्मिक आधार पर भेदभाव का सामना करना 
  • शारीरिक अथवा भावनात्मक दुर्व्यवहार, 
  • पारिवारिक समस्याएं
  • घरेलू हिंसा, 
  • किसी पारिवारिक सदस्य अथवा प्रिय जन की मृत्यु
  • अपनी योग्यता से अधिक आकांक्षाएं करना
  • किसी से की गई उम्मीदों का पूर्ण ना होना
  • सम्बंधों या व्यवसाय में धोखा मिलना
  • आदतन दुखी व निराश रहना

 

तनाव पर नियन्त्रण (Stress Management)

 

जीवन में थोड़ा बहुत तनाव तो सभी को होता है जो की बहुत ही सामान्य सी बात है। जीवन की सामान्य तनाव समय के साथ दूर भी हो जाते हैं। 

परंतु यह भी पाया गया है कि कुछ व्यक्तियों का स्वभाव हमेशा तनाव एवं चिंता ग्रस्त रहने का ही होता है। तनाव एवं चिंता उनके व्यक्तित्व (Personality) का हिस्सा बन जाती है। ऐसी लोगों को तो निश्चित रूप से किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

 

परंतु सामान्य जीवन में कुछ सामान्य उपायों के द्वारा तनाव एवं तनाव के कारण उत्पन्न होने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है जिसमें से 16 महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं जो आपके तनाव रहित जीवन जीने में मददगार हो सकते हैं

 

  • Take it Easy (हर बात पर गंभीर ना बनें) – 

जीवन में आने वाली सामान्य परेशानियों को सहज रूप में लेना। यह मानना चाहिए कि जीवन में तनाव होना एक सामान्य घटना है और इसे सहज रूप में स्वीकार करते हुए दूर करने का प्रयास करना चाहिए। और सबसे अच्छा तो यह होगा कि आप तनाव को गंभीरता से लें ही ना। प्रायः देखा गया है कि हर छोटी-मोटी परेशानियों पर गंभीर हो जाने की प्रवृत्ति से सरल काम भी मुश्किल लगने लगते हैं और वह बाद में बड़े तनाव का कारण बन जाते हैं। यह मन कर चलिए कि यदि परेशानी आई है तो जाएगी भी बस थोड़ा धैर्य बनाकर रखिए

 

  • Share with Friends ( दोस्तों के साथ दिल की बात शेयर करें)- 

अपनी शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों को अपने परिवार अथवा मित्र समूह में जरूर शेयर करना चाहिए। हमेशा अपने परिवार अथवा मित्रों में कुछ ऐसे लोग जरूर बनाएं जिनके साथ आप अपनी हर बात शेयर कर सकें चाहे वे लोग उस बात के एक्सपर्ट हो या नहीं। परेशानियों को अपने प्रियजन से कह देने भर से ही उसका मानसिक प्रभाव कम होने लगता है। 

क्योंकि यदि हम अपनी परेशानियों के साथ घुट-घुट कर जीते रहेंगे तो यह हमें अवसाद और निराशा की स्थिति में भी पहुंचा सकता है। 

जीवन में इस बात को गांठ बांध कर रख लें कि कभी भी संदिग्ध आचरण वाले लोगों से नज़दीकियां ना बढ़ाएं

 

  • Admit Your Shortcomings (अपनी कमियों एवं गलतियों को स्वीकार करें)- 

अपनी कमियों एवं गलतियों को सहज रूप से स्वीकार कर लेना तथा उनमें सुधार करने का प्रयास करना। आप अपनी कमियों या गलतियों को जितना छुपाएंगे तो वे भविष्य में आपकी और बड़ी गलती का कारण बन सकता है औरआप आंतरिक रूप से अपराध बोध से ग्रस्त रहेंगे और यह आपके दिल पर एक बोझ की तरह रहेगा। गलती होने को एक सामान्य घटना मानते हुए अपने गलतियों को स्वीकार करते हुए उसमें सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए। इससे आप एक बेहतर इंसान ही बनेंगे लेकिन यदि आप अपनी गलती और कमियों पर पर्दा डाले रहेंगे तो आपके व्यक्तित्व सुधार के संभावनाएं कम हो जाएंगी।

 

