Circulatory System

For the human body to survive, it is essential that all cells receive a constant supply of oxygen. This oxygen supply to cells occurs through the blood, which allows for continued respiration. This is the circulatory system, which ensures the supply of oxygen, which is fused into blood, to each and every cell of the body.
The circulatory system and the respiratory system work in close coordination.
Circulatory System
The Circulatory System

परिसंचरण तंत्र:

मानव शरीर के जीवित रहने के लिए यह अति आवश्यक है कि उसकी समस्त कोशिकाओं तक ऑक्सीजन की आपूर्ति निरंतर होती रहे। कोशिकाओं तक ऑक्सीजन की यह आपूर्ति रक्त के माध्यम से होती है जिससे उसकी श्वसन क्रिया चलती रहती है।
परिसंचरण तंत्र एवं श्वसन तंत्र दोनों बहुत ही गहरे समन्वय के साथ कार्य करते हैं।

 

शरीर की वक्ष गुहा के अंदर हृदय (Heart) मध्य से थोड़ा सा बांई ओर स्थित होता है।
हृदय एक मैकेनिकल पंप की भांति लगातार लयबद्ध तरीके से संकुचित एवं शिथिल (contract & relax) हो कर रक्त नलिकाओं (धमनियों) के माध्यम से पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त को प्रवाहित करता है जिसके द्वारा शरीर की समस्त कोशिकाओं तक ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है जहां पर आंतरिक श्वसन के फलस्वरुप ऊर्जा एवम् CO2 उत्पन्न होती है। उत्पन्न हुई CO2 को रक्त द्वारा रक्त नलिकाओं (शिराओं) के माध्यम से वापस हृदय तक पहुंचाया जाता है।

 

ऑक्सीजन युक्त रक्त का हृदय से धमनियों के माध्यम से समस्त कोशिकाओं तक पहुंचना तथा वहां से कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त का शिराओं के माध्यम से वापस हृदय तक पहुंचने की प्रक्रिया को परिसंचरण तंत्र कहते हैं
परिसंचरण तंत्र शरीर का वह तंत्र है जो कि रक्त के माध्यम से पोषक तत्व व आक्सीजन तथा हार्मोन को शरीर के सभी भागों में पहुँचाने का कार्य करता है तथा शरीर के मेटाबॉलिक अपशिष्ट पदार्थों व कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से निष्कासित करता है। यह शरीर में तरल संतुलन तथा तापमान का संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है।

 

परिसंचरण तंत्र को “हृदयवाहिनी तंत्र” (Cardiovascular System)” के नाम से भी जाना जाता
परिसंचरण तंत्र के अंग:
# हृदय (Heart) – धमनियों के माध्यम से शरीर में रक्त पंप करता है
#रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels)
  • धमनी (Arteries)- हृदय से शुद्ध रक्त विभिन्न अंगो को ले जाती हैं
  • शिराएँ (Veins) – विभिन्न अंगो से अशुद्ध रक्त को हृदय में लाती हैं
  • केशिकाएँ (Capillaries) – कोशिका स्तर पर धमनियों एवं शिराओं के बीच शुद्ध व अशुद्ध रक्त एवं पोषक व अपशिष्ट पदार्थों के बीच आदान प्रदान कराती हैं
# रक्त (Blood) – ऑक्सीजन, पोषक तत्व और अपशिष्ट पदार्थों का परिवहन करता है
#फेफड़े (Lungs) – रक्त में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान (exchange) संभव करते हैं 
#लसिकातंत्र (Lymphatic System) – लसिका का परिवहन करता है और प्रतिरक्षा में मदद करता है

 

परिसंचरण तंत्र शरीर का वह रक्त परिवहन नेटवर्क है जो यह सुनिश्चित करता है कि रक्त के माध्यम से आवश्यक तत्व (O2) हर कोशिका तक पहुँचे और अपशिष्ट पदार्थ (CO2) शरीर से बाहर निकले।

 

