Sports stock record keeping and accounting are the methods of to maintain a good financial discipline in an organisation.
3.2 खेल कार्यक्रमों के लेखांकन की आधारभूत बातें
(Basics of Sports Event Record Keeping & Accounting)
![Sports Stock: Record Keeping & Accounting 1 Sports Stock Accounting](https://bishtedition.com/wp-content/uploads/2024/02/sports-stock-300x300.jpg)
वे सभी कार्य जहां पर वस्तुओं का क्रय विक्रय और वित्तीय लेनदेन होता है वहां पर वस्तुओं की स्टॉक एंट्री तथा लेखांकन (Accounting) की आवश्यकता पड़ती है।
किसी कार्य अथवा व्यवसाय में होने वाले सभी वित्तीय लेन-देनों को तिथिवार क्रमबद्ध तरीके से बही/रजिस्टर (Book) के रूप में लिखना ही ‘लेखांकन’ (Accounting)’ कहलाता है। लेखांकन को लेखाकर्म अथवा लेखा-जोखा के नाम से भी जाना जाता है।
लेखांकन को वित्तीय लेन-देन को बही खाते में दर्ज करने की कला भी कह सकते हैं।
खेल सामग्री का लेखांकन (Record Keeping & Accounting of Sports Stock)
खेलों में वित्तीय लेनदेन के अलावा खेलों की क्रय की जाने वाली सामग्री की भी भंडार पंजिका (Stock Register स्टॉक रजिस्टर) में एंट्री करनी होती है।
क्रीड़ा सामग्री दो प्रकार की होती है
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उपभोज्य सामग्री (Consumable Items)
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गैर-उपभोज्य सामग्री (Non-Consumable Items)
1 – उपभोज्य सामग्री (Consumable Items)
उपभोज्य सामग्री वे सामग्री कहलाती हैं जोकि प्रयोग करने पर खत्म या नष्ट हो जाती है या एक निश्चित समय तक प्रयोग कर लेने के बाद वे उपयोग करने लायक नहीं रह जाती हैं, जैसे चूना पाउडर, गेंद, शटल कॉक, बैट आदि।
वे सामग्री भी उपभोज्य सामग्री कहलाती है जिसे विद्यार्थियों को व्यक्तिगत प्रयोग के लिए वितरित (issue) कर दिया जाता है जैसे टीम गेम्स की किट, टी-शर्ट, नेकर, ट्रैकसूट, जूते इत्यादि।
2 – गैर-उपभोज्य सामग्री (Non-Consumable Items)
गैर-उपभोज्य सामग्री में वे वस्तुएं आती हैं जो कि निरंतर प्रयोग करने के बाद भी लम्बे समय तक खराब अथवा नष्ट नहीं होती हैं जैसे गोला (Shot Put), गोल पोस्ट, बास्केटबॉल पोस्ट, अलमारी आदि।
![Sports Stock: Record Keeping & Accounting 2 stock register](https://bishtedition.com/wp-content/uploads/2024/02/stock-register-197x300.jpg)
सभी प्रकार की क्रय की जाने वाली उपभोज्य एवं गैर उपभोज्य सामग्रियों को भंडार पंजिका (Stock Register) में सुव्यवस्थित तरीके से दर्ज करना होता है, जिसे स्टॉक एंट्री (Stock Entry) कहा जाता है
जो भी क्रीड़ा सामग्री प्रयोग के लिए विद्यार्थियों को दी जाती है, अथवा (issue इश्यू) की जाती है. उसे निर्गम पंजिका (Issue Register) में अंकित किया जाता है.