  • Minimise Your Needs & Dependency ( अपनी जरूरतें और दूसरों पर निर्भरता कम करें) –

सभी को अपनी आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह कम से कम संसाधनों और लोगों पर निर्भर रहते हुए जीना सीख ले। अपनी आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं को कम करने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप बड़े लक्ष्य बनाना छोड़ दें। 

 

  • Never Compare Your Life with Others ( दूसरों से अपनी तुलना ना करें) –

अपने जीवन स्तर एवं आर्थिक स्तर की दूसरे से तुलना कभी नहीं करनी चाहिए। यह आजकल के लोगों में विशेष कर युवाओं में बहुत बड़ा दोष है कि वे बिना कोई कारण अथवा आधार जाने बिना अपने जीवन की तुलना अपने से अधिक अमीर और संपन्न लोगों की चमक-धमक भरी जिंदगी से करने लगते हैं जो कि उनके अंदर कुंठा और ईर्ष्या जैसी भावनाओं को जन्म देने लगती है इसलिए अपनी तुलना हर समय दूसरों से करने से बचना चाहिए। 

 

  • Avoid Arguments ( बेकार के वाद-विवाद में ना पड़ें )

कभी भी किसी अनावश्यक वाद विवाद में ना पड़े। और वाद विवाद में कभी भी दूसरे को नीचे दिखाने का प्रयास न करें। याद रखें सभी लोग कभी भी एक मत के नहीं हो सकते इसलिए जब कहीं विवाद जैसी स्थिति पैदा होती दिखे तो वहां से दूर हो जाएं। वाद विवाद कई बार झगड़ों में भी बदल जाते हैं। 

कई बार लोग अपने राजनीतिक और धार्मिक विचारों को दूसरे से श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में लग जाते हैं जैसे कई बार अप्रिय स्थितियां भी पैदा हो जाती है। वाद विवाद करते समय आपके भीतर स्ट्रेस बढ़ाने वाले हार्मोन तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। और यदि आप अपने आप को वाद-वाद में जीता हुआ महसूस करते हैं तो आप अपने अंदर एक अहंकार भरे सुख का अनुभव करेंगे जो कि और भी खतरनाक होता है। यह आपको आगे और वाद विवाद करने के लिए प्रेरित करेगा और आप एक वाद विवाद का बम बन जाएंगे।

पिछले कुछ समय से यह देखने में आया है कि लोग छोटी-छोटी धार्मिक अथवा राजनीतिक बातों पर अपने ही लोगों से भिड़ जाते हैं। कई बार आपकी राजनीतिक या धार्मिक बहस आपके ही प्रिय लोगों से ही हो जाए तो ऐसी स्थिति में खुद ही सरेंडर कर दीजिए क्योंकि मूर्खतापूर्ण बहस से अपने रिश्तों को बिगाड़ना ठीक नहीं है। और मूर्ख, घमंडी, धर्मान्ध, नशेड़ी और सनकी की किस्म के लोगों से तो कभी वाद विवाद भूल कर भी ना करें। 

 

  • Avoid Show-off ( दिखावा ना करें) –

बेकार के दिखावे और स्वयं की प्रशंसा से बचें। वास्तविकता के धरातल पर रहें बेकार का दिखावा करने का मतलब है कि आप अपने आप को धोखा दे रहे हैं। अपनी वर्तमान स्थिति पर संतोष करते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। यह मान लीजिए जिसे संतोष के साथ जीना आ गया उसे कभी भी निराशा, कुंठा अथवा ईर्ष्या जैसी भावनाएं छू भी नहीं सकेंगी।

 

  • Live Life with Sportsman Spirit ( खेल भावना के साथ जीवन जिएं) –

जीवन को खेल भावना (Sportsman Spirit) के साथ जीना चाहिए। जीवन में इसका अर्थ यह है कि आप अपनी क्षमताओं के साथ अपना सर्वोत्तम प्रयास कीजिए और उसके बाद यदि आप सफल हो जाते हैं तो जश्न बनाइए और यदि आप असफल होते हैं तो अगले प्रयास को और बेहतर करने के लिए जुट जाइए। अगले प्रयास से पहले यह विचार कर लें कि पिछली बार के प्रयास में क्या कमी रह गई थी, उनमें सुधार कीजिए आपको अगली बार सफलता जरूर मिलेगी

