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सीखना (अधिगम – Learning)
Learning is an innate tendency of a person which continues throughout life in which a person sees and learns something new every day.
सीखना व्यक्ति की जन्मजात प्रवृत्ति होती है जो कि जीवन पर्यंत चलती है जिसमें व्यक्ति प्रतिदिन कुछ ना कुछ नया देखता एवं उससे सीखता है। सीखने की प्रक्रिया को अधिगम (Learning) भी कहा जाता है।
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प्रस्तुत लेख में सीखने से संबंधित निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की गई है
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सीखने का अर्थ एवं उसकी प्रकृति
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सीखने के नियम
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सीखने को प्रभावित करने वाले कारक
सामान्य अर्थों में सीखना (Learning) व्यक्ति द्वारा नये तत्व, ज्ञान, व्यवहार, कौशल को जानना व समझना तथा नये अनुभवों के द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन होने (लाने) की प्रक्रिया है।
कुछ चीजों के बारे में जानना व सीखना बहुत जल्दी एक ही बार में हो जाता है जैसे छोटे बच्चे द्वारा जलती मोमबत्ती की लौ को पकड़ने का प्रयास करना, परंतु उसका हाथ जलते ही वह हमेशा के लिए जान जाता है कि इस कार्य से खतरा है अतः इसे वह फिर हाथ से कभी नहीं पकड़ता है। हाथ जलने के अनुभव से बच्चे के स्वाभाविक व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है। अतः अनुभवों से प्राप्त ज्ञान सीखने का प्राथमिक चरण होता है।
परंतु कुछ जटिल कार्यों को सीखने उनमें कौशल प्राप्त करने के लिए अत्यधिक ज्ञान, समझ, अभ्यास एवं प्रक्षिशण की आवश्यकता पड़ती है जैसे कंप्यूटर पर कार्य करना एवं किसी खेल का अभ्यास करना आदि।
कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गई सीखने की परिभाषाएं
सीखना, आदतों , ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है : क्रो एंड क्रो
सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है : बी.एफ.स्किनर
व्यवहार के कारण, व्यवहार में परिवर्तन होना ही सीखना है : जे॰पी॰ गिलर्फड
सीखना विकास की प्रक्रिया है : बुडवर्थ
पहले से निर्मित व्यवहार में अनुभवों द्वारा हुए परिवर्तन को अधिगम कहते हैं : कालविन
सीखने की प्रकृति Nature of Learning
सीखना प्राकृतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों से प्रभावित मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है।
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सीखना मनुष्य की प्रवृत्ति है (Human Tendency)
मनुष्य हमेशा जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। उसे अपने आसपास की वस्तुओं एवं परिस्थितियों के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है और वह हमेशा उनके बारे में कब? क्यों? व कैसे? प्रश्नों के उत्तर जानने के प्रयास में सीखता रहता है।
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सीखना एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है (Life long Process)
प्रत्येक प्राणी जीवन पर्यन्त हमेशा कुछ ना कुछ सीखता रहता है जो कि उसके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व भावनात्मक विकास को सुनिश्चित करते हैं।
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सीखना एक मानसिक प्रक्रिया है (Mental Process)
किसी भी वस्तु अथवा परिस्थितियों के बारे में जानने व समझने के लिए व्यक्ति अपनी ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग करता है तथा ज्ञानेंद्रियों से प्राप्त जानकारियों को संयोजित कर उनके बीच समन्वयक स्थापित कर नई बातों को सीखता है। इसे करने में उसे अपनी मानसिक क्षमताओं (बुद्धि-विवेक) का उपयोग करना पड़ता है अतः सीखना एक मानसिक प्रक्रिया है।
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सीखना एक सामाजिक प्रक्रिया है (Social Process)
प्रारंभिक अवस्था में बच्चा अपने परिवार व समाज के लोगों और उनके कार्यों को देख कर स्वत: सीखता है। बाद में बालक को विशेष प्रकार के ज्ञान, सामाजिक मूल्य एवं आदर्शों से परिचित कराने के लिए उसे विद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थाओं में विशेष प्रकार का सामाजिक वातावरण प्रदान किया जाता है जिससे बच्चे के व्यवहार में विशेष प्रकार का परिवर्तन लाया जा सके। इसे समाजीकरण भी कहते हैं
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सीखना एक उद्देश्य-पूर्ण प्रक्रिया होती है (Goal Oriented)
वैसे तो व्यक्ति हमेशा जाने-अनजाने में कुछ ना कुछ सीखता रहता है परंतु जब सीखने की प्रक्रिया को किसी निश्चित उद्देश्य से जोड़ दिया जाता है तो सीखने की प्रक्रिया में तेजी आ जाती है
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सीखना निरंतर अनुकूलन व खोज की प्रक्रिया है (Process of Continuous Adaption)
सीखना उपलब्ध परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को समायोजित करने व अनुकूल बनाने की प्रक्रिया भी है जिसमें व्यक्ति निरंतर बेहतर परिणाम की खोज में प्रयासरत रहता है
सीखने के नियम – Laws of Learning –
सीखने के नियमों का प्रयोग कर शिक्षक एवं कोच छात्रों व खिलाड़ियों में सीखने के प्रति रुचि, उत्साह एवं संतोष विकसित कर सकते हैं जिससे सीखने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। सीखने के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं।
