इस लेख में मनोविज्ञान (Psychology) साइकोलॉजी और मनोविज्ञान और खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology) के आधारभूत तत्वों
के बारे में जानकारी दी गई है।
खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology) के बारे में जानने से पहले हमें मनोविज्ञान (Psychology) के बारे में जानना चाहिए
Introduction
मनोविज्ञान हमारे जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है, इसलिए सभी लोग इसके बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। लेकिन, मनोविज्ञान के बारे में बहुत सी भ्रांतियां हैं। कई लोग मनोविज्ञान को मानसिक रूप से कमजोर लोगों के इलाज से संबंधित मानते हैं, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि मनोवैज्ञानिक आपके चेहरे या माथे को देखकर ही आपके विचारों को पढ़ सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि मनोवैज्ञानिक भी किसी ज्योतिषी अथवा हस्त रेखा विशेषज्ञ की तरह भविष्य का पूर्वानुमान और जीवन की समस्याओं का समाधान बताते हैं
प्रारंभ में मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र (Philosophy) का ही एक अंग समझा जाता था। दार्शनिकों द्वारा मनुष्य के व्यवहार को समझने की चेष्टा हजारों वर्षों से की जा रही थी। 17वीं शताब्दी के दौरान, फ्रांसीसी दार्शनिक रेने डेकार्ट (Rene Descartes) ने द्वैतवाद (dualism) का विचार प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि मन और शरीर दो इकाइयां हैं जो मानवीय अनुभव बनाने के लिए परस्पर क्रिया करती हैं।
1800 के दशक तक मनोविज्ञान को अलग एक विषय के रूप में मान्यता नही मिली थी। परंतु कालांतर में यह एक स्वतंत्र विषय के रूप में स्थापित हुआ एवं आज यह सामाजिक विज्ञान में एक अग्रणी विषय माना जाता है।

1800 के दशक के मध्य में, विल्हेम वुंट (Wilhelm Wundt) नाम के एक जर्मन शरीर विज्ञानी (Physiologist) प्रतिक्रिया समय (Reaction Time) की जांच के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे थे। उन्होंने 1873 में प्रकाशित अपनी किताब , ‘प्रिंसिपल्स ऑफ फिजियोलॉजिकल साइकोलॉजी’ (Principles of Physiological Psychology) में शरीर के विभिन्न तंत्रों और मानव विचार व व्यवहार के बीच संबंधों को रेखांकित किया। 1875 में विल्हेम वुंट (Wilhelm Wundt) ने मनोविज्ञान को चेतना के विज्ञान की विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। तथा उन्होंने आंतरिक मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए और अधिक वैज्ञानिक प्रयोगात्मक तरीकों प्रयोग पर बल दिया।
परंतु इस पर अनेक दार्शनिकों में मतभेद थे वे चेतना की किसी सर्वमान्य व्याख्या पर सहमत नहीं हुए। अतः यह परिभाषा भी नहीं टिक सकी।
बाद में उन्होंने 1879 में लीपज़िग विश्वविद्यालय (University of Leipzig) में दुनिया की पहली मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की। इस घटना को आम तौर पर एक अलग और विशिष्ट वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में मनोविज्ञान की आधिकारिक शुरुआत माना जाता है। मनोविज्ञान में उनके इस काम ने भविष्य में प्रयोगात्मक तरीकों से मनोविज्ञान के अध्ययन के लिए मंच तैयार करने में मदद की।
मनोविज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए विल्हेम वुंट (Wilhelm Wundt) को मनोविज्ञान का जनक भी कहा जाता है।
मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition)
सामान्य शब्दों में मनोविज्ञान मानव के व्यवहार का अध्ययन है जिसमें मानव की प्रकृति, मानव संबंधों एवं मानव का अपने वातावरण के साथ समन्वय का अध्ययन किया जाता है ।
माना जाता है कि मनोविज्ञान (Psychology) यूनानी दार्शनिकों की देन है।
मनोविज्ञान अर्थात Psychology (साइकोलॉजि) दो यूनानी शब्द Psyche (साइके) और Logos (लोगोस) से मिलकर बना है। साइके का अर्थ है आत्मा अथवा मन और लोगों उसका अर्थ है अध्ययन
मनोविज्ञान = मन अथवा आत्मा + विज्ञान
Psychology = Psyche + Logos