 

  • Don’t Live in the Hangover of Failures (असफलताओं को गले से लगा कर ना जिएं) –

सफलता और असफलता तो जीवन में चलती ही रहती हैं। लोग सफल होने पर तो बहुत खुश होते हैं लेकिन असफल होने पर निराशा के गर्त में डूब जाते हैं। असफल होने पर थोड़ी बहुत निराशा होना तो स्वाभाविक है परंतु एक असफलता को सब कुछ समाप्त होना नहीं मानना चाहिए। निराशा के हैंगओवर में जीना बहुत बड़ी बेवकूफी है। जब निराशा आप पर हावी होने लगे तो अपना फेवरेट म्यूजिक सुनिए, कोई मोटिवेशनल या कॉमेडी फिल्म देखिए या किसी असफलता के बाद सफल हुए व्यक्ति की जीवनी पढ़िए है, किसी भी तरह अपने को निराशा से बाहर लाने का प्रयास करिए। 

कभी भी सफलताओं को अपने सिर पर मत चढ़ने दीजिए और असफलताओं को अपने ऊपर पर हावी मत होने दीजिए। एक हिंदी गाने की यह पंक्तियां आपको असफलताओं के हैंगओवर से निकलने में आपके बहुत काम की हो सकती हैं जो कि इस तरह है, “जिंदगी की यही रीत है हर के बाद ही जीत है ……”

 

  • Be Fitness Conscious (फिटनेस के प्रति गंभीर रहें) – 

नियमित रूप से खेलकूद, योग व प्राणायाम, व्यायाम करना अथवा टहलना आदि अवश्य करें। यह बहुत जरूरी है क्योंकि खेलकूद, व्यायाम एवं योग जैसी क्रियाओं में भाग लेने से शरीर की फिटनेस स्तर के बढ़ने के साथ-साथ शरीर में स्ट्रेस उत्पन्न करने वाले हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है और आनंद प्रदान करने वाले हार्मोन डोपामिन का स्तर बढ़ता है। इसके साथ-साथ योग एवं प्राणायाम के अभ्यास से आपकी जीवनी शक्ति और आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है। नियमित रूप से व्यायाम, खेलकूद और योग अभ्यास करने से जो सबसे बड़ा अदृश्य लाभ होता है वह है आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होना।

 

  • Be Helpful to the Underprivileged (मजबूर लोगों की मदद करें ) – 

कुछ लोग हमेशा victim card खेलते हैं। वे हमें मानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा परेशानी उनको ही हो रही है और बाकी सब लोग तो सुख चैन से जी रहे हैं। उनको अपनी परेशानी ही सबसे बड़ी दिखाई देती है। ऐसे लोग नकारात्मकता से भर जाते हैं और यह तनाव का एक अनवरत स्रोत बन जाता है। इस माइंड सेट से बाहर आना बहुत जरूरी है

यदि मौका मिले तो आप अपने से कम सक्षम और जरूरतमंद लोगों की अपनी हैसियत के अनुसार मदद अवश्य करें। जब आप किसी की मदद करते हैं तो आपके अंदर सक्षम होने का भाव आता है जो कि आत्मविश्वास और मनोबल को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होता है। इसमें एक हिंदी गाने की पंक्तियां बहुत ही सार्थक हैं जिसे आपको हमेशा याद रखनी चाहिए, यह पंक्ति है, “दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है…”

 

  • Follow Your Hobbies ( अपने शौक भी पूरे करें )- 

अपनी पसंद का संगीत सुनना, गायन एवं वादन का अभ्यास करना तथा अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए। कोशिश करें कि आपको कम से कम एक वाद्य यंत्र बजाना जरूर आता हो। अपनी पसंद का संगीत सुनने अथवा गुनगुनाने से की आपका मूड ठीक हो जाता है। इसके अलावा आप टीवी एवं रेडियो पर अपनी पसंद के कार्यक्रमों का आनंद भी ले सकते हैं। 

आजकल के मोबाइल के युग में कभी-कभी व्यक्ति मनोरजंन के नाम पर मोबाइल देखते हुए अपने कीमती वक्त को बर्बाद कर देते हैं। इसलिए मोबाइल पर मनोरंजन और वक्त की बर्बादी के बीच में अंतर करना आना बहुत जरूरी है।