हृदय Heart 
हृदय परिसंचरण तंत्र का सबसे प्रमुख अंग है। हृदय वक्ष गुहा के मध्य से थोड़ा सा बाई तरफ स्थित होता है। जो कि विशेष प्रकार के ऊतकों (हृदय पेशियों) से निर्मित होता है जो नियमित व लयबद्ध रूप से संकुचित एवं शिथिल (contract & relax) होने की क्षमता से युक्त होती हैं।
एक व्यक्ति का हृदय सामान्य रूप से उस व्यक्ति की मुट्ठी के बराबर होता है। एक सामान्य वयस्क का के दिल का वजन लगभग 250 से 350 सौ ग्राम तक हो सकता है।

 

Structure of Heart
Structure of Heart
हृदय में 4 कोष्ठ (चेम्बर –  Chamber) होते हैं, दो ऊपर और दो नीचे।
ऊपर के 2 कोष्ठ (चेंबर) दाएं और बाएं आलिन्द (Atrium) कहलाते हैं
नीचे के 2 कोष्ठ (चेंबर) दाएं और बाएं निलय (Ventricle) कहलाते हैं
दाएं आलिंद और दाएं निलय के बीच त्रि-वलयी कपाट (ट्राई कस्पिड वाल्व Tricuspid Valves) होते हैं
बाएं आलिंद और बाएं निलय के बीच द्वि-वलयी कपाट (बाइ कस्पिड वाल्व Bicuspid Valves) होते हैं
यह दोनों प्रकार के कपाट (Valves) रक्त को केवल आलिंद से निलय की ओर बहने देते हैं। (अर्थात केवल ऊपर से नीचे की ओर बहने देते हैं)

 

धमनी (Artery):
हृदय से शरीर के विभिन्न भागों को रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं को धमनी कहा जाता है। धमनियों में शुद्ध लाल रक्त (ऑक्सीजन युक्त रक्त) बहता है। हृदय द्वारा पंप किए गए रक्त के तेज दबाव के कारण इनके भीतर रक्त का प्रवाह भी तेज होता है। रक्त के तेज दबाव एवं प्रवाह को सहने के लिए धमनियां शरीर में गहराई में स्थित होती हैं तथा इनकी परत अपेक्षाकृत मोटी और मजबूत होती हैं। धमनियों में वाल्व नहीं होते हैं

 

हृदय के बाएं निलय (Left Ventricle) से पूरे शरीर के लिए आक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त ले जाने वाली प्रथम धमनी को महाधमनी (Aorta) कहते हैं
फुफ्फुस धमनी (पल्मोनरी धमनी) (pulmonary artery)
सामान्य तौर पर धमनियों में ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त बहता है परंतु पल्मोनरी धमनी एक अपवाद है।  क्योंकि पल्मोनरी धमनी दाहिने निलय से अशुद्ध रक्त को फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए ले जाती है। (पल्मोनरी धमनी में अशुद्ध रक्त बहता है) 
शिराएं Veins:
शरीर के विभिन्न अंगों से रक्त को हृदय तक लाने वाली रक्त नलिकाओं को शिरा कहते हैं। शिराओं में अशुद्ध रक्त (ऑक्सीजन रहित रक्त) बहता है जो हल्के नीले रंग का दिखता है। शिराएं त्वचा की ऊपरी सतह के नजदीक होती हैं तथा त्वचा के बाहर से यह हल्के नीले रंग की दिखती हैं।

 

शिराओं के भीतर रक्त का प्रवाह धीमा होने के कारण इनमें रक्त का दाब भी कम होता है। शिराओं में रक्त के प्रवाह को सुचारू रखने के लिए वाल्व (Valves) होते हैं जो कि शिराओं में रक्त को पीछे की ओर नहीं लौटने देते हैं। धमनियों की अपेक्षा शिराओं की नलिकाओं की परतें पतली और कमजोर होती हैं तथा शिराएं त्वचा के नीचे बहुत कम गहराई पर होती हैं।

 

