3 Types of Research: Basic, Applied & Action Research (मौलिक, व्यवहारिक व क्रियात्मक अनुसंधान)

There are 3 Types of Research: Basic, Applied & Action Research

 

Types of Research
Types of Research

अनुसंधान के उद्देश्यों के आधार पर अनुसंधान को मुख्य रूप से निम्नलिखित 3 भागों में वर्गीकृत किया जाता है। 

  1. मौलिक अनुसंधान (Basic / Fundamental Research / Pure Research)
  2. व्यवहारिक अथवा अनुप्रयुक्त अनुसंधान (Applied Research)
  3. क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research)

मौलिक अनुसंधान (Basic Research / Fundamental Research / Pure Research)

मौलिक अनुसंधान को बुनियादी या शुद्ध अनुसंधान भी कहते हैं। मौलिक अनुसंधान का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है। मौलिक अनुसंधान किसी विशिष्ट विषय या समस्या के बारे जानने की इच्छा या उस क्षेत्र में ज्ञान का और अधिक विस्तार करने की इच्छा से प्रेरित होता है। 

whyमौलिक अनुसंधान किसी विषय के बारे में क्या, क्यों, कैसे और कब जैसे सवालों के जवाब ढूंढने पर आधारित होता है, जिससे नये ज्ञान और सिद्धांतों का निर्माण होता है। मौलिक अनुसंधान में किसी समस्या की विभिन्न कारणों को चिन्हित किया जाता है तथा उनका विस्तृत अध्ययन किया जाता है परंतु सामान्य तौर पर कोई तात्कालिक हल (Solution) नहीं सुझाया जाता है।

मौलिक अनुसंधान किसी विषय के बारे में अकादमिक ज्ञान (Academic Knowledge) के भंडार में वृद्धि करता है जिसकी उपयोगिता  सार्वभौमिक (Universal) होती है।  सामान्य तौर पर मौलिक अनुसंधान से प्राप्त ज्ञान का व्यावहारिक स्तर पर तत्काल प्रयोग नहीं होता है परंतु मौलिक अनुसंधान से प्राप्त ज्ञान भविष्य में होने वाले अनुसंधानों के लिए आधार तैयार करता है।

मौलिक अनुसंधान का उदाहरण 

यह मौलिक अनुसंधान एक आदर्श उदाहरण है कि इस विषय पर अनुसंधान करना कि विश्व की सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद भारत ओलंपिक में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है। इसके विभिन्न कारणों को चिन्हित करना तथा उनका अध्ययन करना मौलिक अनुसंधान के अंतर्गत आएगा। 

मौलिक अनुसंधान का एक और उदाहरण यह हो सकता है कि विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए शिक्षा के तरीकों में क्या क्या बदलाव लाए जा सकते हैं।

मौलिक अनुसंधान की विशेषताएं / उपयोगिता

  1. मौलिक अनुसंधान किसी विषय के ज्ञान के भंडार का विस्तार करने के महत्वपूर्ण होता है। 
  2. मौलिक शोध से प्राप्त ज्ञान भविष्य में होने वाले अनुसंधान कार्यों के लिए आधार तैयार करता है।
  3. मौलिक शोध से प्राप्त निष्कर्ष की उपयोगिता सार्वभौमिक (Universal) होती है।
  4. मौलिक अध्ययनों में आमतौर पर सख्त समय सीमा नहीं होती है और 
  5. वे आमतौर पर शोधकर्ता की जिज्ञासा से प्रेरित होते हैं।

व्यावहारिक अथवा अनुप्रयुक्त अनुसंधान (Applied Research):

व्यावहारिक अनुसंधान को अनुप्रयुक्त अनुसंधान भी कहा जाता। व्यावहारिक अनुसंधान किसी समाज या किसी संगठन के सामने आने वाली तात्कालिक समस्याओं के समाधान खोजने पर केंद्रित होता है, जिसमें मौलिक अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्ष एवं ज्ञान का उपयोग किया जाता है। व्यवहारिक अनुसंधान का उद्देश्य किसी वास्तविक एवं व्यवहारिक समस्या का तत्काल समाधान प्रदान करना होता है। इसमें उन वास्तविक परिस्थितियों या समस्याओं से निपटने पर कार्य किया जाता है जो कि व्यवहार में पाई जाती हैं। 