 

  • Sound Sleep (गहरी नींद लें) –

अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन लगभग 8 घन्टे की अच्छी गहरी नींद एक टानिक की तरह है। यह न केवल हमारे शरीर की रिकवरी और आराम के लिए जरूरी है बल्कि यह हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है. अच्छी गहरी नींद तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन कार्टिसोल (Cortisol) को नियंत्रित करती है तथा संतोष व खुशी उत्पन्न करने वाले हार्मोन डोपामिन (Dopamine) के उत्पादन में वृद्धि करती है। एक अच्छी गहरी नींद लेने के बात आप स्फूर्ती और उमंग का अनुभव करते हैं।

 

  • Say No to Drugs (नशे से दूर रहें) – 

कुछ लोग इस गलत धारणा में जीते हैं कि नशा करने से उन्हें तनाव से मुक्ति मिलती है। किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, तम्बाकू, पान मसाला, गुटखा जैसी लतों से हमेशा दूर रहें। ये चीजें आपके शरीर में अनावश्यक उत्तेजना लाने के साथ-साथ कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाती हैं। इससे पैसा और स्वास्थ्य तो खराब होता ही है साथ ही आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी दाग लग जाता है। 

 

  • Spill Your Emotions (मन का गुबार निकाल दें) –

जब तनाव दूर करने के सभी उपाय करने के बाद भी आप तनाव और निराशा से घिरे रहते हैं तो सतर्क हो जाएं, इसका मतलब आपके भीतर नकारत्मकता का गुबार इकट्ठा हो रहा है। कभी भी अपने भीतर नकारात्मक भावनाओं का गुबार इकट्ठा न होने दें। उन्हें किसी भी तरह बाहर निकालने का प्रयास करें। 

नीचे बताए गए उपाय को आप तनाव दूर करने के अंतिम उपाय के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

जीवन में कभी ऐसी परिस्थितियों भी आती है कि आपके पास कभी कोई ऐसा मित्र या व्यक्ति नहीं होता है जिससे आप अपने दिल की बात कह कर अपना मन हल्का कर लें। ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा तरीका है अपने से स्वयं बात करना (Self Talking).

इसके लिए कोई ऐसा एकांत स्थान तलाशिये जहां कोई आपको नोटिस नहीं कर रहा हो ना ही कोई आपकी बात सुन पाए। वहां पर स्वयं से बात कीजिए और स्वयं ही उसका जवाब दीजिए। याद रखिए हमारा एक अंतरमन भी होता है जिसकी समझ हमारी बाहरी समझ से बहुत ऊपर होती है। ऐसा करके देखिए आपको बहुत हल्कापन महसूस होगा। अगर बहुत गुस्सा या निराशा है तो खूब चीखिए, चिल्लाइए, गाली दीजिए, रोइए और अपने मन की सारी भड़ास निकाल दीजिए। निःसंकोच वो हर काम करिए जो आप खुलकर औरों के सामने नहीं कर पाते हैं। ऐसा करके आपके मन की सारी भड़ास और गुबार निकल जाएगा। 

(इस काम को करने में ध्यान यही है रखना है कि यह काम नितान्त रूप से ऐसे एकांत स्थान पर ही किया जाए जहां आपको कोई नोटिस ना कर पाए नहीं तो लोग आपको पागल समझेंगे। जीवन की कुछ बातें हमेशा सीक्रेट ही रहनी चाहिए।)

 

  • Meditate ( अपने अराध्य का ध्यान करें) –

उपरोक्त सभी उपाय तो आपको तनाव से उबरने में लाभ देंगे ही परंतु जीवन में प्रतिदिन यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रतिदिन किसी निश्चित समय पर अपने आराध्य का ध्यान अवश्य करना चाहिए  तथा यह विश्वास करना कि उसके आराध्य उसके साथ हमेशा हैं तथा वे उसे उसके उद्देश्य पूरा करने की शक्ति वह साहस प्रदान करेंगे।

(धार्मिक होना बहुत ही पावन एवं पवित्र कार्य है परंतु धार्मिक रूप से अंधविश्वासी एवं धर्मान्ध हो जाना मूर्खता का सबसे बड़ा प्रमाण है। 

तो अपने अराध्य के प्रति अपनी आगाध श्रद्धा बनाए रखिए परंतु दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं या आप दूसरों की आराध्य के बारे में क्या सोचते हैं इस चीज से दूर रहिए। 

यदि भक्ति, इबादत या प्रेयर करने के बाद भी हमें वाद विवाद, तनाव,  गुस्सा, अहंकार से घिर जाना है तो इसका क्या फायदा?)

