For everyone it is important to know about Personality: Meaning, Definition, Dimensions and Factors Affecting Personality
In this article we will discuss about Meaning, Definition and Dimensions of Personality and Factors Affect Personality (व्यक्तित्व का अर्थ और परिभाषा, व्यक्तित्व के आयाम एवं व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक).

दुनिया में समस्त व्यक्ति अपने आप में विशेष तथा एक दूसरे से अलग होते हैं। कोई भी दो व्यक्ति पूर्ण रूप से एक समान नहीं हो सकते हैं।
किसी व्यक्ति में वे समस्त गुणों जो उसे दूसरे व्यक्ति से अलग करते हों, वे समस्त गुण सामूहिक रूप से उस व्यक्ति का व्यक्तित्व (Personality) कहलाते हैं।
सामान्यतः व्यक्तित्व का तात्पर्य व्यक्ति की वाह्य रंग रूप से लिया जाता है परंतु मनोविज्ञान के अनुसार व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके समस्त वाह्य एवं आंतरिक गुणों का समुच्चय है। देश, समय, काल व परिस्थितियों के अनुसार व्यक्ति के व्यक्तित्व में परिवर्तन हो सकता है।
व्यक्तित्व (Personality) शब्द लैटिन भाषा के शब्द Persona से बना है जिसका अर्थ मुखौटा होता है। पुराने समय में थिएटर में काम करने वाले कलाकार अपनी पहचान को गुप्त रखने के लिए मुखोटे पहनते थे। मुखोटे से व्यक्ति की वास्तविक पहचान छुप जाती है और दर्शक उसे मुखौटे में दिख रहे व्यक्ति के अनुसार पहचानते हैं। कलाकार मुखोटे में दिख रहे चेहरे के अनुसार अभिनय करता है। कार्ल जुंग के अनुसार Persona आदमी का बाहरी आवरण होता है।
ठीक उसी प्रकार व्यक्ति भी अपनी सामाजिक आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार का व्यवहार करता है। अतः व्यक्तित्व का अर्थ यह निकाला जा सकता है कि व्यक्ति दूसरों पर क्या प्रभाव छोड़ता है।
अक्सर हम व्यक्ति को पहली नजर में देखने पर उसके कद काठी स्वास्थ्य आकृति चेहरे के हाव भाव चेहरे की चमक आदि देखकर उसके बारे में अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं जो कि उस व्यक्ति के बाहरी रंग रूप तथा शारीरिक संरचना पर आधारित होती है। अतः किसी व्यक्ति के अंदर वे समस्त ऐसे गुण जो कि सामने वाले व्यक्ति पर अपना कुछ प्रभाव छोड़ते हैं वह उसका व्यक्तित्व Personality कहलाता है।
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा व्यक्तित्व की निम्न परिभाषाएं दी गई है:
व्यक्ति की मनो-शारीरिक (psycho-physical) तंत्रों का संगठित रूप ही व्यक्तित्व है जिससे वह अपने वातावरण के साथ अद्भुत सामंजस्य करता है. :अलपोर्ट
व्यक्तित्व व्यक्ति के संगठन व्यवहार का संपूर्ण चित्र होता है :डेविल
समस्त जैविक व विचार, रुझान, स्तर तथा इच्छाओं एवं अनुभव से अर्जित रुझानों का कुल योग व्यक्तित्व कहलाता है : मार्टन प्रिंस
व्यक्ति के चरित्र, स्वभाव, समझदारी तथा शरीर जो उसके वातावरण से उसका विशिष्ट सामंजस्य स्थापित करता है, व्यक्तित्व कहलाता है :आईजैंक
व्यक्तित्व हमारे कर्मों एवं क्षमताओं का एवं तन मन और आत्मा का सुंदर मेल है। यह निरंतर जैविक विकास के क्रम में व्यक्ति की अनोखी उत्पत्ति है। :डॉ एस राधाकृष्णन
व्यक्तित्व के आयाम (Dimensions of Personality) –
अनेक विद्वानों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण अनेक प्रकार से किया है जिसमें निम्नलिखित तीन प्रकार के वर्गीकरण महत्वपूर्ण हैं
- शारीरिक आयाम
- मानसिक व बौद्धिक आयाम
- सामाजिक आयाम
1- शारीरिक आयाम Physical Dimension
किसी भी प्राणी के व्यक्तित्व का सबसे प्राथमिक आयाम शारीरिक संरचना होती है। क्योंकि व्यक्तित्व के अन्य आयाम एवं गुण बहुत हद तक शारीरिक आयाम के अनुरूप ही होते हैं।
शारीरिक आयाम के अंतर्गत व्यक्ति की शारीरिक बनावट, कद काठी, चेहरे की बनावट, उसकी त्वचा, बालों एवं आंखों का रंग, मांस पेशियों की संरचना आदि आते हैं और यह सभी लक्षण व्यक्ति को अनुवांशिकता के कारण प्राप्त होते हैं जिन पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं होता है।
पहली दृष्टि में समाज में व्यक्ति का आकलन उसके शारीरिक लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। अच्छी शारीरिक बनावट एवं स्वास्थ्य वाले व्यक्ति आकर्षक माने जाते हैं क्योंकि अच्छा शरीर एवं स्वास्थ्य व्यक्ति के बारे में एक सकारात्मक संकेत देता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक लक्षणों को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। मनोवैज्ञानिक एवं शरीर विज्ञान के विशेषज्ञ भी स्वस्थ एवं सुगठित शरीर को विशेष प्राथमिकता देते हैं।
2-मानसिक व बौद्धिक आयाम