पूरे शरीर का अशुद्ध रक्त (CO2 युक्त रक्त) को दो महा शिराओं जिन्हें ऊपरी एवं निचली महाशिरा (superior and inferior vena cava) कहा जाता है, के द्वारा हृदय के दाहिने अलिंद (Left Atrium) में लाया जाता है

 

फुफ्फुस शिरा – पल्मोनरी शिरा (pulmonary vein) –
सामान्य तौर पर शिराओं में CO2 युक्त अशुद्ध रक्त बहता है परंतु पल्मोनरी शिरा एक अपवाद है क्योंकि इसमें अशुद्ध रक्त की बजाय शुद्ध रक्त बहता है। यह फेफड़ों से शुद्ध ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय के बाएं अलिंद में जाती है। (पल्मोनरी शिरा में शुद्ध रक्त बहता है)
फेफड़े (Lungs)
दो फेफड़े वक्ष गुहा के अंदर दांई और बाई तरफ स्थित होते हैं। फेफड़े गुब्बारे की तरह फूलने तथा सिकुड़ने वाली पेशियों से बने होते हैं। सांस भीतर लेते समय फेफड़े फूल जाते हैं जिससे छाती का आकार बढ़ जाता है तथा सांस छोड़ते समय फेफड़े सिकुड़ कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जाते हैं।
फेफड़ों में रक्त में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है। यह प्रक्रिया गैस विनिमय (Gas Exchange) कहलाती है, जिसे श्वसन (Respiration) भी कहा जाता है।
फेफड़ो में गैस विनिमय (Gas Exchange) प्रक्रिया में सांस में अन्दर ली गई हवा से ऑक्सीजन रक्त में जाती है और रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ों में आकर नाक के रास्ते से बाहर निकल जाती है।
 
शरीर में रक्त का परिसंचरण की प्रक्रिया
Process of Circulatory System 

 

How Blood travels through Heart & Body
How Blood travels through Heart & Body
शरीर में रक्त परिसंचरण की प्रक्रिया निम्नलिखित 6 चरणों में होती है 👇

 

1- संपूर्ण शरीर से अशुद्ध रक्त (CO2 युक्त तथा ऑक्सीजन रहित रक्त) ऊपरी एवं निचली महा शिराओं (superior and inferior vena cava) द्वारा हृदय के दाहिने आलिन्द (Right Atrium) में प्रवेश करता है। जिसकी मात्रा लगभग 70 ml होती है।
2- दाहिने आलिन्द से 70ml अशुद्ध रक्त त्रि-वलयी कपाट (ट्राई कस्पिड वाल्व Tricuspid Valves) को पार करके दाहिने निलय (Right Ventricle) में प्रवेश करता है
3- हृदय के दाहिने निलय के संकुचित होने पर वही 70ml अशुद्ध रक्त फुफ्फुस धमनी (पल्मोनरी आर्टरी pulmonary artery) के द्वारा फेफड़ों में पहुंच जाता है। 
फेफड़ों में रक्त का शुद्धिकरण होता है। फेफड़ों में अशुद्ध रक्त में सांस में अंदर ली गई ऑक्सीजन घुल जाती है जिससे रक्त कर शुद्ध (O2 युक्त) हो जाता है  तथा अशुद्ध रक्त की CO2 सांस के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाती है
4- फेफड़ों से वही 70ml शुद्ध रक्त (O2 युक्त रक्त) फुफ्फुस शिराओं (पल्मोनरी वेन pulmonary vein) के माध्यम से हृदय के बायें आलिन्द (Left Atrium) में पहुंचता है 
5- बायें आलिन्द से वही 70ml शुद्ध रक्त द्वि-वलयी कपाट (Bicuspid Valves) को पार कर बायें निलय (Left Ventricle) में प्रवेश करता है।
6- हृदय के संकुचित होने पर बायें निलय से वही 70 ml शुद्ध रक्त महाधमनी (aorta) तथा अन्य छोटी धमनियों के माध्यम से शरीर के समस्त अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचता है। जहां पर शुद्ध रक्त में से आक्सीजन को कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है तथा कोशिकाओं होने वाली श्वसन क्रिया में निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड रक्त में घुल जाती है।

