First Aid and Principle of PRICER (प्राथमिक चिकित्सा)
प्राथमिक चिकित्सा (FIRST AID)
प्राथमिक चिकित्सा
किसी व्यक्ति के अचानक घायल अथवा बीमार हो जाने पर उसे उचित मेडिकल सुविधा मिलने तक उसकी जान बचाने के लिए तथा उसे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए जो प्रयास किए जाते हैं वह प्राथमिक चिकित्सा कहलाती है।
आपातकाल में प्राथमिक चिकित्सा में तत्काल मौके पर उपलब्ध किसी भी वस्तु अथवा साधन का प्रयोग किया जा सकता है जो व्यक्ति को आराम पहुंचाने, नुकसान कम करने व जान बचाने में सहायक हो
प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य
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तत्काल न्यूनतम उपलब्ध साधनों से रोगी अथवा घायल की जान बचाना
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रोगी को जानलेवा खतरे से बाहर निकालना
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उसको होने वाले नुकसान को कम करना
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रोगी को मेडिकल सहायता मिलने पर डॉक्टर को चोट अथवा बीमारी की पूरी जानकारी देना
खेलों के दौरान चोट लगने के सामान्य कारण
शारीरिक शिक्षा एवं खेल गतिविधियों में चोट लगना एक सामान्य घटना होती है। खेलों में खिलाड़ी को चोट लगने या उसका स्वास्थ्य खराब होने के अनेक कारण हो सकते हैं।
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प्रतिद्वंदी खिलाड़ियों द्वारा एक दूसरे को चोट पहुंचाना
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खेलों के उपकरण जैसे बैट, बॉल, हॉकी स्टिक, जूते आदि से चोट लग सकती है
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खेलों के दौरान खिलाड़ी के स्वयं गिरने, फिसलने या किसी खिलाड़ी से टकराने के कारण उसे मोच आ सकती है, मसल्स, लिगामेंट, टेंडन खिंच सकते है, फैक्चर हो सकता है
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कई बार अत्यधिक थकान के कारण भी खिलाड़ियों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है
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खराब मौसम जैसे अत्यधिक गर्मी अथवा सर्दी भी खिलाड़ी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है
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कई बार खेलों में खिलाड़ी अत्यधिक मानसिक दबाव के शिकार हो जाते हैं, उससे भी वे गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं।
प्राथमिक चिकित्सा का महत्व
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खेलों के दौरान किसी भी कारण से खिलाड़ियों को चोट लगने पर टीम के कोच अथवा डॉक्टर खिलाड़ियों को उचित प्राथमिक चिकित्सा देते है जिससे उनको अधिक नुकसान ना हो।
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रोगी तक डॉक्टर के पहुंचने से पहले अथवा रोगी को हॉस्पिटल तक पहुंचाने से पहले न्यूनतम साधन में रोगी अथवा घायल की जान बचाई जा सकती है
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रोगी को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है
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चोट अथवा घाव को अधिक विकृत होने से बचाया जा सकता है
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इसमें न्यूनतम उपलब्ध साधनों का प्रयोग कर किया जाता है
लगने वाली चोटों का वर्गीकरण
चोटो की प्रकृति के आधार पर चोटों को दो भागों में बांटा गया है
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बाहरी कारणों से चोट लगना जैसे खेल के उपकरण बैट, बॉल हॉकी स्टिक, प्रतिद्वंदी खिलाड़ी से टकराने, वाहन से टक्कर हो जाना आदि कारणों से लगने वाली चोटें
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अंदरूनी कारणों से लगने वाली चोट जैसे स्प्रेन (मोच आना), स्ट्रेन (पेशियों पर अत्यधिक खिंचाव अथवा दबाव आना), ज्वाइंट डिसलोकेशन (जोड़ की हड्डियों का अपनी जगह से हिल जाना) जिनका संबंध व्यक्ति की फिजिकल फिटनेस से होता है
शरीर के रचनात्मक दृष्टिकोण से लगने वाली चोटों को भी दो भागों में बांटा गया है
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शरीर की मुलायम उत्तकों की चोटें (Soft Tissue Injuries) जैसी मांस पेशी, टेंडन, लिगामेंट आदि पर लगने वाली चोटें जिनमें मुख्य रुप से स्प्रेन (मोच आना), स्ट्रेन (पेशियों पर अत्यधिक खिंचाव अथवा दबाव आना), ज्वाइंट डिसलोकेशन (जोड़ की हड्डियों का अपनी जगह से हिल जाना), त्वचा में रगड़ लग जाना, कट जाना छिल जाना, हाथ पैरों में छाले पड़ जाना आदि चोट आती हैं
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हड्डी की चोटें- फ्रैक्चर हो जाना। फ्रैक्चर कई प्रकार का होता है जैसे साधारण फ्रैक्चर, मिश्रित फ्रैक्चर, जटिल फ्रैक्चर आदि
खेलों में खिलाड़ी को लगने वाली सामान्य चोटों के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें 👇
खेलों में खिलाड़ी को लगने वाली सामान्य चोटों का प्राथमिक उपचार
खेलों में खिलाड़ी को लगने वाली सामान्य चोटों का प्राथमिक उपचार PRICER के सिद्धांत पर किया जाता है।
PRICER की विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित हैं
P का अर्थ है Prevention & Protection
अर्थात चोट लगने से हमेशा बचाव का प्रयास करना चाहिए। हर वह प्रयास किया जाना चाहिए जिससे हम चोट से दूर रहें जैसे
-खिलाड़ी को किसी भी खेल में भाग लेने से पूर्व उसके अनुरूप अपना स्वास्थ्य एवं फिटनेस का स्तर प्राप्त करना चाहिए
-खेलने से पूर्व अच्छी तरह वार्मअप करना चाहिए।
-खेलने के बाद अच्छी तरह स्ट्रेचिंग एवं कूल डाउन करना चाहिए।
-खेल के सुरक्षा उपकरणों जैसे हेलमेट, ग्लव्स, एब्डोमिनल, पैड आदि का प्रयोग करना चाहिए
-खेलों के नियमों का पालन करना चाहिए
R का अर्थ है Rest
अर्थात चोट लगते ही अथवा दर्द का अहसास होते ही खेलना जैसे कि दौड़ना भागना, चलने की क्रिया को रोक देना चाहिए और खिलाड़ी को आराम देना चाहिए।
I का अर्थ है Ice अर्थात चोट लगने वाले स्थान की प्रारंभ के 20 मिनट एवं बाद में 24 से 48 घंटे बर्फ की सिकाई करनी चाहिए। बर्फ के प्रभाव से चोट लगने वाले स्थान की उत्तक सिकुड़ जाते हैं जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाने से सूजन व दर्द कम हो जाता है
C का अर्थ है कंप्रेशन (Compression) अर्थात चोट लगने वाले स्थान को क्रेप बैंडेज (गरम पट्टी) से कसकर बांधना चाहिए जिससे घायल उत्तक, लिगामेंट व टेंडन को सहारा मिल सके और वे अपने स्थान पर स्थिर हो जाएं
E का अर्थ है एलिवेशन (Elevation) अर्थात चोट लगने वाले स्थान को हृदय से ऊंचे स्तर पर रखना चाहिए चोट वाले स्थान का हृदय के स्तर से ऊपर रहने पर उसमें रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिससे सूजन और दर्द में तेजी से कमी आती है
HA me karna chahti hu
First aid and health