 

ऊपर लिखी सभी बातों का सारांश यह है कि सफलता और असफलता तथा आशा और निराशा तो जीवन में चलती ही रहती हैं। जहां सफल होने पर खुशी का एहसास होता है तो असफल होने पर थोड़ी बहुत निराशा और तनाव का होना भी स्वाभाविक है। इसलिए इसे एक सामान्य घटना मानते हुए बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।

जब आप तनाव और निराशा के हैंगओवर जीते रहते हैं तो यह है न केवल आपको नुकसान पहुंचाती है बल्कि आपके जितने भी प्रियजन हैं जो आपको प्यार करते हैं या जो आप पर निर्भर हैं यह उनको भी प्रभावित करती हैं। मतलब एक आपका परेशान होना कितने लोगों को परेशानी में डाल देता है इस बात का ध्यान रखिए। तो कम से कम अगर अपने लिए नहीं तो दूसरों के लिए ही सही आप तनाव और निराशा को छोड़िए। 

अगर कभी निराशा से मन भारी हो ही जाए या आत्मविश्वास कम होता लगे तो हिंदी गाने की इन पंक्तियों को गुनगुनाइए, “इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना………….”

 

यदि है यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो इसे अपने प्रियजनों के साथ शेयर करना ना भूलें। कमेंट बाक्स के माध्यम से अपनी प्रतिक्रियाओं से भी अवगत कराएं ।

हम आपके तनाव रहित जीवन की कामना करते हैं 

Wish you a Stress Free Life 

 

मोटापा (Obesity) एवं बढ़ते वजन पर नियंत्रण

 

मोटापा क्या है  

मोटापा या अधिक वजन होना एक शारीरिक विकार है। जब किसी के शरीर में अत्यधिक वसा जमा हो जाए अथवा व्यक्ति का वजन इस हद तक बढ़ जाए कि व्यक्ति अपने सामान्य दैनिक क्रिया जैसे चलना, दौड़ना, सीढ़ियां चढ़ना, आगे की ओर झुकना जैसे कार्यों को करने में भी कठिनाई का अनुभव करने लगे तो उसे मोटापा कहा जाता है।

मोटापा एक स्वास्थ्य समस्या है जिसके कारण शरीर में अनेक विकार एवं व्याधियां उत्पन्न हो सकती हैं।  

 

BMI (बॉडी मास इंडेक्स)

 

किसी व्यक्ति के BMI (बॉडी मास इंडेक्स) की गणना करके मोटापे की पहचान की जाती है। 

BMI किसी व्यक्ति के वजन और लंबाई का अनुपात (सूचकांक) है जिसे शरीर के वजन (किलोग्राम में) को लम्बाई (मीटर व से.मी. में) के वर्ग से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।

 

  • 18 या इससे कम BMI वाला व्यक्ति कम भार (Underweight) की श्रेणी में आता है।


  • 18 से 25 BMI तक के व्यक्ति को सामान्य भार वाला कहा जाता है


  • 25 से अधिक BMI वाले व्यक्ति को अधिक भार (Overweight) वाला कहा जा सकता है यह उनके लिए मोटापे के शुरुआत की चेतावनी है।


  • 30 या इससे अधिक BMI वाला व्यक्ति मोटापे (Obesity) की श्रेणी में आता है। 

 

BMI एक लिंग-तटस्थ (Gender Neutral) संख्या हैं जो कि 2 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों और युवाओं पर लागू नहीं होती है। बच्चों के लिए एक अलग BMI सूचकांक के आधार पर निर्धारण किया जाता है।

 

BMI के अनुसार व्यक्ति के वजन व मोटापे 

के निर्धारण का चार्ट

(BMI) भार/लंबाई अनुपात  वर्गीकरण
< 18.5  कम भार
18.5–24.9    सामान्य भार
25.0–29.9   अधिक भार
30.0–34.9 श्रेणी-1 का मोटापा
35.0–39.9  श्रेणी-2 का मोटापा
> 40.0 श्रेणी-3 का मोटापा