 

फिर विभिन्न शिराओं तथा अंत में ऊपरी एवं निचली महाशिरा के माध्यम से CO2  युक्त रक्त (अशुद्ध रक्त) वापस हृदय के दाहिने आलिंद में पहुंच जाता है तथा वही प्रक्रिया पुनः शुरू हो जाती है। यह प्रक्रिया जीवन पर्यंत चलती रहती है

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परिसंचरण तंत्र से संबंधित प्रमुख कारक
  • हार्ट रेट     •स्ट्रोक वॉल्यूम     •कार्डियक आउटपुट  रक्तचाप  •वाइटल कैपेसिटी
हृदय गति – (हार्ट रेट Heart Rate)- HR
सामान्य तौर पर एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति का हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है जिसे हार्ट रेट कहते हैं।
स्ट्रोक वॉल्यूम (Stroke Solume)- SV
हृदय द्वारा एक धड़कन में (एक बार संकुचित होने में) शरीर में पंप की जाने वाली रक्त की मात्रा स्ट्रोक वॉल्यूम कहलाती है। सामान्य तौर पर यह 70ml होती है। अर्थात एक बार धड़कने ने हृदय हमारे शरीर में 70ml रक्त पंप करता है।
कार्डियक आउटपुट (Cardiac Output)- CO
हृदय द्वारा एक मिनट के समय में शरीर में पंप किए जाने वाले रक्त की मात्रा को कार्डियक आउटपुट कहते हैं। सामान्य रूप से यह मात्रा लगभग 5 लीटर होती है।
1 मिनट में हृदय की 72 धड़कन × 70ml = 5040 ml.(अर्थात लगभग 5 लीटर रक्त)
कार्डियक आउटपुट = हार्ट रेट x स्ट्रोक वॉल्यूम 
CO = HR x SV
रक्तचाप (Blood Pressure)—
“हृदय द्वारा रक्त को धमनियों में पंप करने के समय रक्त द्वारा धमनियों की दीवारों पर डाला गया बल अथवा दवाब ही रक्तचाप कहलाता है।”
अर्थात, यह वह दबाव है जो प्रवाहित होता हुआ रक्त, रक्त वाहिकाओं (विशेषकर धमनियों) की दीवारों पर उत्पन्न करता है।
एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के लिए सामान्य (आदर्श) रक्तचाप लगभग 120/80 मि.मी. पारा (mm Hg) होता है।
सिस्टोलिक दबाव — जब हृदय संकुचित होकर रक्त को पंप करता है। (90 से 120 मि.मी. पारा) 
डायस्टोलिक दबाव — जब हृदय धड़कनों के बीच शिथिल होता है। (60 से 80 मि.मी. पारा)
यदि रक्तचाप लगातार 140/90 मि.मी. पारा से अधिक रहता है तो इसे उच्च रक्तचाप – High BP (Hypertension) कहा जाता है,
और यदि यह 90/60 मि.मी. पारा से कम रहता है तो इसे निम्न रक्तचाप – Low BP (Hypotension) कहा जाता है।
वाइटल कैपेसिटी – Vital Capacity – VC 
एक बार में अधिकतम सांस अंदर खींच लेने के बाद कर एक बार में अधिकतम मात्रा में सांस छोड़ने में निकाली गई हवा की मात्रा को वाइटल केपेसिटी कहते हैं। वाइटल कैपेसिटी से फेफड़ों की ताकत का अनुमान लगाया जाता है। एक सामान्य व्यक्ति की वाइटल केपेसिटी 3 से 5 लीटर तक हो सकती है। सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा खिलाड़ियों एवं सैनिकों की वाइटल अधिक होती है।
वाइटल कैपेसिटी को वैट स्पायरोमीटर (wet spirometer) से नापा जाता है

 

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