वर्ष 1590 में रुडोल्फ गोयकल (Rudolf Goeckel) ने पहली बार मनोविज्ञान शब्द का प्रयोग मन के अध्ययन के लिए किया था, परंतु मन अथवा आत्मा को स्पष्ट रूप से परिभाषित ना किए जा सकने के कारण इस विचार को त्याग दिया गया।
मनोविज्ञान एक प्रगतिशील विज्ञान रहा जिसमें नित नए-नए मतों का समावेश होता गया तथा विभिन्न विद्वानों द्वारा विभिन्न परिभाषाएं दी जाती रही
प्रारंभ में तीसरी और चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में यूनानी दार्शनिक प्लेटो (Plato) और अरस्तु (Aristotle) ने इसे आत्मा के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। परंतु आत्मा के वैज्ञानिक स्वरूप को परिभाषित ना करने के कारण इसे नकार दिया गया।
बाद में अन्य यूनानी दार्शनिकों द्वारा इसे मन के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया। परंतु कालांतर में वैज्ञानिकों द्वारा इस मत को इसलिए नकार दिया गया क्योंकि मन के अस्तित्व को वैज्ञानिक रूप से दर्शाया नहीं जा सकता है।
कुछ लोग इसे आत्मा तो कुछ लोग इसे मानसिक क्रियाओं से जोड़कर देखते थे। अतः मन की भी कोई स्पष्ट व्याख्या ना किए जा सकने के कारण यह मत भी नकार दिया गया।
बाद में प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक एडमिन जी बोरिंग (Edwin G. Boring 23 October 1886 – 1 July 1968) ने मनोविज्ञान को मानव की प्रकृति का अध्ययन कहा।
वुडवर्थ (Woodworth) ने मनोविज्ञान को वातावरण से संबंधित व्यक्ति की क्रियाओं का विज्ञान कहा
जे.बी. वाटसन एवं मैकडूगल ने मनोविज्ञान को जीवित प्राणियों की व्यवहार अथवा आचरण का विज्ञान बताया
एन.एल. मन (N.L. Mann) ने मनोविज्ञान को व्यक्ति के आंतरिक अनुभव एवं बाह्य व्यवहार का विज्ञान बताया
मनोविज्ञान, व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है. इसमें यह अध्ययन किया जाता है कि व्यक्ति की शारीरिक स्थिति, मानसिक स्थिति और बाहरी वातावरण किस प्रकार व्यक्ति के व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है : Tavris and Wade, 1997
विभिन्न दार्शनिकों एवं वैज्ञानिकों द्वारा मनोविज्ञान को विभिन्न रूप से परिभाषित किया गया जिनसे से यह निष्कर्ष निकलता है कि:
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मनोविज्ञान वैज्ञानिक सिद्धांतों वह तर्कों पर आधारित एक प्रत्यक्ष विज्ञान है।
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मनोविज्ञान मनुष्य एवं पशुओं के व्यवहार का उनकी वातावरण से संबंधों के अध्ययन के साथ-साथ उनकी ज्ञानात्मक, संवेगात्मक एवं क्रियात्मक क्रियाओं का भी अध्ययन करता है।
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मनोविज्ञान के द्वारा मानवीय व्यवहार का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तथा
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मनुष्य की मानसिक एवं व्यवहारिक परेशानियों के समाधान एवं मानवीय व्यवहार पर नियंत्रण रखने के उपायों पर भी विचार किया जा सकता है।
खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology)
खेलों में सफल होने के लिए अच्छी फिटनेस और अच्छी तकनीक का होना तो बहुत जरूरी है ही लेकिन इसके साथ-साथ खिलाड़ी को मनोवैज्ञानिक रूप से भी बहुत सजग होना चाहिए। खेल के दौरान खिलाड़ी कई बार मानसिक दबाव में आ जाते हैं।
खिलाड़ी वास्तविक खेल तो मैदान पर ही खेलते हैं लेकिन मैदान में उतरने से पहले ही उसके दिमाग में एक द्वंद्व शुरू हो जाता है जो कि उसके आत्मविश्वास पर नकारात्मक प्रभाव करता है।
इतिहास ऐसे कई बेहतरीन खिलाड़ियों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जो कि फिटनेस और तकनीक के मामले में बहुत अच्छे थे लेकिन वे अपनी कमजोर आत्मविश्वास व मानसिक दशा के कारण उस उच्च स्तर तक नहीं पहुंच सके जहां तक वह पहुंच सकते थे।
खेल मनोविज्ञान मुख्य रूप से निम्नलिखित दो क्षेत्रों में योगदान देता है
1.मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग करते हुए खिलाड़ी के प्रदर्शन में सुधार लाना तथा उसे उसके सर्वोत्तम संभव प्रदर्शन स्तर तक पहुंचने में मदद करना