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तत्परता का नियम – Law of Readiness – इस नियम के अनुसार जिन कार्यों को करने में बच्चे की इच्छा अथवा रूचि होती है तथा जिनसे उसे आनंद मिलता है उन कार्यों को करने के लिए वह हमेशा तैयार रहता है तथा वह उन्हें जल्दी ही सीख लेता है। परंतु यदि उसकी इच्छा किसी कार्य को करने की नहीं है तो उसे सीखने में गंभीरता नहीं लेता तथा नहीं सीख पाता है। इसलिए शिक्षक एवं कोच को प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों की रुचि के अनुसार गतिविधियों का समावेश करना चाहिए जैसे विद्यार्थियों की रुचि सीखने में बनी रहे।
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अभ्यास का नियम – Law of Practice – इस नियम के अनुसार व्यक्ति किसी क्रिया को निरंतर बार-बार दोहराने (Repetition) से व्यक्ति उस कार्य को जल्दी सीख लेता है तथा पर्याप्त अभ्यास नहीं करने पर वह उसे नहीं सीख पाता। इसे उपयोग तथा अनुपयोग का नियम भी कहते हैं।
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प्रभाव का नियम – Law of Effect – इस नियम के अनुसार उन कार्यों को जल्दी सीखता है जिनकी करने पर व्यक्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है या सुख का या संतोष मिलता है एवं जिन कार्यों को करने पर व्यक्ति पर बुरा प्रभाव पडता है उन्हें वह करना छोड़ देता है। इस नियम को सुख तथा दुःख या पुरस्कार तथा दण्ड का नियम भी कहा जाता है।
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आवश्यकता का नियम Law of Need – इस नियम के अनुसार व्यक्ति उन कार्यों को जल्दी सीखने का प्रयास करता है जो कि उसके किसी विशेष जरुरत, इच्छा अथवा लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिए आवश्यक हो।
मोटर कुशलता सीखने के मूल सिद्धांत (Principles of Learning Motor Skills)
शरीर के विभिन्न अंगों द्वारा की जाने वाली गतियों जैसे चलना, दौड़ना, भार उठाना, सीढ़ियां चढ़ना, उछलना, फेंकना, मुड़ना, बैठना, उठना आदि को शरीर की मोटर गति (motor movements) कहते हैं। मोटर गतियां (motor movements) मुख्य रूप से हाथ एवं पैरों के द्वारा की जाती है परंतु इसमें पूरे शरीर की मसल्स एवं अंग मुख्य रूप से अथवा सहायक रूप में भाग लेते हैं।
समस्त शारीरिक शिक्षा एवं खेल गतिविधियां सामान्य मोटर मूवमेंट्स जैसे चलना, दौड़ना, कूदना, फेंकना, उछलना आदि क्रियाओं का संगठित स्वरूप होते हैं जिसमें शरीर के विभिन्न अंग विशेष समन्वय (Coordination) के साथ कार्य करते हैं।
किसी भी मोटर कौशल (motor skills) को सीखने के लिए विभिन्न शारीरिक अंगों की मसल्स के बीच अच्छा समन्वय होना अति आवश्यक है जो कि लंबे अभ्यास के बाद ही संभव हो पाता है।
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मोटर कौशल सीखने के मूल सिद्धांत निम्नलिखित हैं👇
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सीखने की आवश्यकता एवं रुचि (Need and Interest)
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सीखने के उद्देश्य के बारे में जानकारी (Knowledge of Goal)
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तांत्रिक-पेशीय समन्वय (neuromuscular coordination)
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शारीरिक क्षमता एवं मानसिक परिपक्वता (Maturity)
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व्यक्तिगत विभिन्नताएं (Individual Differences)
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कार्य को बार-बार दोहराना (अभ्यास Practice)
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कार्य को समग्रता अथवा अंशों में सीखना (Learning as Whole and in Parts)
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निरंतर मूल्यांकन एवं फीडबैक (Feedback)
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सीखने में रोचकता बनाए रखना (Making Learing Pleasurable)
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मानसिक अभ्यास (Mental Practice)
सीखने को प्रभावित करने वाले कारक Factors Affecting Learning
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विषय वस्तु का सरल अथवा जटिल होना (Complexity)
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सीखने की आवश्यकता (Need)
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छात्रों की रुचि व इच्छा शक्ति (Interest and will power)
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छात्र का स्वास्थ्य (Health)
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प्रेरणा (Motivation)
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सीखने हेतु अच्छा वातावरण (Positive Environment)
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अनुवांशिकता एवं पैतृक गुण (Heridity)
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पूर्व में सीखे गए कौशल का ट्रांसफर (transfer of learning)
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सामाजिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (Social & Cultural Background)
इस यूनिट के अगले भाग Learning Curve (लर्निंग कर्व) के बारे में पढ़ने का लिंक निम्नवत् है 👇
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