शिक्षा अथवा खेल का स्तर सुधारने पर किया जा रहे अधिकांश शोध व्यावहारिक शोध की श्रेणी में आते हैं जिनका उद्देश्य वर्तमान में प्रचलित शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं, शिक्षण सामग्री, बच्चों के व्यवहार की विवेचना करना तथा आवश्यकता अनुसार इनमें संशोधन  करना है।

व्यावहारिक अनुसंधान के विषय अक्सर वर्तमान में चल रही समस्याओं और उनके नीति निर्माताओं की चिंताओं से प्रेरित होते हैं। मौलिक अनुसंधान की तुलना में व्यावहारिक अनुसंधान अक्सर अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण के साथ किए जाते हैं किये जाते हैं। जहां मौलिक अनुसंधान का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है वहीं व्यावहारिक अनुसंधान में किसी स्थान अथवा क्षेत्र विशेष की वर्तमान समस्याओं के तात्कालिक समाधान (Immediate Solution) खोजने पर कार्य किया जाता है।

व्यवहारिक अनुसंधान की विशेषताएं / उपयोगिता:

  1. व्यावहारिक अनुसंधान किसी समाज या किसी संगठन के सामने आने वाली तात्कालिक समस्याओं के समाधान खोजने पर केंद्रित होता है
  2. यह अनुसंधान कर्ताओं को नए निष्कर्ष एवं समाधान तक पहुंचने में सहायता करता है।
  3. यह बदलती हुई व्यवहारिक स्थिति और आवश्यकताओं के अध्ययन करने में सहायक है।
  4. यह नई तकनीकों और प्रक्रियाओं की खोज में मदद करता है।
  5. यह पूर्व में किए जा चुके अनुसंधानों के निष्कर्ष में सुधार लाने में सहायक होता है

क्रियात्मक अनुसन्धान (Action Research)

मौलिक एवं व्यवहारिक अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्ष एवं ज्ञान के प्रयोग द्वारा किसी समस्या का तत्कालिक या त्वरित समाधान खोजने की प्रक्रिया को क्रियात्मक अनुसन्धान (action research) कहते हैं। क्रियात्मक अनुसंधान स्थानीय परिवेश अथवा दैनिक जीवन से सबंधित उन व्यवहारिक समस्याओं के समाधान की खोज पर केंद्रित रहता है  जिन्हें लम्बे समय तक टाला नहीं जा सकता है या जिनका समाधान प्राप्त करना आवश्यक होता है।

कोरोना महामारी के विश्व भर में बुरी तरह फैल जाने पर उसकी रोकथाम के लिए टीके का निर्माण करने में जो अनुसंधान कार्य किया गया वह क्रियात्मक अनुसंधान का सबसे ताजा और महत्वपूर्ण उदाहरण है।

शिक्षण प्रशिक्षण कार्य को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए किए जाने वाले शैक्षिक नवाचार (educational innovation) के प्रयोग भी क्रियात्मक अनुसंधान के अंतर्गत आते हैं

क्रियात्मक अनुसन्धान की विशेषताएं / उपयोगिता

1- क्रियात्मक अनुसंधान किसी समस्या के तत्काल एवं त्वरित समाधान खोजने पर केन्द्रित होता है।

2- क्रियात्मक अनुसंधान संपादित करने वाले व्यक्तियों का उस समस्या या क्षेत्र से प्रत्यक्ष संबंध होता है

3- क्रियात्मक अनुसंधान को बहुत ही सीमित तथा निर्धारित समय सीमा में पूरा किया जाता है।

4- यह दैनिक व वास्तविक समस्याओं का एक समाधान प्रस्तुत करता है।

5- क्रियात्मक अनुसंधान दैनिक या व्यवहारिक जीवन से संबंधित समस्याओं पर किया जाता है।

6- क्रियात्मक अनुसंधान का उद्देश्य कार्य प्रणाली में तत्काल सुधार लाना होता है।

 

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