2. यह समझना कि खेल, व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेना किस प्रकार व्यक्ति के स्वास्थ्य, व्यवहार एवं जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
खेल मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition)
खेल मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें विभिन्न मनोवैज्ञानिक कारकों का खिलाड़ियों व टीमों के प्रदर्शन, आचरण अथवा व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। खेल मनोविज्ञान का लक्ष्य खिलाड़ी के प्रदर्शन, जीवन दर्शन एवं व्यवहार में गुणात्मक सुधार लाना होना है।
खेल मनोविज्ञान में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों के अध्ययन पर केंद्रित होता है:
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विभिन्न मनोवैज्ञानिक कारक किस प्रकार खिलाड़ी की शारीरिक एवं मानसिक दशा को प्रभावित करते हैं तथा उनका उसके खेल प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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खेल मनोवैज्ञानिक विभिन्न मनोवैज्ञानिक तरीकों से खिलाड़ी के स्वास्थ्य और व्यवहार को बेहतर बनाने की प्रयास करते हैं
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खेल मनोविज्ञान खिलाड़ी के प्रदर्शन में आ रही कमी के कारणों का पता लगाने तथा उनका समाधान करने पर भी केंद्रित होती है
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खेल मनोविज्ञान अपने आप में कई विषयों के ज्ञान को समाहित किए हुए है। खेल मनोविज्ञान में खिलाड़ी के उन सभी शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, व्यावहारिक पक्षों को भी ध्यान में रखा जाता है जो कि खिलाड़ी के प्रदर्शन अथवा व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं।
खेल मनोविज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्व
Need & Importance to Study Sports psychology

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खेल मनोविज्ञान के द्वारा खिलाड़ी की प्रदर्शन में सुधार लाया जा सकता है।
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मनोविज्ञान खिलाड़ियों को उनकी व्यक्तिगत, समाजिक व अन्य समस्याओं से जूझने में सहायक हो सकती है।
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खेल मनोविज्ञान खिलाड़ी के अति उत्साह अथवा निराशा के समय में खिलाड़ी के व्यवहार को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में बताता है।
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मनोविज्ञान, प्रतियोगिताओं के दौरान आने वाली विषम परिस्थितियों में खिलाड़ी को अपने मनोबल और आत्मविश्वास को बनाए रखने के उपाय सुझाता है
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मनोविज्ञान के द्वारा खिलाड़ी में उसके खेल के अनुरूप मनोवृति (Attitude) का विकास किया जा सकता है
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मनोविज्ञान उभरते हुए खिलाड़ी की मनोवृति के अनुसार उसे उचित खेल अथवा उचित तकनीक को चुनने में सहायक होता है।
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मनोविज्ञान के आधार पर खिलाड़ियों की शारीरिक व मानसिक क्षमता के अनुसार उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं।
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मनोविज्ञान के आधार पर ही खिलाड़ियों की शारीरिक व मानसिक क्षमता के अनुसार प्रतियोगिता में भाग लेने की रणनिति बनाई जाती है।
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मनोविज्ञान खिलाड़ी को गंभीर चोट, स्वास्थ्य समस्या अथवा भावनात्मक क्षति से उबरने में सहायक होता है।
खेल मनोविज्ञान का क्षेत्र (Scope of Sports psychology)
खेल मनोविज्ञान अध्ययन का वह क्षेत्र है जिसका उद्देश्य विभिन्न मनोवैज्ञानिक कारकों का खिलाड़ी के प्रदर्शन एवं व्यवहार पर होने वाले प्रभाव को समझाना होता है.