 

मोटापे के कई कारण हो सकते है। इनमें से प्रमुख है:-

 

  • मोटापा और वजन बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण है कैलोरी युक्त भोजन के सेवन और ऊर्जा के उपयोग के बीच असंतुलन होना।
  • अत्यधिक मात्रा में वसायुक्त अथवा मीठे आहार का सेवन करना 
  • अत्यधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करना
  • व्यायाम ना करना और निष्क्रिय जीवनशैली 
  • मानसिक तनाव वे असंतुलित व्यवहार के कारण भी लोग अनावश्यक रूप से ज्यादा भोजन करने लगते हैं,
  • कुछ लोगों में अनुवांशिक रूप से भी मोटापे के लक्षण होते हैं।
  • कई लोगों को दिन मे खाना खाने के बाद या खाना खाने के तुरंत बाद ही सोने की आदत होती है जो मोटापे का कारण बन सकती है।
  • हाइपोथाइरॉयडिज़्म (थायराइड ग्रंथि की अल्पक्रियता)

 

मोटापे के कारण होने वाली मुख्य स्वास्थ्य समस्याएं निम्नलिखित हैं 

 

  • टाइप 2 डायबिटीज
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • हाई ब्लड प्रेशर, 
  • हृदय रोग, 
  • रीढ़ की पश्च वक्रता (Lordosis)
  • ओस्टियोआर्थराइटिस व जोड़ों का दर्द, 
  • स्लीप एपनिया (खर्राटे लेना) और श्वसन समस्याएं, 
  • अस्थमा और फेफड़ों की समस्याएं
  • एरोबिक क्षमता में कमी
  • प्रजनन संबंधी समस्याएं
  • अवसाद, निराशा और आत्मविश्वास में कमी

 

वजन पर नियंत्रण एवं मोटापा घटाने के उपाय

 

  • भोजन की आदतों में सुधार: भोजन हमेशा अपनी शारीरिक एवं मानसिक आवश्यकताओं के अनुरूप ही करना चाहिए। साथ ही भोजन का हमेशा निश्चित समय पर ही किया जाना चाहिए। भोजन करने के तुरंत बाद कभी नहीं सोना चाहिए। भोजन और सोने के बीच में कम से कम 2 से 3 घंटे का अंतराल होना चाहिए।

 

  1. भोजन में वसा की मात्रा पर नियंत्रण
  2. अस्वास्थ्यकर चीनी, वसा एवं जंक फूड नहीं खानी चाहिए। इनके सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है

 

  1. प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट से अधिक एरोबिक व्यायाम जैसे तेज चलना, दौड़ना अथवा आउटडोर खेल आदि में तथा नियमित योगाभ्यास करना चाहिए
  2. भोजन में अधिक सोडियम युक्त नमक की मात्रा को कम करना चाहिए इसकी वजह से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है
  3. मोबाइल का सीमित प्रयोग 

 

BMI व्यक्ति के स्वास्थ्य का एक मुख्य इंडिकेटर है परंतु केवल BMI के आधार पर ही व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में संपूर्ण निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता.  BMI के अतिरिक्त अन्य बातों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.

 

पुरुषों और महिलाओं की BMI गणना के लिए एक ही सूत्र है जिसमें केवल वजन और ऊंचाई की माप होती है जबकि बॉडी फैट कंटेट और मसल्‍स कंटेट नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं के शरीर पर पुरुषों की तुलना में अधिक वसा होता है लेकिन BMI एक समान होता है। इसी तरह बड़े लोगों के शरीर पर वयस्‍कों की तुलना में अधिक वसा होता है। एथलीट का गैर एथलीटों की तुलना में शरीर कम मोटा होता है।

MCQs on WELLNESS

 

  1. निम्नलिखित में से कौन सा फिटनेस को सबसे अच्छी तरह से परिभाषित करता है?

– A) लंबी दूरी तक दौड़ने की क्षमता

– B) शारीरिक रूप से स्वस्थ और अपने दैनिक कार्यों को बिना अनावश्यक थकान के करने की क्षमता

– C) एक बार में आप जितना वजन उठा सकते हैं

– D) दैनिक गतिविधियों को आसानी से करने की क्षमता

 

उत्तर:  B शारीरिक रूप से स्वस्थ और अपने दैनिक कार्यों को बिना अनावश्यक थकान के करने की क्षमता

 

  1. वेलनेस (Wellness) क्या है?