मानसिक एवं बौद्धिक आयाम से तात्पर्य व्यक्ति की बुद्धि एवं विवेक से है। यह मनुष्य की बौद्धिक क्षमताएं ही है जिसने उसे प्राणी जगत का सर्वोच्च जीव बनाया है जो अन्य सभी जीवो एवं संसाधनों पर अपना नियंत्रण रखता है। मनुष्य की बौद्धिक क्षमताएं ही उसे समाज में उसका यथोचित स्थान दिलाती हैं।
यदि किसी अच्छी शारीरिक विन्यास वाले व्यक्ति में अच्छी बौद्धिक योग्यताएं ना हो तो वह व्यक्ति एक प्राण हीन मूर्ति के समान ही है। बौद्धिक क्षमताओं में मुख्य रूप से व्यक्ति की बुद्धिमानी, स्वभाव, तर्क शक्ति, सूझ बूझ, स्मृति, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, स्थितियों का आकलन और समस्याओं को सुलझाने की क्षमता आती है
3- सामाजिक आयाम
व्यक्तित्व का सामाजिक आयाम किसी व्यक्ति के चरित्र, व्यवहार और उसकी सामाजिक प्रासंगिकता को संदर्भित करता है। व्यक्तित्व का सामाजिक आयाम इस बात को रेखांकित करता है कि किसी व्यक्ति का सामाजिक परिवेश उसके व्यक्तित्व को किस तरह प्रभावित करता है तथा उसके व्यक्तित्व का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसमें यह बात शामिल होती है कि:
- व्यक्ति दूसरों के संबंध में खुद को कैसे समझते हैं,
- वे किस तरह के सामाजिक रिश्ते बनाते हैं,
- वे सामाजिक भूमिकाओं और अपेक्षाओं को कैसे निभाते हैं।
व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक👇
- आनुवंशिकता: वंशानुगत गुण और प्राकृतिक प्रवृत्तियां प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में सबसे प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- पर्यावरण: अनुवांशिकता के बाद व्यक्ति का पर्यावरण उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे बड़ा कारक होता है। वह पर्यावरण जिसमें व्यक्ति पला बड़ा होता है, परिवारीय गतिविधियों, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, और सामाजिक प्रभाव, व्यक्तित्व विकास को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाता है।
- लालन पालन व अभिभावकों का प्रभाव: वह माहौल जिसमें बच्चा पला बढ़ा हो जैसे कि घर में अनुशासन, प्रेम और स्नेह का स्तर, और माता-पिता की उम्मीदें व्यक्तित्व विकास को प्रभावित कर सकती हैं।
- मित्र और सहयोगियों का प्रभाव (Peer Influence): नजदीक के मित्रों की संगत का और सामाजिक समूहों का व्यक्तित्व निर्माण पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
- जीवन के अनुभव: महत्वपूर्ण जीवन घटनाएँ, जैसे कि बीमारी, चोट, हानि, उपलब्धि, या अभाव व्यक्तित्व विकास को प्रभावित कर सकती हैं।
- विद्यालय का प्रभाव, शिक्षा और अध्ययन: व्यक्ति की शिक्षा उसकी क्षमताओं, मूल्यों, और विश्वासों की गुणवत्ता के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमी: सांस्कृतिक मूल्य, सामाजिक उम्मीदें, और लिंग भूमिका सामूहिक रूप से व्यक्तित्व के व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकते हैं।
- स्वभावगत व मनोवैज्ञानिक विशेषताएं: जन्मसिद्ध स्वभाव गुण, जैसे कि अंर्तमुखी अथवा बहिर्मुखी प्रवृत्ति और भावनात्मक संवेदनशीलता व्यक्तित्व विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
- तनाव और तनाव प्रबंधन: व्यक्ति के जीवन में तनाव और वह उनसे किस प्रकार से निपटता है, यह भी व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।
- जीवन के लक्ष्य और मूल्य: व्यक्तिगत लक्ष्य, मूल्य, आकांक्षाएं, और विश्वास, व्यक्तित्व गुणों और व्यवहार को प्रभावित करते हैं क्योंकि व्यक्ति के लक्ष्य और मूल्यों का प्रभाव उनके कार्यों में देखने देखने को मिलता है।
- सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी: वर्तमान युग में सोशल मीडिया, प्रौद्योगिकी, और डिजिटल वातावरण व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले सबसे प्रमुख कारक के रूप में सामने आ रहा है।
- आर्थिक-सामाजिक स्थिति: सामाजिक-आर्थिक स्थिति और संसाधनों की उपलब्धता भी व्यक्तित्व विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य सेवाएं: व्यक्ति को सामान्य रूप से उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं जो कि व्यक्ति की भावी जीवन की विशा तय करते हैं।
- भौगोलिक परिस्थितियां: भौगोलिक परिस्थितियां भी व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाली प्रमुख कारक होती है क्योंकि भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार ही व्यक्ति का खान-पान, पहनावा तथा जीवन शैली निर्धारित होती है। इन महत्वपूर्ण कारकों के अतिरिक्त अन्य कारक भी हो सकते हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर व्यक्ति के लिए उसकी विशिष्ट परिस्थितियां उसके व्यक्तित्व निर्माण को आकर देती हैं।
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