एक निश्चित समय सीमा के बाद प्रयोग की जाने वाली सामग्री के निष्प्रयोज्य हो जाने के उपरांत उसे भण्डार पंजिका (स्टॉक रजिस्टर) में अंकित अवशेष समाग्री में से घटाकर नये अवशेष समाग्री में उसकी एंट्री की जाती है।
लेखांकन क्रिया के चरण
खेल एवं शारीरिक शिक्षा में लेखांकन वित्तीय लेनदेन तथा क्रीड़ा सामग्री के प्रयोग के संबंध में होता है।
वित्तीय लेनदेन को बही खाते में और क्रीड़ा सामग्री को भंडार पंजिका (Stock Register) में लेखांकित किया जाता है।
लेखांकन के प्रारंभिक क्रियाओं में निम्नलिखित 3 चरणों को शामिल किया जाता है-
1- अभिलेखन(Recording)
2- वर्गीकरण (Classification) एवं
3- संक्षेपण(Summarising)
अभिलेखन (Recording) :
व्यवसाय में जो भी लेन-देन होते हैं उनको पहली बार जिस बही (रजिस्टर, खाते अथवा पंजिका) में लिखा जाता है उसे ‘अभिलेखन’ कहते हैं। यह लिखने की क्रिया ही अभिलेखन (Recording – रोजनामचा) है जिसे अंग्रेजी में Entry (एंट्री) कहा जाता है।
खेलों की क्रय की जाने वाली सामग्री की भंडार पंजिका (Stock Register स्टॉक रजिस्टर) में एंट्री की जाती है।
वर्गीकरण (Classification) :
व्यवसाय में धन के कई तरह के लेन-देन होते हैं। जैसे नगद, उधार, नगद वापसी, उधार वापसी, माल का क्रय, विक्रय, विक्रय वापसी आदि। रोजनामचा (Entry-एंट्री) में लिखे सभी लेनदेन को अलग-अलग भागों में विभाजित करके लिखना है ‘वर्गीकरण’ कहलाता है।
क्रीड़ा सामग्रियों के मामले में इसे प्राप्त सामग्री (Received), इश्यू सामग्री (issued), और अवशेष (Balance) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है
संक्षेपण (Summarising):
वर्गीकृत लेनदेन को एक ही स्थान पर लिखा जाना ‘संक्षेपण’ है इसे तलपट (Trail Balance) के नाम से भी जाना जाता है। जो कि जांच करने का कार्य करता है। सत्र के अन्त में सभी खातों के शेष को सूचीबद्ध किया जाता है जिसमें मुख्य रूप से लाभ-हानि और शेष स्टाक का विवरण होता है जिसे अगले सत्र के लिए आगे ले जाया (carry forward) जाता है। यह अगले सत्र का बजट बनाने तथा नये सामान के क्रय करने की मात्रा तय करने के काम आता है
लेखांकन की विशेषताएं
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लेखांकन वित्तीय लेन-देन को बही खाते में दर्ज करने की कला है ।
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वित्तीय लेन-देन की पहचान करना और इसे नियमित तथा सुव्यवस्थित ढंग से तिथिवार लेखा पुस्तकों में लिखना।
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लेखा बहियों में केवल मौद्रिक लेन- देन का लेखा किया जाता है।
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लेखांकन वित्तीय लेनदेन एवं घटनाओं को इस प्रकार से प्रस्तुत करता है जिससे कि लेन-देन का विश्लेषण तथा व्याख्या आसानी से होती है।
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अच्छे लेखांकन से वित्तीय लेनदेन संबंधी सभी सभी वांछित सूचनाओं को एक नजर में देखा जा सकता है ।
लेखांकन के उद्देश्य :
प्रत्येक मान्यता प्राप्त सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थाओं के लिए अपना लेखांकन रिकॉर्ड बनाना आवश्यक होता है। लेखांकन के उद्देश्य निम्नलिखित है –
1- नियमित एवं सुव्यवस्थित लेखा – लेखांकन का प्रथम उद्देश्य सभी लेन-देन का नियमित एवं सुव्यवस्थित ढंग से लेखा करने से है । सुव्यवस्थित ढंग से लेखा करने से भूल और गलती की संभावना कम हो जाती है।
2- शुद्ध लाभ -हानि का निर्धारण – यह लेखांकन का दूसरा उद्देश्य है। एक निश्चित अवधि का लाभ -हानि ज्ञात करना। लाभ- हानि को ज्ञात करने के लिए किस संस्था द्वारा व्यापार खाता(Trading Account), लाभ -हानिखाता (Profit & Loss Account) तथा आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet ) बनाया जाता हैं।
3- कानूनी रूप से आवश्यक – सभी मान्यता प्राप्त सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थाएं अपना लेखांकन रिकॉर्ड रखने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होते हैं, जिसे प्रत्यक्ष (Direct) और अप्रत्यक्ष (Indirect) कर (Tax) का रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं।
4- पक्षकारों को सूचना – व्यवसाय से संबंध रखने वाले सभी पक्षों को सूचना उपलब्ध कराना लेखांकन का महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है। व्यवसाय में कई पक्षों के हित होते हैं जैसे – स्वामी (Proprietor), क्रेता, विक्रेता, आयकर विभाग (income tax Department), लेनदार (Creditor), विनियोजक (Investor) आदि।
5- वित्तीय स्थिति – लेखांकन से संस्था की वित्तीय स्थिति के संबंध में जानकारी मिलती है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु एक आर्थिक चिट्ठा (Balance Sheet) बनाया जाता है । जिसमें दाएं ओर संपत्तियों(Assets) तथा बाएं और पूंजीवाद व दायित्व(Capital And Liabilities) को प्रदर्शित किया जाता है।