– A) बीमारी की अनुपस्थिति

– B) शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण का समग्र संतुलन

– C) शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति

– D) मानसिक स्वास्थ्य

 

– उत्तर: B

 

  1. निम्नलिखित में से कौन सा वेलनेस का घटक नहीं है?

– A) शारीरिक कल्याण

– B) भावनात्मक कल्याण

– C) वित्तीय कल्याण

– D) तकनीकी कल्याण

 

– उत्तर: D

 

  1. कौन सा कथन फिटनेस और वेलनेस के महत्व का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

– A) वे अच्छे दिखने के लिए महत्वपूर्ण हैं

– B) वे समग्र स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में योगदान देते हैं

– C) वे खेलों में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करते हैं

– D) वे सभी बीमारियों को रोकते हैं

 

– उत्तर: B

 

  1. “समग्र स्वास्थ्य” शब्द किससे संबंधित है?

– A) केवल शारीरिक बीमारी का इलाज करना

– B) केवल मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना

– C) शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं सहित पूरे व्यक्ति पर विचार करना

– D) केवल प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करना

 

– उत्तर: C

 

  1. निम्न में से कौन शारीरिक फिटनेस का घटक है?

– A) लचीलापन

– B) वित्तीय स्थिरता

– C) नौकरी से संतुष्टि

– D) सामाजिक कौशल

उत्तर: A

 

  1. कार्डियोवैस्कुलर क्षमता (cardiovascular endurance) फिटनेस के किस घटक को संदर्भित करता है?

– A) मांसपेशियों की ताकत

– B) निरंतर शारीरिक गतिविधि के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की हृदय और फेफड़ों की क्षमता

– C) लचीलापन

– D) शारीरिक संरचना

 

– उत्तर: B

 

  1. मांसपेशियों की ताकत को सबसे अच्छी तरह से इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है:

– A) मांसपेशियों की बार-बार संकुचन को सहने की क्षमता

– B) एक मांसपेशी द्वारा एक बार में उत्पन्न की जा सकने वाली अधिकतम शक्ति

– C) मांसपेशियों का लचीलापन

– D) मांसपेशियों की सहनशक्ति

 

– उत्तर: B

 

  1. स्ट्रेचिंग और योग जैसी गतिविधियों से फिटनेस के किस घटक में सुधार होता है?

– A) कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति

– B) मांसपेशियों की ताकत

– C) लचीलापन

– D) शारीरिक संरचना

 

– उत्तर: C

 

  1. शारीरिक संरचना (body composition) से क्या तात्पर्य है?

– A) शरीर में मांसपेशियों का प्रतिशत

– B) शरीर में वसा, हड्डी, पानी और मांसपेशियों का प्रतिशत

– C) शरीर का आकार

– D) शरीर का लचीलापन

 

– उत्तर: B

 

  1. निम्न में से कौन सा फिटनेस और तंदुरुस्ती को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है?

– A) आनुवंशिक प्रवृत्ति

– B) आँखों का रंग

– C) बालों की लंबाई

– D) पसंदीदा भोजन

 

– उत्तर: A

 

  1. पोषण फिटनेस और तंदुरुस्ती को कैसे प्रभावित करता है?

– A) इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता

– B) यह केवल शारीरिक तंदुरुस्ती को प्रभावित करता है

– C) यह शारीरिक गतिविधि और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है

– D) यह केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है

 

– उत्तर: C

 

  1. नियमित शारीरिक गतिविधि फिटनेस और तंदुरुस्ती में क्या भूमिका निभाती है?

– A) यह फिटनेस को कम करती है

– B) यह शारीरिक फिटनेस और समग्र तंदुरुस्ती दोनों को बेहतर बनाती है

– C) इसका तंदुरुस्ती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

– D) यह केवल मानसिक तंदुरुस्ती को प्रभावित करती है

 

– उत्तर: B

 

  1. निम्नलिखित में से कौन स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है?