खेल मनोविज्ञान, खेल के अलावा खिलाड़ी के व्यक्तित्व के विकास एवं उसके समग्र कल्याण के लिए भी समर्पित है
खेल मनोविज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है, इसके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं.
1- प्रदर्शन में वृद्धि (Performance Enhancement):
खिलाड़ी के प्रदर्शन में सुधार लाना खेल मनोविज्ञान का मूलभूत लक्ष्य होता है. खेल मनोवैज्ञानिक खिलाड़ी केमजबूत और कमजोर मानसिक पक्षों को चिन्हित करते हैं। फिर कमजोर मानसिक पक्षों में विभिन्न मनोवैज्ञानिक तकनीकों द्वारा सुधार लाने का प्रयास किया जाता है। एकाग्रता, धैर्य, खतरा उठाने का साहस, आत्मविश्वास आदि प्रमुख मानसिक कौशल हैं जो कि खिलाड़ी क प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।
2- चिंता और तनाव प्रबंधन (Stress Management):
चिंता और तनाव खिलाड़ियों के जीवन काअभिन्न अंग होते हैंयदि इनका ठीक प्रकार सेनिराकरण न किया जाएतो यह खिलाड़ी के करियर के लिए खतरा बन जाते हैं, इसलिएचिंता और तनाव का प्रबंधबहुत ही आवश्यक हो जाता है खेल मनोविज्ञान खिलाड़ियों कोउनके प्रदर्शन से संबंधित चिंता और तनाव झेलने के तरीके तथा उनके नकारात्मक प्रभावऑन से बचने के तरीके बताता है जो कि खिलाड़ियों को तनाव, और मुश्किल परिस्थितियों से निपटने और असफलताओं की निराशा से उबरने में मदद करता है।
3- खिलाड़ियों के प्रेरणा स्तर को बनाए रखना (Motivation):
खिलाड़ी के निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बहुत जरूरी है कि वह हमेशा अच्छा प्रदर्शन के लिए प्रेरित रहे। मनोवैज्ञानिक इस तथ्य को बहुत अच्छी तरह समझते हैं इसलिए वे खिलाड़ी के व्यक्तित्व के आधार पर उनके लिए आंतरिक और वाह्य प्रेरणा कारकों को चिन्हित करते हैं जिससे उनके निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने में कोई बाधा ना आए
4- दृश्यकल्पना और मानसिक चित्रण (Visualization and Mental Imagery):
दृश्यकल्पना और मानसिक चित्रण खेल मनोविज्ञान का एक अहम अंग है। इससे खिलाड़ी मैदान पर वास्तविक रूप से उपस्थित न होकर भी मैदान में होने का अनुभव करता है।
वैसे तो दृश्यकल्पना और मानसिक चित्रण का तरीका सभी खिलाड़ियों के लिए मानसिक रूप से पूर्वाभ्यास करने, मांसपेशियों की स्मृति को सुधारने, और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है।
परंतु दृश्यकल्पना और मानसिक चित्रण ऐसे खिलाड़ियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है जिन्हें चोट लगने अथवा बीमारी के कारण कुछ समय के लिए मैदान से दूर रहना पड़ता है, उस समय वे लोग इस तकनीक के द्वारा अपने को तैयार करते रहते हैं।
5- रणनीति बनाने में सहायक (Helpful in Making Strategy):
टीम की रणनीति बनाने में खेल मनोविज्ञान विशेष रूप से सहायक होता है। इसमें मनोवैज्ञानिक अपनी टीम के खिलाड़ियों के व्यक्तित्व के साथ-साथ प्रतिद्वंदी टीम के खिलाड़ियों के व्यक्तित्व व व्यवहार का भी अध्ययन करते हैं और उसके आधार पर रणनीतियों का निर्माण किया जाता है अथवा रणनीति में आवश्यक बदलाव किए जाते हैं
6- टीम भावना को प्रेरित करना (Team Spirit):
किसी भी खेल में खिलाड़ी अकेला नहीं होता है। चाहे व्यक्तिगत खेल स्पर्धा हो या टीम-गेम खिलाड़ी के साथ हमेशा उसके कोच, डॉक्टर, फिजियोथैरेपिस्ट व अन्य सपोर्ट स्टाफ भी काम करते हैं।
