It’s important debunking myths about Physical education. P.E. isn’t just sports but teaches vital life skills, boosts academics, for all, not just athletes, and is crucial for lifelong health.

Myths and Misconceptions about Physical education and Sports
शारीरिक शिक्षा के बारे में भ्रांतियां / शारीरिक शिक्षा के बारे में गलत धारणाएँ / शारीरिक शिक्षा के बारे में गलतफहमियां
शिक्षा एवं खेलों के बारे में भारत में बहुत प्राचीन समय से यह धारणा प्रचलित है कि पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब
जबकि वर्तमान समय में शारीरिक शिक्षा (Physical Education) शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका लक्ष्य विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास करना होता है। जिसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास आते हैं।
शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को विद्यार्थी के शारीरिक फिटनेस को बढ़ाने, मोटर कौशल सिखाने, भावनात्मक रूप से संतुलित बनाने के लिए और टीम वर्क और अनुशासन के मूल्यों का महत्व समझाने स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
परन्तु शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य इतने महत्वपूर्ण होने के बावजूद, शारीरिक शिक्षा के बारे में कई भ्रातियां हैं जो इसके महत्व के बारे में विद्यार्थियों और अभिभावकों की धारणाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
इस लेख में शारीरिक शिक्षा से संबंधित कुछ प्रचलित मिथकों के बारे में चर्चा की गई है
- शारीरिक शिक्षा केवल खेल खेलने के बारे में है
सबसे प्रचलित गलत धारणाओं में से एक यह है कि शारीरिक शिक्षा केवल खेल खेलने के बारे में है। जबकि खेल एक महत्वपूर्ण घटक हैं, शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र कहीं अधिक व्यापक है। इसमें छात्रों को शारीरिक फिटनेस, स्वास्थ्य शिक्षा और सक्रिय जीवनशैली बनाए रखने के महत्व के बारे में पढ़ाना शामिल है। पाठ्यक्रम को विभिन्न प्रकार की शारीरिक एवं खेल गतिविधियों के माध्यम से शारीरिक कौशल, संज्ञानात्मक समझ और भावनात्मक कल्याण विकसित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- शारीरिक शिक्षा का अकादमिक प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है
यह एक बहुत ही प्रचलित भ्रांति है कि शारीरिक शिक्षा अकादमिक शिक्षा में योगदान नहीं देती है। शोध से पता चलता है कि नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में संलग्न छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, जिससे उनकी एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार होता है तथा यह संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ा सकती है जिससे शैक्षणिक प्रदर्शन में भी सुधार होता है।
शैक्षणिक प्रदर्शन बुद्धि से सीधा संबंध होता है। प्रसिद्ध कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। इसलिए लोगों को यह आवश्यक समझना चाहिए किशरीर के स्वस्थ रहने पर ही बुद्धि भी सही प्रकार से कार्य कर पाएगी और व्यक्ति की जीवन के समस्त निर्णय बुद्धि के आधार पर ही किए जाते हैं। इस दृष्टि से शारीरिक शिक्षा एवं खेलों का महत्वऔर भी अधिक बढ़ जाता है।
- शारीरिक शिक्षा से केवल एथलीटों को लाभ होता है
यह भी एक बहुत बड़ी गलतफहमी है कि शारीरिक शिक्षा एवं खेलकी गतिविधियां केवल एथलीट और खिलाड़ी लोगों के लिए ही होती हैं।
शारीरिक शिक्षा एक बहुत ही समावेशी (inclusive) शिक्षण कार्यक्रम होता है जिसमें प्रत्येक लिंग, आयु वर्ग, फिटनेस स्तर के लोगों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए शिक्षण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम डिजाइन किए जाते हैं। यहां तक की जो लोग शारीरिक अथवा मानसिक रूप से अक्षम है उनके लिए भी शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद के विशेष कार्यक्रम होते हैं जिसे अनुकूलित शारीरिक शिक्षा (Adapted Physical Education) के अंतर्गत संचालित किया जाता है
शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य सभी विद्यार्थियों की विभिन्न क्षमताओं का पता लगाने, नियमित शारीरिक गतिविधि के महत्व को समझाने और उनकी एथलेटिक क्षमता की परवाह किए बिना जीवन भर सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- भविष्य की सफलता के लिए शारीरिक शिक्षा महत्वपूर्ण नहीं है
कुछ लोगों का मानना है कि शारीरिक शिक्षा किसी छात्र की भविष्य की सफलता में उस तरह से योगदान नहीं देती है जिस तरह से मुख्य शैक्षणिक विषय करते हैं। हालाँकि, पीई टीम वर्क, नेतृत्व, दृढ़ता और लचीलापन जैसे आवश्यक जीवन कौशल सिखाता है। ये सॉफ्ट कौशल (Soft Skills) कार्यबल और व्यक्तिगत विकास में अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधियों को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने से एक स्वस्थ जीवन शैली बन जाती है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- शारीरिक शिक्षा असुरक्षित है क्योंकि इसमें चोट लगने की संभावना होती है
कई अभिभावकों के मन में यह भ्रांति बुरी तरह बैठ जाती है कि शारीरिक शिक्षा की गतिविधियों में चोट लगने की संभावना होती है जिससे वे अपने बच्चों को खेलों में भाग लेने से हतोत्साहित करते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि खेल का मैदान होया घर चोट तो कहीं भी लग सकती है
यद्यपि शारीरिक गतिविधियों से चोट लगने का खतरा हमेशा बना रहता है लेकिन शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वे चोट लगने के जोखिमों को कम करने के लिए उचित तकनीक और सुरक्षा उपाय सिखाते हैं।
- शारीरिक शिक्षा में ग्रेड पूरी तरह से एथलेटिक प्रदर्शन पर आधारित होते हैं
कई लोग मानते हैं कि शारीरिक शिक्षा में ग्रेड अथवा रैंकिंग केवल इस बात से निर्धारित होते हैं कि कोई छात्र कितना अच्छा खेल खेलता है या शारीरिक रूप से प्रदर्शन करता है।
परन्तु वास्तव में शारीरिक शिक्षा में विद्यार्थी के खेल प्रदर्शन के अतिरिक्त प्रयास, भागीदारी, खेल कौशल, खेल ऑफिसियेटिंग और स्वास्थ्य और फिटनेस अवधारणाओं की समझ सहित कई मानदंडों का आकलन किया जाता है। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि सभी प्रकार की फिटनेस एवं क्षमताओं के विद्यार्थीशारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं।
निष्कर्ष
भारत में शारीरिक शिक्षा के एवं खेलगतिविधियों में अधिक से अधिक लोगों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जिसके लिए सर्वप्रथम शारीरिक शिक्षा के बारे में पहले भ्रांतियां एवं गलत धारणाओं को दूर करना महत्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देने, छात्रों को सक्रिय, स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण से युक्त करने में एक अनिवार्य भूमिका निभाती है।
लोगों को शारीरिक शिक्षा के वास्तविक मूल्य एवं महत्व को समझाना अति आवश्यक है जिससे अधिक से अधिक लोग खेल एवं शारीरिक शिक्षा से जुड़े और देश के लिए स्वास्थ्य एवं समझदार नागरिक तैयार होंगे जो कि अंततः देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे पाएं
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