– A) संतुलित आहार

– B) नियमित व्यायाम

– C) तनाव

– D) पर्याप्त नींद

 

– उत्तर: C

 

  1. स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए नींद क्यों ज़रूरी है?

– A) इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता

– B) यह मांसपेशियों की मरम्मत और वृद्धि, और समग्र रिकवरी में मदद करता है

– C) यह केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है

– D) यह केवल शारीरिक बनावट को प्रभावित करता है

 

– उत्तर: B

 

  1. धूम्रपान स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को कैसे प्रभावित कर सकता है?

– A) यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है

– B) इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता

– C) इससे बीमारियाँ होती हैं और शारीरिक क्षमता कम हो सकता है

– D) इसका केवल हृदय पर प्रभाव पड़ता है

 

– उत्तर: C

 

  1. निम्नलिखित में से कौन मानसिक स्वास्थ्य के प्रभाव का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

– A) मानसिक स्वास्थ्य का समग्र स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

– B) अच्छा मानसिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाता है

– C) मानसिक स्वास्थ्य केवल भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है

– D) मानसिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है

 

– उत्तर: B

 

  1. सामाजिक-आर्थिक स्थिति फिटनेस और स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है?

– A) इसका कोई प्रभाव नहीं है

– B) उच्च सामाजिक-आर्थिक स्थिति फिटनेस संसाधनों और पोषक भोजन व बेहतर चिकित्सा सुविधा तक अधिक पहुँच प्रदान कर सकती है

– C) इसका केवल मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है

– D) निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति हमेशा बेहतर फिटनेस की ओर ले जाती है

 

– उत्तर: B

 

  1. कौन सी गतिविधि हृदय संबंधी फिटनेस को बेहतर बनाने की सबसे अधिक संभावना है?

– A) भारोत्तोलन

– B) दौड़ना

– C) स्ट्रेचिंग

– D) योग

 

– उत्तर: B

 

  1. लचीलापन फिटनेस का एक महत्वपूर्ण घटक क्यों है?

– A) यह केवल योग में मदद करता है

– B) यह चोटों को रोकता है और गति की सीमा में सुधार करता है

– C) यह केवल एथलीटों के लिए महत्वपूर्ण है

– D) यह आपको लंबा दिखाता है

 

– उत्तर: B

 

  1. निम्नलिखित में से कौन सा लाभ अच्छे मांसपेशीय धीरज का है?

– A) एक बार बहुत भारी वजन उठाने की क्षमता

– B) बिना थके लंबे समय तक शारीरिक कार्य करने की क्षमता

– C) लचीलापन में वृद्धि

– D) केवल बेहतर मानसिक स्वास्थ्य

 

– उत्तर: B

 

  1. “बॉडी मास इंडेक्स (BMI)” शब्द किससे संबंधित है?

– A) ऊंचाई और वजन के आधार पर शरीर में वसा का माप

– B) मांसपेशियों की ताकत का माप

– C) हृदय संबंधी फिटनेस का माप

– D) लचीलेपन का माप

 

– उत्तर: A

 

  1. निम्नलिखित में से कौन सा शब्द “समग्र कल्याण” का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

– A) केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना

– B) स्वास्थ्य के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं को शामिल करना

– C) स्वास्थ्य के लिए दवाओं पर निर्भर रहना

– D) मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी करना

 

– उत्तर: B

 

  1. फिटनेस में संतुलित आहार का प्राथमिक लाभ क्या है?

– A) ऊर्जा और मांसपेशियों की मरम्मत के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है

– B) जल्दी से वजन कम करने में मदद करता है

– C) त्वचा की रंगत में सुधार करता है

– D) लंबाई बढ़ाता है

 

– उत्तर: A

 

  1. कौन सा कारक शारीरिक फिटनेस को सीधे प्रभावित करने की सबसे कम संभावना है?

– A) आनुवंशिक प्रवृत्ति

– B) नियमित व्यायाम

– C) पर्याप्त जलयोजन

– D) पसंदीदा रंग

 

– उत्तर: D

2 thoughts on “Wellness And Lifestyle”

  1. The degree to which I appreciate your creations is equal to your own sentiment. Your sketch is tasteful, and the authored material is stylish. Yet, you seem uneasy about the prospect of embarking on something that may cause unease. I agree that you’ll be able to address this matter efficiently.

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