एक खिलाड़ी अथवा एक टीम की सफलता में इन सभी लोगों का सहयोग होता है। अतः खिलाड़ी अथवा टीम की सफलता के लिए बहुत जरूरी है कि इन सभी के बीच में अच्छा संवाद, संचार एवं सामंजस्य होना चाहिए और उन्हें एक टीम भावना के साथ काम करना चाहिए, खेल मनोविज्ञान इस बात को सुनिश्चित किया जाता है। कोच अथवा मैनेजर अपनी टीमों को प्रेरित करने, टीम के सदस्यों के बीच होने वाली गलत फहमियों को दूर करने और सकारात्मक प्रशिक्षण वातावरण बनाने के लिए खेल मनोविज्ञान तकनीकों का सहारा लेते हैं।
7-चोट पुनर्वास (Injury Rehabilitation) :
खेलों में चोट लगना बहुत ही सामान्य घटना होती है, लेकिन कभी-कभी गंभीर चोट लग जाने पर खिलाड़ी को मैदान से दूर होना पड़ता है और कभी-कभी तो उसके कैरियर पर भी खतरा मडराने लगता है। इसलिए खिलाड़ियों के लिए चोटों से उबरना मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
खेल मनोवैज्ञानिक घायल खिलाड़ियों को चोटों व निराशा से उबरने और प्रतिस्पर्धा में सहज वापसी करने में सहायता करते हैं।
8- कैरियर परिवर्तन में सहायता (Career Transition):
खिलाड़ी का खेल कैरियर एक बहुत सीमित समय के लिए होता है और सभी खिलाड़ी अपने कैरियर में बहुत अधिक सफल नहीं होते। कई खिलाड़ी खेलों में व्यस्त रहने के कारण अन्य कौशल नहीं सीख पाते हैं अतः जब उनका खेल कैरियर पूर्ण हो जाता है तो उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाता है, जो कि बहुत दुखद स्थिति होती है। खेल मनोवैज्ञानिक खिलाड़ियों को उनके प्रतिस्पर्धी कैरियर के बाद जीवन में बदलाव लाने, पहचान संबंधी मुद्दों को संबोधित करने और नए रास्ते खोजने में मदद करते हैं।
9- खिलाड़ियों को परामर्श प्रदान करना (Counselling of Players):
कई बार खिलाड़ी अत्यधिक सफलता के बाद घमंड में आ जाते हैं और उनके व्यवहार में कई नकारात्मक परिवर्तन आ जाते हैं। दूसरी तरफ कई खिलाड़ी अत्यधिक असफलता के बाद निराशा में डूब जाते हैं तथा गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। दोनों ही स्थितियों में खेल मनोवैज्ञानिक मानव व्यवहार, भावनाओं और विचार पैटर्न के विभिन्न पहलुओं को समझने और संबोधित करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करके परामर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
खेल प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक कारक
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खिलाड़ियों की व्यक्तिगत भिन्नता (Individual Differences)
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खिलाड़ियों की मनोवृति (Attitude)
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आत्म विश्वास (Self Confidence)
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बुद्धिमत्ता (Intelligence)
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प्रेरणा (Motivation)
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आक्रामकता (Aggression)
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चिंता (Anxiety)
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ध्यान एवं एकाग्रता (Attention & Concentration)
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मानसिक कल्पना (Mental Imagery)